महाराष्ट्र की सियासत में आचानक हुए उलटफेर के बाद कांग्रेस अपने विधायकों को राज्य से बाहर भेजने की तैयारी में है। सूत्रों की मानें तो उन्होंने किसी कांग्रेसशासित प्रदेश में भेजेंगे। ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि विधायकों को भोपाल या जयपुर भेजा जा सकता है। बता दें कि शनिवार को एनसीपी नेता अजित पवार की मदद से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा के देवेंद्र फड़णवीस की वापसी हो गयी। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
अगर अजीत पवार सरकार में बने रहने के लिये एनसीपी को तोड़ते हैं तो उन्हें 36 विधायकों की जरूरत होगी। क्योंकि चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार पार्टी को तोड़ने के लिये दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होती है। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि भाजपा के साथ जाने का फैसला उनके भतीजे का व्यक्तिगत निर्णय है न कि पार्टी का। राजभवन में तड़के हुए शपथ ग्रहण समारोह के बारे में लोगों को आभास भी नहीं हुआ और कुछ लोगों ने इसे ‘‘गुप्त’’ घटना बताया।
फड़णवीस के 2014 में शपथ ग्रहण समारोह में वानखेड़े स्टेडियम में हजारों लोग मौजूद थे। राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के तुरंत बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र का शासन हटाने के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और इस संबंध में एक गजट अधिसूचना तड़के पांच बजकर 47 मिनट पर जारी की गयी।
यह शपथ ग्रहण ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी थी। शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला लेकर अजित पवार पर शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया।
फड़णवीस की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी के साथ ही राज्य में महीने भर से चल रहा राजनीतिक गतिरोध खत्म हो गया। शरद पवार ने शुक्रवार रात को ही कहा था कि नयी सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे। तीनों पार्टियों ने नयी सरकार के गठन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा भी तैयार कर लिया था।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद शरद पवार ने ट्वीट किया, ‘‘महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह राकांपा का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।’’
महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिये 145 सीटों की जरूरत है। एनसीपी के पास कुल 54 सीटें हैं और बीजेपी के पास 105 सीटें हैं। अगर अजीत पवार एनसीपी को तोड़कर 36 विधायक अपने पाले में कर भी लेते हैं तब बीजेपी और एनसीपी को मिलाकर कुल 141 सीटों तक ही यह गिनती पहुंचेगी।