महाराष्ट्र अस्पताल आग : हादसे के शिकार लोगों के परिजनों की दिवाली की खुशियां खाक

By भाषा | Updated: November 6, 2021 20:24 IST2021-11-06T20:24:29+5:302021-11-06T20:24:29+5:30

Maharashtra hospital fire: Happy Diwali to the families of the victims of the accident | महाराष्ट्र अस्पताल आग : हादसे के शिकार लोगों के परिजनों की दिवाली की खुशियां खाक

महाराष्ट्र अस्पताल आग : हादसे के शिकार लोगों के परिजनों की दिवाली की खुशियां खाक

पुणे, छह नवंबर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के सिविल अस्पताल के आईसीयू वार्ड में 31 वर्षीय विवेक खटीक के माता-पिता का कोविड-19 का इलाज चल रहा था और डॉक्टरों ने बताया था कि उनकी सेहत में सुधार हो रहा है लेकिन उन्हें तनिक भी इसका आभास नहीं था कि दिवाली के उत्सव के बीच अस्पताल में लगी आग उनसे पिता को छीन लेगी। हालांकि उनके लिए इस बात की तसल्ली है कि वह उसी वार्ड में भर्ती अपनी मां को बचा सके।

खटीक के पिता काडू बाल गंगाधर खटीक (65वर्षीय) उन 11 मरीजों में शामिल थे जिनकी मौत शनिवार को पूर्वाह्न 11 बजे अस्पताल के आईसीयू में लगी आग से हुई है।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘मेरे माता-पिता पिछले कई दिनों से आईसीयू वार्ड में भर्ती थे। उनकी सेहत में सुधार हो रहा था। आज सुबह अस्पताल कर्मियों ने हमें वार्ड से बाहर जाने को कहा क्योंकि उसकी सफाई करनी थी।’’ यह सब बताते हुए खटीक की आंखे भर आई।

उन्होंने कहा कि इसके बाद वह माता-पिता के लिए जूस लेने के लिए नजदीकी दुकान पर गए थे। खटीक ने बताया, ‘‘जैसे ही मैं जूस की दुकान पर पहुंचा, रिश्तेदार का अस्पताल में आग की जानकारी देने के लिए कॉल आया। मैं तुरंत अस्पताल गया और देखा कि आईसीयू वार्ड से काला धुआं निकल रहा है।

खटीक ने बताया कि वह सबसे पहले अपनी मां अल्का खटीक (50 वर्षीय) को जनरल वार्ड में लेकर आए और फिर पिता को बचाने के लिए गए।

विवेक ने पिता को कुछ अन्य लोगों की मदद से उठाया और बाहर लेकर आए। उन्होंने बताया, ‘‘ हमने उन्हें होश में लाने की कोशिश की, सीने को पंप किया लेकिन बहुत देर हो चुकी थी।’’

खटीक की तरह भगवान पवार के पिता भिवाजी पवार (80 वर्षीय) की सेहत में सुधार हो रहा था, लेकिन उससे पहले ही अग्निकांड के शिकार हो गए। पवार ने बताया, ‘‘हमने कल रात उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिलने की बात की थी और वह इसको लेकर बहुत खुश थे। लेकिन नसीब को कुछ और मंजूर था।’’ उन्होंने बताया कि वह भी वार्ड की सफाई की वजह से बाहर गए थे।

पवार ने कहा, ‘‘जब हम बाहर थे, तभी आईसीयू वार्ड में आग लगी और काला धुआं आने लगा। हमने मरीजों को बचाने के लिए खिड़कियों के शीशे तोड़े।’’ उन्होंने बताया कि उस समय चारों तरफ अफरातफरी का महौल था।

पवार ने कहा कि अगर उन्हें वार्ड को छोड़ने के लिए नहीं कहा जाता तो शायद वह अपने पिता को बचा लेते।

इस हादसे में अपनी मां सत्यभामा घोडेछोड़ को गंवा चुके श्याम घोडे़छोड़ ने इसके लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मां को पांच दिन पहले आईसीयू में स्थानांतरित किया गया था और वह ठीक हो रही थी। आज सुबह नौ बजे रिश्तेदार आईसीयू के बाहर इंतजार कर रहे थे तभी उन्हें सफाई के लिए वहां से जाने को कहा गया। आग लगने के बाद घना धुआं बाहर आने लगा। मैं और अन्य रिश्तेदार जो बाहर इंतजार कर रहे थे पत्थर से खिड़कियों के शीशे तोड़ने की कोशिश की लेकिन वे अंदर नहीं जा सके क्योंकि चारों तरफ धुआं था।’’

उन्होंने कहा कि मेरी मां की मौत संभवत: अक्सीजन की आपूर्ति बाधित होने से हुई।

अविनाश विधाते ने बताया कि उनकी 80 वर्षीय दादी रम्भा बाई विधाते को समय से आईसीयू से निकाल लिया गया और अब वह निजी अस्पताल में भर्ती हैं।

इस बीच, महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री बालासाहेब थोराट ने अस्पताल का दौरा किया है। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि मृतकों के परिजनों को पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि के अलावा दो लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

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Web Title: Maharashtra hospital fire: Happy Diwali to the families of the victims of the accident

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