महाराष्ट्र: शिवसेना को सीएम पद नहीं देगी BJP, उद्धव ठाकरे के नहीं मानने पर अन्य विकल्पों पर करेगी विचार
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: November 6, 2019 07:44 AM2019-11-06T07:44:24+5:302019-11-06T07:44:24+5:30
शिवसेना सरकार में फिफ्टी-फिफ्टी की हिस्सेदारी एवं ढाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर अड़ गई.
भाजपा ने फैसला किया है कि मुख्यमंत्री का पद पांच वर्ष तक उसके (BJP) ही पास रहने की शर्त मंजूर होने पर ही शिवसेना से युति की जाएगी अन्यथा अन्य विकल्पों पर विचार किया जाएगा. यह जानकारी विश्वसनीय सूत्रों ने दी. मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मंगलवार की रात नागपुर में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से बंद कमरे में चर्चा की. उसके बाद से कयासों का दौर शुरू हो गया है.
सूत्रों के अनुसार सरकार के गठन के लिए दोनों पार्टियों में सीधी चर्चा शुरू नहीं हुई है, फिर भी मुख्यमंत्री फड़नवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे एक मध्यस्थ के मार्फत गत आठ दिनों से एक-दूसरे के संपर्क में हैं. इस चर्चा में मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि किसी भी हालत में भाजपा मुख्यमंत्री पद नहीं छोड़ेगी. शिवसेना मुख्यमंत्री पद लेने पर अगर अड़ी रही तो बहुमत साबित करने के लिए 'प्लान बी' क्या होगा, इस पर भाजपा में मंत्रणा चल रही है.
संघ मुख्यालय में बंद द्वार चर्चा, सरकार गठन, सुरक्षा पर मंथन
शिवसेना के मुख्यमंत्री पद पर अड़ने की वजह से प्रदेश में सरकार के गठन में फंसे पेंच के बीच मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने मंगलवार रात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय पहुंचकर सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत से चर्चा की. उन्होंने इस दौरान राज्य के राजनीतिक हालात एवं अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के अपेक्षित फैसले को लेकर की गई सुरक्षा बंदोबस्त पर चर्चा की.
सरकार के गठन को लेकर आरंभ उठापटक से समय निकालकर मुख्यमंत्री रात 9 बजे शहर के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानतल से सीधे संघ मुख्यालय के लिए रवाना हुए. रात साढ़े नौ बजे उन्होंने डॉ. मोहन भागवत से मुलाकात कर उन्हें राज्य की राजनीतिक परिस्थिति से अवगत कराया. बैठक को लेकर आधिकारिक रूप से कोई बोलने को तैयार नहीं है. लेकिन सूत्रों का दावा है कि आधे घंटे चली इस चर्चा में सरकार के गठन के पर्याय पर मंथन हुआ.
मुख्यमंत्री ने बैठक को लेकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. सूत्रों के अनुसार शिवसेना की भूमिका, सरकार स्थापना में अड़चनें और भविष्य की दिक्कतों पर चर्चा हुई. इसके साथ ही अयोध्या के राम मंदिर पर जल्द अपेक्षित सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर भी बातचीत हुई. सूत्रों का दावा है कि मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राज्य में शांति को कायम रखने की दिशा में क्या- क्या पहल की जा रही है. उधर कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मुलाकात के बाद सरकार के गठन की अड़चनें दूर होंगी. उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित जगह नहीं मिली.
इसके बाद शिवसेना सरकार में फिफ्टी-फिफ्टी की हिस्सेदारी एवं ढाई वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग को लेकर अड़ गई. शिवसेना की ओर से भाजपा पर दबाव डाला जा रहा है. दूसरी ओर राकांपा एवं कांग्रेस भी हालात को और गंभीर करने के लिए बयानबाजी कर रहे हैं. ऐसे में चर्चा हो रही है कि मुख्यमंत्री किस दल का होगा.