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महाराष्ट्र सहकारी बैंक घोटाला: NCP नेता अजित पवार सहित 70 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज

By भाषा | Updated: August 27, 2019 06:07 IST

महाराष्ट्र: उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस के शिंदे की पीठ ने 22 अगस्त को कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ‘‘ठोस साक्ष्य’’ हैं और ईओडब्ल्यू को पांच दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए।

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ठळक मुद्देमुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में बंबई उच्च न्यायालय के निर्देशों पर सोमवार को राकांपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार तथा अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवम्बर 2010 से 26 सितम्बर 2014 तक उपमुख्यमंत्री रहे थे।

मुंबई पुलिस ने महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (एमएससीबी) घोटाला मामले में बंबई उच्च न्यायालय के निर्देशों पर सोमवार को राकांपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार तथा अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया। राकांपा प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवम्बर 2010 से 26 सितम्बर 2014 तक उपमुख्यमंत्री रहे थे।

एक अधिकारी ने बताया कि अन्य आरोपियों में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के नेता जयंत पाटिल और राज्य के 34 जिलों में बैंक इकाई के अधिकारी शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया, ‘‘हमने आर्थिक अपराध शाखा की शिकायत पर एमआरए मार्ग थाने में मामला दर्ज किया है।’’

उन पर भादंसं की धारा 420 (ठगी और बेईमानी), 409 (नौकरशाह या बैंकर, व्यवसायी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासहनन), 406 (आपराधिक विश्वासहनन के लिए सजा), 465 (धोखाधड़ी के लिए सजा), 467 (मूल्यवान चीजों की धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र की सजा)के तहत मामला दर्ज किया गया है।

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति एस के शिंदे की पीठ ने 22 अगस्त को कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ‘‘ठोस साक्ष्य’’ हैं और ईओडब्ल्यू को पांच दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए। एमएससीबी को 2007 और 2011 के बीच एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था जिसमें आरोपियों की कथित तौर पर मिलीभगत थी।

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की जांच के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटीज कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक जांच आयोग की तरफ से दायर आरोप पत्र में नुकसान के लिए पवार और अन्य आरोपियों के ‘‘निर्णयों, कार्रवाई और निष्क्रियताओं’’ को जिम्मेदार ठहराया गया।

स्थानीय कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में ईओडब्ल्यू में शिकायत दर्ज कराई और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी।

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