मुख्यमंत्री पद के लिए भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना अड़ी हुई है। दोनों में से कोई समझौता करने के लिए तैयार नहीं है। इस स्थिति में दोनों पार्टियां सोमवार को राजभवन का रुख करेंगे। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सीएम देवेंद्र फडनवीस और शिवसेना नेता और ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर दिवाकर राउत राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से अलग-अलग मुलाकात करेंगे।
TOI ने एक वरिष्ठ बीजेपी नेता के हवाले से लिखा, 'गवर्नर से मुलाकात का कोई एजेंडा सेट नहीं है लेकिन निश्चित रूप से सरकार गठन की चर्चा होगी। मुख्यमंत्री वर्तमान राजनीतिक स्थिति से गवर्नर को अवगत कराएंगे। राउत भी अपनी पार्टी का नजरिया पेश करेंगे। खासकर शिवसेना के विधायक दल की बैठक में जो तय हुआ है।'
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी का मानना था कि वो बहुमत के लिए जरूरी 145 सीट हासिल कर लेगी और शिवसेना की जरूरत नहीं पड़ेगा। दोनों पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा और नतीजे सामने आने के बाद स्पष्ट हुआ कि बीजेपी को सरकार बनाने के लिए शिवसेना, कांग्रेस अथवा एनसीपी की जरूरत है। शिवसेना ने अपने सहयोगी दल भाजपा से शनिवार को लिखित में आश्वासन मांगा था कि वह महाराष्ट्र में ‘सत्ता में बराबर की हिस्सेदारी के फार्मूले’ (50:50) को लागू करेगी।
रविवार को शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में कहा गया कि भारतीय जनता पार्टी ने 106 सीटें जीतीं और शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं। यह स्पष्ट बहुमत है लेकिन 'गठबंधन' के बावजूद दोनों दलों को बड़ी सफलता नहीं मिली है। 2014 में भाजपा ने 122 सीटें और शिवसेना ने 63 सीटें जीती थी। शिवसेना ने यह सफलता तब हासिल की जब वह बड़ी ताकत और जबरदस्त धन से टकराई। इस बार सत्तारूढ़ गठबंधन के समर्थन के बावजूद शिवसेना 56 सीटों पर रही। हालांकि यह 56 अपेक्षाकृत कम संख्या है, लेकिन महाराष्ट्र की सत्ता का 'रिमोट कंट्रोल' उद्धव ठाकरे के हाथ में है।
बीजेपी महाराष्ट्र में 105 सीटें जीतकर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। 288 सदस्यों वाली विधानसभा में शिवेसना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली है। यहां बहुमत का आंकड़ा पार करने के लिए 145 सीटों की जरूरत है।