महाराष्ट्र कांग्रेस ने भाजपा पर मराठा समुदाय के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया
By भाषा | Updated: May 27, 2021 18:01 IST2021-05-27T18:01:55+5:302021-05-27T18:01:55+5:30

महाराष्ट्र कांग्रेस ने भाजपा पर मराठा समुदाय के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया
मुंबई, 27 मई महाराष्ट्र कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को भाजपा पर मराठा समुदाय के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया और दावा किया कि सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग (एसईबीसी) आरक्षण का विरोध करने वाले एक संगठन का भाजपा-आरएसएस से संबंध अब खुलकर सामने आ गया है।
हालांकि, भाजपा ने कहा कि वह समुदाय के लिए आरक्षण का समर्थन करती है और भविष्य में भी ऐसा करती रहेगी। उसने आरोप लगाया कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अफवाह फैला रही है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए दावा किया कि उच्चतम न्यायालय में मराठा आरक्षण का विरोध करने वाले 'मेरिट बचाओ देश बचाओ' संगठन के पदाधिकारियों का भाजपा-आरएसएस से संबंध अब खुलकर सामने आ गया है।
सावंत ने कहा, “ जब भाजपा आरक्षण का विरोध करने वाले संगठनों की मदद करती है तब क्या यह मराठा समुदाय के साथ विश्वासघात नहीं है ? ये महज इत्तेफाक नहीं हो सकता है। क्या भाजपा ने पार्टी पदाधिकारियों को इस संगठन से जुड़े रहने से रोका? हम भाजपा से स्पष्टीकरण चाहते हैं।”
उन्होंने मराठा आरक्षण के मुद्दे को लेकर पांच जून को भाजपा के प्रस्तावित प्रदर्शन पर निशाना साधा।
सावंत ने कहा, “ अगर कोविड-19 के मामले बढ़ते हैं, तो सुपरस्प्रेडर भाजपा इसके लिए जिम्मेदार होगी। एमवीए सरकार ने कानूनी टीम या भाजपा शासन के दौरान विधायिका द्वारा पारित अधिनियम के मसौदे में कोई बदलाव नहीं किया। तो कैसे एमवीए जिम्मेदार हो गई?”
सावंत ने भाजपा पर मौके की राजनीति करने का आरोप लगाया।
इस बीच, सावंत के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए, भाजपा प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि कांग्रेस अफवाहें फैला रही है क्योंकि वह आंदोलन से डरी हुई है।
उन्होंने कहा, “ दरअसल, कांग्रेस और राकांपा के कुछ नेताओं ने अदालत में आरक्षण विरोधी याचिकाओं का समर्थन किया था। भाजपा आरक्षण के समर्थन में थी और आगे भी रहेगी।”
इस महीने के शुरू में, उच्चतम न्यायालय ने मराठों को शिक्षण संस्थानों में दाखिले और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने वाले महाराष्ट्र के कानून को रद्द कर दिया था और इसे ‘असंवैधानिक’ बताते हुए कहा था कि आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा लांघने के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं थी जिसका निर्धारण 1992 के मंडल फैसले में किया गया है।
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