मुंबई, तीन अप्रैल इस वक्त जबकि देश में कोविड-19 के दैनिक मरीजों में से आधे से अधिक संक्रमित महाराष्ट्र में सामने आ रहे हैं, राज्य के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार औद्योगिक इस्तेमाल के लिए तय आक्सीजन आपूर्ति को भी चिकित्सकीय उपयोग के लिए निर्धारित करने पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने समाचार पत्र मालिकों, संपादकों और वितरकों के साथ एक ऑनलाइन संवाद में कहा कि महामारी से निपटने के लिए कड़े कदम उठाने पर जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। हालांकि उन्होंने इसकी पुष्टि नहीं की है कि राज्यव्यापी लॉकडाउन होगा या नहीं।
महाराष्ट्र में शुक्रवार को कोविड-19 के 47827 नए मामले सामने आये जो लगभग साढ़े छह महीने में एक दिन में सामने आने वाले सबसे अधिक मामले हैं। वहीं देश में एक दिन में कोविड-19 के कुल 89,129 नए मामले सामने आये।
ऐसे में जब ऑक्सीजन की मांग में वृद्धि हो रही है राज्य के जन स्वास्थ्य विभाग ने पिछले महीने ऑक्सीजन निर्माताओं को निर्देश दिया था कि वे अपने भंडार में से 80 प्रतिशत हिस्सा चिकित्सकीय उपयोग के लिए आपूर्ति करें जबकि बाकी 20 प्रतिशत औद्योगिक उद्देश्यों के लिए बनाए रखें।
ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार मामलों में वृद्धि और राज्य में स्थिति ‘‘खतरनाक’’ होने के चलते शेष 20 प्रतिशत का उपयोग भी चिकित्सा के लिए निर्धारित करने पर विचार कर रही है।
एक अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र में ऑक्सीजन की दैनिक मांग 700 मीट्रिक टन हो गई है जबकि राज्य की उत्पादन क्षमता 1200 मीट्रिक टन से अधिक है।
चिकित्सकीय उपयोग के लिए 80 प्रतिशत आपूर्ति निर्धारित करने से संबंधित एक अधिसूचना मंगलवार को जारी की गई थी। इसमें कहा गया था कि यह नियम पूरे महाराष्ट्र में लागू होगा और 30 जून तक प्रभावी रहेगा।
ठाकरे ने कहा कि राज्य सरकार जांच की संख्या बढ़ा रही है और साथ ही संक्रमण के एक भी मामले को छुपा नहीं रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ई-आईसीयू खोलने और टेलीमेडिसिन का उपयोग बढ़ाने जैसे कदमों पर भी विचार कर रही है।
ठाकरे ने कहा, ‘‘अगर कोई ऐसा समय आता है जब किसी की आजीविका छीनती है, तो नाराजगी होना लाजमी है, लेकिन यदि दुविधा यह है कि जीवन बचायें या नौकरी तो जीवन को प्राथमिकता देना जरूरी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछले एक साल से लोगों से कह रहे हैं। मुझे लगता है कि अगर सभी लोगों, चाहे निजी कार्यालय हों या दुकानें, काम करने के घंटों को पालियों में बांटने के हमारे निर्देशों को लागू किया होता तो शायद स्थिति इतने खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंची होती।’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि कार्यालय समय को 24 घंटे में विभाजित किया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘‘यदि समय के घंटों को बांटा गया होता तो लोकल ट्रेनों और बेस्ट सिटी बसों में भीड़ कम होती। दुर्भाग्य से, ऐसा नहीं हुआ।’’
ठाकरे ने कहा, ‘‘हमने मास्क पहनने, हैंड सैनिटाइज़र का इस्तेमाल करने और सुरक्षित दूरी बनाए रखने पर भी जोर दिया है। डब्ल्यूएचओ भी ऐसा कहता है। वह कहता है कि टीका लगवा चुके व्यक्ति को भी इन नियमों का पालन करने की जरूरत है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा नहीं है कि हमने कोशिश नहीं की। पिछले साल हमने टीमों को घरों में भेजा था। यह संभव हुआ क्योंकि लॉकडाउन था। यहां तक कि अब संक्रमित व्यक्ति के सम्पर्क में आये व्यक्तियों का पता लगाना मुश्किल हो गया है।’’
मुख्यमंत्री ने महामारी के दौरान कुछ राज्यों में चुनावी रैलियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘अन्य राज्यों में, हजारों और लाखों लोगों की राजनीतिक रैलियां हो रही हैं लेकिन कोरोना वायरस के मामले उन राज्यों की तुलना में महाराष्ट्र में अधिक हैं।’’
उन्होंने कहा कि मीडिया को लोगों को जागरूक करना चाहिए कि कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि जनता की भी है। उन्होंने कहा कि लोगों के दिमाग से कोरोना वायरस के डर को महामारी के बारे में जागरूकता से बदला जाना चाहिए।
ठाकरे ने उनकी सरकार के महामारी से निपटने के बारे में भाजपा नेताओं के दावे की ओर परोक्ष तौर पर इशारा करते हुए कहा, ‘‘कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
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