‘सांसदों-विधायकों के लिए विशेष अदालत की वैधता पर मद्रास उच्च न्यायालय की समिति ने उठाए सवाल’

By भाषा | Updated: November 2, 2020 23:06 IST2020-11-02T23:06:12+5:302020-11-02T23:06:12+5:30

'Madras High Court committee questions on validity of special court for MPs-MLAs' | ‘सांसदों-विधायकों के लिए विशेष अदालत की वैधता पर मद्रास उच्च न्यायालय की समिति ने उठाए सवाल’

‘सांसदों-विधायकों के लिए विशेष अदालत की वैधता पर मद्रास उच्च न्यायालय की समिति ने उठाए सवाल’

नयी दिल्ली, दो नवम्बर उच्चतम न्यायालय को सोमवार को सूचित किया गया कि मद्रास उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय समिति ने सांसदों और विधायकों के लिए विशेष अदालतों की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए हैं। इन विशेष अदालतों का गठन सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए उच्चतम न्यायालय के आदेश पर किया गया है।

उच्च न्यायालय की आपराधिक नियम समिति के तीन न्यायाधीशों ने कहा है कि विशेष अदालतें (2017 में पहली बार गठन के लिए निर्देशित) केवल ‘‘अपराध केंद्रित’’ होंगी, न कि ‘‘अपराधी केंद्रित’’ और इनका गठन केवल कानून से होगा, न कि ‘‘न्यायपालिका या कार्यपालिका के आदेश से।’’

समिति ने वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया को भेजी अपनी रिपोर्ट में कहा कि मामले में आदेश पारित करते हुए उच्चतम न्यायालय ने काफी सावधानी बरती लेकिन सांसदों-विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए ‘‘विशेष अदालतों का गठन कर उसने भूल की है।’’ हंसारिया को शीर्ष अदालत ने मामले में न्याय मित्र नियुक्त किया है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत ने सरकारी आदेश के प्रारूप को अपनाया जिसे तेलंगाना ने पास किया था। इसने कहा कि सांसदों-विधायकों के लिए विशेष अदालतों का गठन करने के लिए सरकारी आदेश की ‘‘खामियों’’ का स्रोत उच्चतम न्यायालय के एक नवम्बर 2017 के आदेश में है, जिसे अश्विनी कुमार उपाध्याय की तरफ से दायर मामले में पारित किया गया था, न कि इसका स्रोत कानून में है।

Web Title: 'Madras High Court committee questions on validity of special court for MPs-MLAs'

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