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बैलगाड़ी दौड़ बहाली के न्यायालय के फैसले का महाराष्ट्र के नेताओं ने स्वागत किया

By भाषा | Updated: December 16, 2021 17:39 IST

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मुंबई/पुणे, 16 दिसंबर महाराष्ट्र में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने दलगत भावना से ऊपर उठ कर राज्य में बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बृहस्पतिवार को स्वागत किया।

उप मुख्यमंत्री अजीत पवार ने शीर्ष न्यायालय के इस फैसले को ‘किसानों की जीत’ करार दिया और कहा कि इस कदम से पशुओं के संरक्षण में मदद मिलेगी।

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी शीर्ष न्यायालय के फैसले पर खुशी प्रकट की और दावा किया कि उन्होंने और उनकी पार्टी के अन्य नेताओं ने यह विषय केंद्र के समक्ष उठाया था।

न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद, पुणे जिले में बैलगाड़ी मालिकों ने पटाखे जला कर अपनी खुशी जाहिर की और कहा कि बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।

ग्रामीण महाराष्ट्र में एक लोकप्रिय खेल, बैलगाड़ी दौड़ पर 2014 में इस आधार पर प्रतिबंध लगा दिया गया था कि इससे बैलों को पीड़ा होती है। बृहस्पतिवार को शीर्ष न्यायालय ने राज्य में बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने की अनुमति दे दी।

अजीत पवार ने कहा कि प्रतिबंध हटाये जाने से, राज्य में अब बैलगाड़ी दौड़ बहाल हो सकती है, लेकिन उन्होंने किसानों से सभी नियम कायदों का अनुपालन करने की अपील की।

उन्होंने कहा, ‘‘इस फैसले से, बैल पालने वाले किसानों ने एक लंबी लड़ाई जीत ली है। ’’उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार, अन्य नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रतिबंध का कड़ा विरोध किया था।

अजीत ने कहा कि महाविकास आघाडी सरकार ने इस अदालती लड़ाई को मजबूती दी। यह सफलता राज्य में किसानों के बीच नयी स्फूर्ति का संचार करेगी।

राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता फडणवीस ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने 2014 में बैलगाड़ी दौड़ पर प्रतिबंध लगा दिया था। मैं व्यक्तिगत रूप से यह विषय केंद्र सरकार के पास ले गया और बाद में भाजपा विधायक महेश लांदगे ने इसे लेकर केंद्र को एक प्रतिवेदन दिया था। ’’

उन्होंने कहा कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी बैलगाड़ी दौड़ बहाल करने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की थी लेकिन शीर्ष न्यायालय ने उस पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। केंद्र ने 2017 में एक नया अधिनियम बनाया ताकि बैलगाड़ी दौड़ का आयोजन हो सके।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘बैलों की दौड़ने की क्षमता शीर्षक वाली एक रिपोर्ट दो महीने में तैयार की गई। आज का न्यायालय का फैसला रिपोर्ट में की गई सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद ही लिया गया है। मैं उच्चतम न्यायालय के फैसले से खुश हूं। ’’

शिवसेना के पूर्व सांसद (शिरूर से) शिवाजीराव अधलराव पाटिल ने कहा कि पिछले सात साल से राज्य में बैलगाड़ी दौड़ प्रतिबंधित थी लेकिन महाराष्ट्र सरकार, विभिन्न संगठनों, हितधारकों और उन्होंने इसके लिए एक लंबी लड़ाई लड़ी।

शिवसेना नेता ने कहा कि उन्होंने और बैलगाड़ी मालिकों ने जब आंदोलन करने की धमकी दी, तब राज्य सरकार नींद से जागी।

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य के वकील मुकुल रोहतगी के जरिए राज्य सरकार, पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने शीर्ष न्यायालय में राज्य का पक्ष मजबूती से रखा तथा इस सामूहिक प्रयास के चलते न्यायालय ने हमें आज यह अनुमति दी।’’

पिंपरी चिंचवड़ के भोसारी से भाजपा विधायक महेश लांदगे ने इसे किसानों और बैलगाड़ी मालिकों की जीत बताया।

बैलगाड़ी दौड़ के आयोजकों ने कहा कि शीर्ष न्यायालय की अनुमति मिलने के बाद राज्य के कई हिस्सों में, विशेष रूप से पश्चिमी महाराष्ट्र क्षेत्र में, जहां बैलगाड़ी दौड़ की 400 साल पुरानी परंपरा है, एक बार फिर लोगों को इस खेल का रोमांच देखने को मिल सकेगा।

न्यायालय के फैसले के बाद पुणे जिले में उत्साहित बैलगाड़ी मालिकों ने अपने बैलों को सजाया और पटाखे जलाए।

गांव के मेलों में बैलगाड़ी दौड़ एक मुख्य आकर्षण होता है और बैलगाड़ी संगठनों के मुताबिक ये आयोजन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायक होते हैं।

अखिल भारतीय बैलगाडा (बैलगाड़ी) शर्यत (प्रतियोगिता) संघटन के प्रतिनिधि रामकृष्ण टाकलकर ने कहा , ‘‘चूंकि शीर्ष न्यायालय ने सशर्त अनुमति दी है, ऐसे में हम सभी बैलगाड़ी मालिकों से नियम कायदों का अनुपालन करते हुए दौड़ का आयोजन करने की अपील करते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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