कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना के प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बीजेपी नेता भी मैदान में आए। बीजेपी नेता नारायण राणे ने कहा है कि कांग्रेस-एनसीपी शिवसेना को मुर्ख बना रही है। राणे ने कहा 'शिवसेना को बेवकूफ बनाया जा रहा है, उन्हें नहीं लगता है कि कांग्रेस और एनसीपी उद्धव के साथ आएंगे।
नारायण राणे ने कहा है कि सरकार बनाने के लिए जो भी करना पड़ेगा वो करेंगे। देवेंद्र फड़नवीस इस दिशा में सभी प्रयास कर रहे हैं। उधर, देवेंद्र फडनवीस ने कहा कि 'राष्ट्रपति शासन दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन हमें उम्मीद है कि महाराष्ट्र को जल्द ही एक स्थिर सरकार मिलेगी।'
उधर, उद्धव की मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि हम अब भी सरकार बना सकते हैं बस हमे थोड़ा वक्त चाहिए। उद्धव ठाकरे ने कहा 'जब जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और बीजेपी सरकार बना सकते हैं तो हम भी सरकार बना सकते हैं।कांग्रेस और एनसीपी ने शिवसेना से वक्त मांगा है। ठाकरे ने कहा कि जब राज्य के बीजेपी चीफ चंद्रकांत पाटिल ने जब सरकार बनान से इनकार किया था तो हमें एनसीपी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए शुभकामनाएं दी थी। इसके साथ ही उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमे पहले 48 घंटे का समय नहीं दिया था पर अब राज्यपाल ने हमें 6 महीने का समय दे दिया है। अब हम तीनों (कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना) कॉमन मिनिमम प्रोग्राम पर बातचीत करेंगे। अब तक सिर्फ शिवसेना ने सरकार बनाने का दावा पेश किया है। ऐसे में हमारा दावा अब भी बरकार है।'
वहीं, कांग्रेस और एनसीपी के बीच हुई बैठक में फिलहाल कोई निर्णय नहीं निकला है और शिवसेना को बड़ा झटका लगा है। इस बीच राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन को लेकर कांग्रेस ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि उसने कई राज्यों में मनमानी की है।
कांग्रेस और एनसीपी के बीच हुई बैठक के बाद दोनों पार्टियों ने संयुक्त रूप से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने बताया आज एनसीपी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच बैठक हुई। 11 नवंबर को शिवसेना ने पहली बार औपचारिक रूप से हमसे संपर्क किया। हम सभी मुद्दों पर चर्चा करेंगे और फिर निर्णय लेंगे।
कांग्रेस नेता अहमद पटेल ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी, शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल ने न्योता दिया, लेकिन कांग्रेस को नहीं दिया गया। हम इसकी निंदा करते हैं। साथ ही साथ मोदी सरकार को राष्ट्रपति शासन के लिए जिम्मदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र ने कभी नियमों का पालन नहीं किया और उसने कई राज्यों में मनमानी की है। संविधान का मजाक उड़ाने की कोशिश की गई है। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने शिवसेना को समर्थन देने के लिए कहा हम जल्दबाजी में नहीं हैं। हम कांग्रेस के साथ चर्चा करेंगे और फिर एक निर्णय लेंगे।
आपको बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर हुए चुनावों में 105 सीटें जीतते हुए बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। राज्य के चुनाव में शिवसेना को 56 सीटें मिलीं। इसके अलावा राकांपा को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों का समर्थन जरूरी है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर बीजेपी और शिवसेना के बीच खींचतान खत्म हो चुकी है। दोनों पार्टियों ने गठबंधन कर एकसाथ चुनाव लड़ा और एनडीए को बहुमत भी प्राप्त हुआ, लेकिन शिवसेना मुख्यमंत्री पद के लिए 50:50 का फार्मूला चाहती थी, लेकिन बीजेपी इस पर तैयार नहीं हुई।