महाराष्ट्र में कथित करोड़ों रुपये के सिंचाई घोटाले के संबंध में अजित पवार के खिलाफ जांच बंद कर दी गई है। बताया जा रहा है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन के लिए बीजेपी के साथ आते ही पवार को राहत दी गई है। लगभग 70,000 करोड़ रुपये का यह घोटाला, पूर्ववर्ती कांग्रेस-एनसीपी के शासनकाल में महाराष्ट्र में विभिन्न सिंचाई परियोजनाओं के अनुमोदन और निष्पादन में कथित भ्रष्टाचार और अनियमितताओं से संबंधित है।एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाले मामलों की सूची में, कोई भी मामला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के खिलाफ कथित रूप से सिंचाई घोटाले से संबंधित नहीं है
एसीबी के सूत्रों का कहना है कि आज जो मामले बंद किए गए हैं वे सशर्त थे, यदि मामले में अधिक जानकारी प्रकाश में आती है या फिर अदालतें आगे की जांच का आदेश देती हैं दो जांच को दोबारा शुरू किया जा सकता है।
एसीबी के महानिदेशक परमबीर सिंह ने कहा कि हम सिंचाई संबंधी शिकायतों में लगभग 3000 टेंडरों की जांच कर रहे हैं। ये नियमित जांच थी, जिसे बंद किया गया है और सभी बाकी सभी जांचें जारी है।
एसीबी नागपुर के पुलिस अधीक्षक, रश्मि नांदेडकर ने इसी महीने के शुरुआत में कहा था कि प्राथमिक दर्ज कराने की अनुमति मांगने संबंधित प्रस्ताव पिछले एक साल से जल संसाधन विभाग के प्रमुख सचिव के पास लंबित है। इसलिए वीआईडीसी द्वारा आवंटित किए सात ठेके अभी तक पंजीकृत नहीं किए गए है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस के नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अजीत पवार के इस घोटाले में संलिप्त होने के सवाल पर अधिकारी ने कहा था किसी भी मामले में उनकी भूमिका अभी सामने नहीं आई है। एसीबी नागपुर 17 सिंचाई परियोजनाओं के लिए वीआईडीसी द्वारा आवंटित 302 अनुबंधों की जांच कर रही है।(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ)