राधेश्याम भेंडारकर
वर्ष 1962 से 2009 तक कांग्रेस का गढ़ रहे अर्जुनी मोरगाँव विधानसभा क्षेत्र से आगामी विधानसभा चुनाव के लिए प्रतिस्पर्धा का दौर जारी है. हालांकि चुनाव में कांग्रेस-राकांपा में आघाड़ी होने की चर्चा दोनों पार्टियों के वरिष्ठों में शुरू है.कांग्रेस की ओर से कई दावेदार सामने आ रहे हैं.
जानिए अर्जुनी मोरगांव विधानसभा सीट का इतिहास
अर्जुनी मोरगाँव विधानसभा क्षेत्र वर्ष 1978 से 2009 तक लाखांदुर विधानसभा क्षेत्र में आता था. वर्ष 2009 के परिसीमन में फिर से अजरुनी मोरगांव विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया. इसके बाद से विधानसभा क्षेत्र का समीकरण ही बदल गया. इसका खामियाजा कांग्रेस पार्टी को उठाना पड़ा.राजकुमार बडोले 2009 के बाद 2014 में विधायक चुने गए.
इसके बाद बडोले को कैबिनेट में स्थान मिला. नतीजतन क्षेत्र में संगठन को मजबूती मिली. वर्ष 2017 में नाना पटोले द्वारा संसद सदस्यता से इस्तीफा दिए जाने के बाद हुए उपचुनाव में राकांपा के मधुकर कुकड़े को क्षेत्र से भारी वोटों से लीड मिली थी. इससे कांग्रेस-राकांपा कार्यकर्ताओं में उत्साह था. लेकिन लोकसभा के आमचुनाव में भाजपा के सुनील मेंढे को मिली लीड ने कांग्रेस-राकांपा के समीकरण को ही ध्वस्त कर दिया.
आगामी विधानसभा चुनाव में राकांपा-कांग्रेस के बीच जब आघाड़ी होगी तब फिलहाल कांग्रेस द्वारा 18 लोगों के साक्षात्कार लिए जाने की जानकारी है. कांग्रेस की ओर से पिछले चुनाव में पराजित राजेश नंदागवली, इंजी. आनंदकुमार जांभुलकर, रत्नदीप दहिवले ने चुनाव लड़ने की दिशा में कामकाज शुरू कर दिया है.
वहीं शिवसेना-भाजपा युति से राजकुमार बडोले के एकमात्र नाम की चर्चा है. लेकिन चार महीने पूर्व राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के समय बडोले को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिए जाने से समर्थकों में नाराजी है. इसका असर चुनाव में भी देखा जा सकता है. हालांकि बडोले पार्टी एवं स्वयं द्वारा किए गए कार्यो को भुनाने के प्रयास में जुटे हैं. आम नागरिकों में चर्चा अनुसार, लोकसभा चुनाव की भांति विधानसभा चुनाव में लोग उम्मीदवार के बजाय पार्टी को महत्व देंगे.