महाराष्ट्र में एनसीपी नेता अजित पवार की मदद से राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर बीजेपी के देवेंद्र फड़नवीस की वापसी हो गयी। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुंबई बीजेपी ऑफिस पहुंचे महाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि हम महाराष्ट्र को मजबूत सरकार देंगे जो पूरे 5 साल चलेगी। साथ ही उन्होंने कहा 'मोदी है तो मुमकिन है।'
शनिवार को देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि भाजपा के साथ जाने का फैसला उनके भतीजे का व्यक्तिगत निर्णय है न कि पार्टी का। राजभवन में तड़के हुए शपथ ग्रहण समारोह के बारे में लोगों को आभास भी नहीं हुआ और कुछ लोगों ने इसे ‘‘गुप्त’’ घटना बताया।
फड़नवीस के 2014 में शपथ ग्रहण समारोह में वानखेड़े स्टेडियम में हजारों लोग मौजूद थे। राज्य में राष्ट्रपति शासन हटाने के तुरंत बाद शपथ ग्रहण समारोह हुआ। महाराष्ट्र में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्र का शासन हटाने के लिए घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए और इस संबंध में एक गजट अधिसूचना तड़के पांच बजकर 47 मिनट पर जारी की गयी।
यह शपथ ग्रहण ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के नाम पर सहमति बनी थी। शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने का फैसला लेकर अजित पवार पर शिवसेना की पीठ में छुरा घोंपने का आरोप लगाया।
फड़नवीस की मुख्यमंत्री के तौर पर वापसी के साथ ही राज्य में महीने भर से चल रहा राजनीतिक गतिरोध खत्म हो गया। शरद पवार ने शुक्रवार रात को ही कहा था कि नयी सरकार का नेतृत्व उद्धव ठाकरे करेंगे। तीनों पार्टियों ने नयी सरकार के गठन के लिए न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) का मसौदा भी तैयार कर लिया था।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद शरद पवार ने ट्वीट किया, ‘‘महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा को समर्थन देने का अजित पवार का फैसला उनका व्यक्तिगत निर्णय है। यह राकांपा का फैसला नहीं है। हम यह स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम इस फैसले का समर्थन नहीं करते।’’
गठबंधन में राज्य विधानसभा चुनाव लड़ने वाली भाजपा और शिवसेना ने 288 सदस्यीय सदन में क्रमश: 105 और 56 सीटें जीती थीं लेकिन शिवसेना ने भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री पद साझा करने से इनकार करने के बाद उसके साथ अपने तीन दशक पुराने संबंध खत्म कर लिए। दूसरी ओर, चुनाव पूर्व गठबंधन करने वाली कांग्रेस और राकांपा ने क्रमश: 44 और 54 सीटें जीती।