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महिलाओं के खिलाफ अपराध पर मृत्युदंड के प्रावधान वाले विधेयक को महाराष्ट्र विधान परिषद की मंजूरी

By भाषा | Updated: December 24, 2021 21:16 IST

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मुंबई, 24 दिसंबर महाराष्ट्र विधान परिषद ने शुक्रवार को शक्ति आपराधिक कानून (महाराष्ट्र संशोधन) विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया जिसमें महिलाओं एवं बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए मौत की सजा समेत कड़े दंड के प्रावधान किये गए हैं।

राज्य विधानसभा ने बृहस्पतिवार को आंध्र प्रदेश के ‘दिशा कानून’ पर आधारित इस विधेयक को मंजूरी दे दी थी। अब इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। विधेयक में अपराध के ऐसे मामलों की जांच घटना की तारीख से 30 दिनों में पूरे किए जाने का प्रावधान है और जांच अधिकारियों द्वारा आवश्यक होने पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के लिए जानकारी साझा करना अनिवार्य किया गया है।

राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने इसे विधानसभा के उच्च सदन में पेश किया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह दावा नहीं करूंगा कि यह एक पुख्ता कानून है, लेकिन यह जांच में तेजी लाएगा और एक प्रतिरोधक के रूप में काम करेगा। कानून में न केवल महिलाओं की रक्षा, बल्कि यदि कोई इसका दुरुपयोग करने की कोशिश करता है और (झूठी शिकायत दर्ज करके) किसी व्यक्ति की छवि खराब करता है तो तीन लाख रुपये के जुर्माने का भी प्रावधान है।’’

बलात्कार के लिए मौत की सजा के प्रावधान पर उन्होंने कहा, ‘‘हर दोषी व्यक्ति को मौत की सजा नहीं मिलेगी। फैसला अपराध की गंभीरता पर निर्भर करेगा।’’ जरूरत पड़ने पर जांच पूरी करने के लिए 30 दिन का समय दिया जा सकता है। परिषद में विपक्ष के नेता प्रवीण दारेकर ने कहा, ‘‘फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं और साइबर सेल मानव श्रम, बुनियादी ढांचे और वित्त पोषण की कमी का सामना कर रहे हैं। राज्य सरकार को उनके लिए आवश्यक प्रावधान करना चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिला स्तर पर ऐसे अपराधों की जांच के लिए विशेष अदालतें स्थापित करने के प्रावधान का स्वागत करता हूं। लेकिन उन्हें पर्याप्त बुनियादी ढांचा, नए न्यायाधीश और कर्मचारी मिलने चाहिए।’’

वालसे पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही तय कर चुकी है कि साइबर और फॉरेंसिक सुरक्षा पाठ्यक्रम पूरा करने वाले छात्रों को इंटर्नशिप की पेशकश की जाएगी। मंत्री ने कहा, ‘‘इससे साइबर सुरक्षा कक्षों और फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं में कर्मचारियों की कमी दूर होगी।’’

विधान परिषद की पीठासीन अध्यक्ष नीलम गोरे ने कहा, ‘‘मैं उन सभी को बधाई देती हूं जिन्होंने शक्ति अधिनियम के निर्माण में मदद की। मैं विपक्ष के नेता दारेकर से यह सुनिश्चित करने का आग्रह करती हूं कि विधेयक पर जल्द से जल्द हस्ताक्षर हो जाएं ताकि अधिनियम लागू हो सके।’’ दारेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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