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मद्रास उच्च न्यायालय ने 10.5 प्रतिशत वन्नियार कोटा रद्द किया

By भाषा | Updated: November 1, 2021 16:32 IST

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मदुरै (तमिलनाडु), एक नवंबर मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु के सबसे पिछड़े समुदाय वन्नियार को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले में दिए गए 10.5 प्रतिशत आरक्षण को असंवैधानिक करार देते हुए सोमवार को रद्द कर दिया।

तमिलनाडु विधानसभा ने गत फरवरी में तत्कालीन सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक के कार्यकाल में विधेयक पारित किया था, जिसमें वन्नियार समुदाय के सदस्यों के लिए 10.5 प्रतिशत का आंतरिक आरक्षण प्रदान किया गया था। मौजूदा द्रमुक सरकार ने इसके कार्यान्वयन के लिए इस साल जुलाई में एक आदेश जारी किया था।

इसने जातियों का पुनर्वर्गीकरण करते हुए एमबीसी और विमुक्त समुदायों के लिए कुल 20 प्रतिशत आरक्षण को तीन अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित कर दिया था और वन्नियारों के लिए 10 प्रतिशत से अधिक उप-कोटा प्रदान किया था, जिसे औपचारिक रूप से वन्नियाकुला क्षत्रियों के रूप में जाना जाता है।

न्यायमूर्ति एम दुरईस्वामी और न्यायमूर्ति के मुरली शंकर ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली 50 याचिकाओं पर व्यवस्था देते हुए कहा, ‘‘क्या राज्य सरकार को आंतरिक आरक्षण करने का अधिकार है। संविधान ने पर्याप्त स्पष्टीकरण दिया है। आंतरिक आरक्षण प्रदान करने वाला कानून रद्द किया जाता है। राज्य सरकार ऐसा कानून नहीं ला सकती। इसकी व्याख्या संविधान में की जा चुकी है।’’

याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि यदि ऐसा आरक्षण लागू किया गया, तो वन्नियार समुदाय को नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण का लाभ मिलेगा, जबकि एमबीसी के तहत 25 अन्य जातियों और 68 अन्य को शेष कोटा साझा करना होगा।

सरकार ने कहा कि कानून के अधिनियमन के पीछे कोई राजनीतिक मकसद नहीं था। सरकार ने इस बात से इनकार किया कि इस वर्ष छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनावों की अधिसूचना से पहले कानून को जल्दबाजी में पारित किया गया। उसने कहा कि सरकार के पास अपने कार्यकाल के दौरान कोई भी कानून बनाने की शक्ति है।

सरकार ने कहा कि आंतरिक आरक्षण एमबीसी वर्ग के अन्य समुदायों को प्रभावित नहीं करेगा।

इस बीच, पट्टाली मक्कल काची के संस्थापक एस रामदास ने राज्य सरकार से आज के उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में अपील करने का आग्रह किया। पीएमके वन्नियार समुदाय के हितों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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