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महाराष्ट्र चुनाव, पश्चिम महाराष्ट्र: क्या रंग लाएगा शरद पवार का 'करिश्मा', कांग्रेस-एनसीपी के सामने अपना गढ़ बचाने की चुनौती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 20, 2019 08:59 IST

Western Maharashtra 47 Assembly constituencies: कभी कांग्रेस-एनसीपी का गढ़ माने जाने वाले पश्चिमी महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना ने तेजी से किया है विस्तार

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ठळक मुद्देमहाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में पश्चिमी महाराष्ट्र की 47 सीटों पर रहेगी नजरकभी कांग्रेस-एनसीपी का गढ़ रहा है ये क्षेत्र अब बीजेपी-शिवसेना की तरफ खिसकता दिख रहा है

पश्चिम महाराष्ट्र के 47 विधानसभा सीटों पर आमतौर पर राकांपा-कांग्रेस का बोलबाला रहता है, लेकिन पिछले चुनाव में पुणे और कोल्हापुर जिले में इन दोनों दलों को तगड़ा झटका दिया था। मगर इस बार स्थिति कुछ अलग है। कांग्रेस और राकांपा को यहां से राहत मिल सकती है। 

हालांकि उधर सोलापुर जिले में कांग्रेस और राकांपा को अच्छी खबर नहीं मिलती दिखाई दे रही है। पश्चिम महाराष्ट्र से ही राकांपा को तगड़े झटके मिले हैं। उसके कईं नेता भाजपा में शामिल हो गए हैं। इसके बावजूद यही कहा जा सकता है कि राकांपा और कांग्रेस को ज्यादातर सीटें पश्चिम महाराष्ट्र से ही मिलेंगी।

पुणे जिला

पुणे जिले की 21 सीटों में से फिलहाल भाजपा के पास 13, शिवसेना के पास 3, राकांपा के पास 3 कांग्रेस और मनसे के पास एक-एक सीटें हैं। पिछले चुनाव में पुणो शहर की आठों सीटों पर भाजपा ने कब्जा कर राकांपा को भारी झटका दिया था। लेकिन इस बार ठिक उसी तरह की स्थिति नहीं है।

कोथरूड में भाजपा के चंद्रकांत पाटील को हालांकि कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है, लेकिन इसके बाद भी उनकी जीत के अवसर ज्यादा माने जा रहे हैं। उन्होंने किसी तरह उनके खिलाफ जो नाराजगी का माहौल बना था, उसे दूर करने में सफलता पा ली है।

मनसे के किशोर शिंदे को बाकी विपक्षी दलों ने समर्थन घोषित कर दिया है. अब देखना यही है कि यह समर्थन वोटों में कितना तब्दील हो पाता है. चंद्रकांत पाटील मूलत: कोल्हापुर जिले के हैं। क्षेत्र के लोगों की नाराजगी इसी बात को लेकर है कि उन्हें थोपा जा रहा है. पर्वती विधानसभा सीट से भाजपा की माधुरी मिसाल की जीत लगभग निश्चित मानी जा रही है। उन्हें यहां से राकांपा की  ओर से तगड़ी टक्कर नहीं मिल पा रही है। पुणे से भाजपा ने इस बार पूर्व राज्यमंत्री दिलीप कांबले के बजाए उनके भाई सुनील कांबले को टिकट दिया है। उनके सामने शहर कांग्रेस के अध्यक्ष रमेश बागवे खड़े हैं. यहां दोनों के बीच कड़ा मुकाबला देखा जा रहा है।

कसबा सीट से भाजपा ने पुणो की महापौर मुक्ता तिलक को मौका दिया है. उनके सामने कांग्रेस के अरविंद शिंदे जोर आजमाइश कर रहे हैं. इसी सीट से शिवसेना के विशाल धनवड़े  ने बगावत कर दी है. फिर भी मुक्ता तिलक का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है. वड़गांव शेरी में भाजपा के जगदीश मुलिक को इस बार राकांपा के सुनील टिंगरे से कड़ी टक्कर मिल रही है. शिवाजीनगर में सांसद अनिल शिरोले के बेटे सिद्धार्थ शिरोले को भाजपा ने अवसर दिया है. उनके सामने कांग्रेस से दत्ता बहिरट खड़े हैं. यहां से शिरोले का पलड़ा भारी बताया जा रहा है।

खड़कवासला से भाजपा ने मौजुदा विधायक भीमराव तापकिर को फिर मौका दिया है. इस बार उनके सामने राकांपा के सचिन दोड़के हैं. यहां से तापकिर की जीत निश्चित मानी जा रही हैं. हडपसर से भाजपा ने योगेश केलेकर को दूसरी बार मौका दिया है. उनको राकांपा के चेतन तुपे और मनसे के वसंत मोरे कड़ी टक्कर दे रहे हैं।

शिरूर में भाजपा के बाबूराव पाचरणो का पलड़ा राकांपा के अशोक पवार के मुकाबले भारी दिखाई दे रहा है। दौंड़ में भाजपा के राहुल कुल को राकांपा के रमेश थोरात से कड़ी चुनौती मिल रही है. इंदापुर से पूर्व मंत्री हर्षवर्धन पाटील इस बार भाजपा से किस्मत आजमा रहे हैं। उनका मुकाबला मौजुदा विधायक दत्तात्रय भरणो (राकांपा) से होने जा रहा है. पाटील के लिए आसान नहीं है। 

बारामती में अजित पवार (राकांपा) की जीत निश्चित मानी जा रही है। भाजपा के गोपीचंद पडलकर महज औपचारिकता के लिए खड़े हैं। पुरंदर में शिवसेना के विजय शिवतारे और कांग्रेस के संजय जगताप के बीच कड़ा मुकाबला होने जा रहा है। भोर में कांग्रेस के संग्राम थोपटे के सामने शिवसेना के कुलदीप कोंडे और शिवसेना के ही बागी आत्माराम तलाटे खड़े हैं. थोपटे के जीत के अवसर ज्यादा है।

जुन्नर सीट से मौजुदा विधायक शरद सोनवणो इस बार शिवसेना लड़ रहे हैं. उन्हें राकांपा के अतुल बेनके और शिवसेना की बागी आशा बुचके से कड़ी चुनौती मिल रही हैं. आंबेगांव में पूर्व मंत्री दिलीप वलसे पाटील (राकांपा) की जीत निश्चित मानी जा रही है. उनके सामने शिवसेना के राजाराम बांणखिले कोई चुनौती नहीं पेश कर पा रहे हैं।

पिछले चुनाव में शिवसेना ने जिले की कुल 10 सीटों में से 6 सीटें जीतकर भारी सफलता प्राप्त की थी। इस बार उसके लिए स्थिति उतनी अनुकूल नहीं है. पिछली बार भाजपा और राकांपा को दो-दो सीटें मिली थी. इस बार राकांपा की सीटें बढ़ने की संभावना है।

कोल्हापुर जिला

शाहुवाड़ी सीट से जनसुराज्य शक्ती के विनय कोरे की जीत के आसार नजर आ रहे हैं। कोल्हापुर उत्तर से शिवसेना के राजेश क्षीरसागर को इस बार कड़ा मुकाबला करना पड़ रहा है. उनके लिए इस बार जीत बिलकुल आसान नहीं है. कोल्हापुर दक्षिण से पूर्व मंत्री सतेश (बंटी) पाटील के भतीजे ऋतुराज पाटील चुनाव लड़ रहे हैं. वे मौजुदा विधायक अमल महाड़िक को कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं. करवीर विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएन पाटील की जीत के आसार दिखाई दे रहे हैं। कागल में पूर्व मंत्री और राकांपा के नेता हसन मुश्रिफ की जीत निश्चित मानी जा रही है। 

ठीक इसी तरह चंदगढ़ में पूर्व विधायक नरसिंह पाटील के बेटे राजेश पाटील राकांपा के टिकट से लड़ रहे हैं. उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है. इचलकरंजी में कांग्रेस पूर्व नेता प्रकाश आवाड़े इस बार निदलीय खड़े हैं. उन्हें कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त हैं. इसी कारण भाजपा के मौजुदा विधायक सुरेश हालवणकर की राहें मुश्किल हो गई हैं. शिरोल में स्वाभिमानी किसान पार्टी को जीत मिल सकती है. हातकलंगले में कांग्रेस के राजू आवले का पलड़ा भारी जान पड़ता है।

बारामती सीट से शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की जीत लगभग तय माना जा रही है" title="बारामती सीट से शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की जीत लगभग तय माना जा रही है"/>
बारामती सीट से शरद पवार के भतीजे अजीत पवार की जीत लगभग तय माना जा रही है

सांगली जिला

सांगली जिले की आठ सीटों पर मुकाबले की स्थिति बन रही हैं। हालांकि इस्लामपुर में पूर्व मंत्री जयंत पाटील की जीत पक्की मानी जा रही है। शिराला विधानसभा सीट से राकांपा के मानसिंग नाईक कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। उनके सामने भाजपा और निर्दलीय उम्मीदवार खड़े हैं। पलुस-कड़ेगांव से पूर्व मंत्री दिवंगत पतंगराव कदम के बेटे विश्वजीत कदम की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. खालापुर में शिवसेना के मौजुदा विधायक अनिल बाबर को इस बार सदाशिव पाटील से (कांग्रेस-राकांपा) कड़ी चुनौती मिल रही है।

तासगांव-कवठे महांकाल से दिवंगत पूर्व मंत्री आरआर पाटील की पुत्री सुमनताई पाटील का पलड़ा भारी माना जा रहा है. जत में भाजपा के विलास जगताप को बागी उम्मीदवार रवींद्र आरली से कड़ी चुनौती मिल रही है। यहां से कांग्रेस के विक्रम सावंत भी जोर आजमाईश कर रहे हैं. सांगली में भाजपा के सुधीर गाड़गील फिर से जीत सकते हैं। हालांकि कांग्रेस के पृथ्वीराज पाटील उन्हें चुनौती दे रहे हैं. मीरज में मौजुदा मंत्री सुरेश खाड़े की कामयाबी निश्चित मानी जा रही हैं. उनके सामने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन पार्टी के बालासाहेब होनमारे सशक्त चुनौती नहीं दे पा रहे हैं।

सातारा जिला

सातारा जिले की कुल आठ सीटों पर राकांपा और कांग्रेस का दबदबा कायम दिखाई दे रहा है। इस बार सातारा लोकसभा सीट का उपचुनाव भी होने जा रहा है। राकांपा से भाजपा में जानेवाले उदयनराजे भोसले को पूर्व सांसद श्रीनिवास पाटील के सामने कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही हैं. शुक्रवार को भारी बारिश के बावजूद लोग राकांपा के प्रमुख शरद पवार को सुनने के लिए जहां के तहां खड़े रहें. इसके चलते माना जा रहा है कि सातारा जिले में राकांपा की हवा में जोर पकड़ लिया है।

वाई विधानसभा सीट से राकांपा के मकरंद पाटील के जीत के आसार बन पा रहे हैं. उनके सामने भाजपा के मदन भोसले खड़े हैं, जो कुछ दिन पहले तक कांग्रेस में हुआ करते थे. सातारा सीट से शिवेंद्रराजे भोसले की जीत पक्की मानी जा रही हैं. उनके समक्ष राकांपा के दीपक पवार चुनौती नहीं दे पा रहे हैं. कोरेगांव में राकांपा के शशीकांत शिंदे का पलड़ा खासा भारी दिखाई दे रहा है। यहां से शिवसेना के महेश शिंदे भी चुनाव लड़ रहे हैं। 

माण विधानसभा सीट से भाजपा के जयकुमार गोरे की जीत पक्की मानी जा रही है। वे हालही में कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे. उनके सामने उन्हीं के भाई शेखर गोरे शिवसेना की टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। इसी तरह राकांपा समर्थित पूर्व आइएएस अफसर प्रभाकर देखमुख भी किस्मत आजमा रहे हैं. कराड़ उत्तर सीट से राकांपा के बालासाहेब पाटील का बोलबाला दिखाई दे रहा है। 

उनके समक्ष शिवसेना के धर्यशील कदम और बागी उम्मीदवार मनोज घोरपड़े खड़े हैं. कराड़ दक्षिण से पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को भाजपा के अतुल भोसले से कड़ी चुनौती मिल रही है. पूर्व विधायक विलास काका उंडालकर के बेटे भी यहां से किस्मत आजमा रहे हैं. वे दोनों उम्मीदवारों की जीत के समीकरण बदल सकते हैं. पाटण विधानसभा सीट से इस बार शिवसेना के शंभुराजे देसाई के लिए अच्छी स्थिति दिखाई दे रही है। पिछली बार वे एक हजार से भी कम वोटों से जीत पाए थे. उनके सामने इस बार राकांपा के सत्यजीत पाटणकर खड़े हैं. फलटण में राकांपा के दीपक चव्हाण की जीत के आसार दिखाई दे रहे हैं. उनके समक्ष भाजपा के दिगंबर आगवणो खड़े हैं।

सोलापुर जिला

सोलापुर जिले में इस बार मिला-जुला नजारा दिखाई दे रहा है. किसी भी एक पार्टी के पक्ष में हवा नहीं है. इस बार लोकसभा चुनाव की तरह वंचित बहुजन आघाड़ी के उम्मीदवार ज्यादा असरदार साबित नहीं हुए हैं। अक्कलकोट सीट से भाजपा के सचिन कल्याणशेट्टी मौजूदा कांग्रेस के विधायक सिद्धराम मेहेत्रे के समक्ष कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। मेहेत्रे यहां से चुनाव गंवा सकते हैं। 

सोलापुर शहर (उत्तर) से भाजपा के राज्यमंत्री विजय देशमुख का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है। उनके सामने राकांपा के मनोहर सपाटे जोरआजमाईश कर रहे हैं। सोलापुर शहर (दक्षिण) से सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख को कांग्रेस के बाबा मिस्त्री से कमजोर चुनौती मिल रही हैं। सोलापुर (मध्य) कांग्रेस की मौजुदा विधायक प्रणिती शिंदे इस फिर कामयाब हो सकती है। हालांकि उनके सामने शिवसेना के दिलीप माने, एमआयएम के फारुक शाबदी और वंचित बहुजन आघाड़ी के पीर जादे कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं। 

मोहोल सीट से राकांपा के यशवंत माने के अवसर ज्यादा दिखाई दे रहे हैं। उनके सामने भाजपा के उम्मीदवार नागनाथ क्षीरसागर और निर्दलीय रमेश कदम चुनौती पेश कर रहे हैं. रमेश कदम बँक घोटाले के सिलसिले में जेल में हैं। वे राकांपा के विधायक हैं. पंढरपुर से भाजपा के वरिष्ठ नेता सुधाकर परिचारक जीत सकते हैं. उनके सामने राकांपा के भारत भालके चुनाव लड़ रहे हैं। जो कुछ दिन पहले कांग्रेस के विधायक थे और भाजपा में शामिल होना चाह रहे थे। 

माढा विधानसभा सीट से राकांपा के बबनराव शिंदे के लिए उजले अवसर दिखाई दे रहे हैं। उनके समक्ष शिवसेना के संजय कोकाटे खड़े हैं। बार्शी विधानसभा सीट से राकांपा के मौजुदा विधायक दिलीप सोपल इस बार शिवसेना से लड़ रहे हैं। उनके सामने शिवसेना के ही राजेंद्र राऊत बगावत कर रहे हैं। राकांपा के उम्मीदवार भुमकर का कोई वजुद नजर नहींआ रहा है. मालशिरस सीट से भाजपा के राम सातपुते की जीत करीब-करीब निश्चित मानी जा रही हैं। सांगोला सीट से शेकापा के वरिष्ठ नेता गणपतराव देशमुख के पोते अनिकेत देशमुख का पलड़ा भारी दिखाई दे रहा है. शिवसेना के शहाजी पाटील फिलहाल कोई चुनौती नहीं दे पा रहे हैं।

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