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18 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 27 लाख वोटरों के पास नहीं हैं एक भी विधायक, HC ने EC से पूछा सवाल

By भाषा | Updated: January 23, 2019 06:07 IST

अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अध्यक्ष पी. धनपाल ने दल-बदल कानून के तहत 18 सितंबर, 2018 के अयोग्य घोषित कर दिया था।

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मद्रास उच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु के मुख्य निर्वाचन आयुक्त और मुख्य निर्वाचन अधिकारी को नोटिस जारी कर पूछा कि जिन 18 विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है उन विधानसभा सीटों पर अभी तक चुनाव क्यों नहीं हुआ है।

न्यायमूर्ति के. के. शशिधरण और न्यायमूर्ति पी. डी. औदीकेशावलु ने दामोदरन नामक व्यक्ति की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया। याचिका में कहा गया है कि 18 विधानसभा क्षेत्रों के करीब 27 लाख मतदाता अपनी समस्याएं नहीं बता सकते हैं क्योंकि उनका कोई जनप्रतिनिधि नहीं है।

अन्नाद्रमुक के 18 विधायकों को अध्यक्ष पी. धनपाल ने दल-बदल कानून के तहत 18 सितंबर, 2018 के अयोग्य घोषित कर दिया था।

ईवीएम हैकिंग के आरोपों पर छिड़ा सियासी घमासान, चुनाव आयोग ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई

एक स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ के ईवीएम के हैक किये जाने योग्य होने का दावा करने के बाद मंगलवार को सियासी घमासान छिड़ गया। कांग्रेस ने इनके ‘लोकतंत्र के अस्तित्व’ से जुड़े होने की बात करते हुए इन आरोपों की जांच की मांग, वहीं भाजपा ने इसे कांग्रेस प्रायोजित साजिश करार दिया जिसका मकसद भारतीय लोकतंत्र और चुनाव आयोग को बदनाम करना है।चुनाव आयोग ने 2014 के लोकसभा चुनाव में धांधली होने और ईवीएम को हैक किये जा सकने का दावा करने वाले स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ सैयद शुजा के खिलाफ दिल्ली पुलिस को प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कर उसके दावे की जांच करने को कहा है। आयोग ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस को लिखे एक पत्र के माध्यम से शुजा के खिलाफ दर्ज करायी गयी शिकायत में कहा है कि शुजा ने भादंसं की धारा 505 (1) का कथित तौर पर उल्लंघन किया है। यह धारा जनसामान्य में दहशत पैदा करने वाली अफवाह फैलाने से जुड़ी है।आयोग ने दिल्ली पुलिस के नयी दिल्ली जिला उपायुक्त को भेजे शिकायती पत्र में कहा है कि शुजा ने सोमवार को लंदन के एक कार्यक्रम में जो बयान दिया था उसकी शीघ्र जांच करने की जरूरत है। इस बीच आयोग ने एक बार फिर ईवीएम की विश्वसनीयता पर भरोसा व्यक्त करते हुये शुजा के कथित दावे को सच्चाई से परे बताया ।लंदन में शुजा के संवाददाता सम्मेलन के दौरान कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल की मौजूदगी के लिये कांग्रेस और पूर्व केंद्रीय मंत्री पर जोरदार हमला करते हुए केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘‘सिब्बल वहां क्या कर रहे थे? वह किस हैसियत से वहां मौजूद थे? मेरा आरोप यह है कि वह कांग्रेस की तरफ से कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए वहां थे। यह कांग्रेस द्वारा प्रायोजित साजिश थी जिसका उद्देश्य भारतीय लोकतंत्र और चुनाव आयोग को बदनाम करना था।’’ मंत्री ने कहा कि लंदन में संवाददाता सम्मेलन के आयोजन की पटकथा कांग्रेस ने लिखी थी। प्रसाद पर पलटवार करते हुए सिब्बल ने कहा कि उन्होंने गैर जिम्मेदाराना बयान दिया है जो उनके पद के अनुकूल नहीं है।उन्होंने कहा, ‘‘यह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव का मुद्दा है। मुद्दा यह है कि क्या ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। यह भारत में लोकतंत्र के अस्तित्व से जुड़ा मुद्दा है।’’ सिब्बल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘जो आरोप उसने (शुजा) लगाए हैं, उनकी जांच होनी चाहिए। उच्चतम न्यायालय और कानून कहता है कि प्राथमिकी दर्ज होनी चाहिए। अगर कोई आरोप लगा रहा है तो यह पता करना जरूरी है कि आरोप सही हैं या नहीं। अगर आरोप गलत हैं तो उसके खिलाफ कार्रवाई करिए। अगर आरोप सही हैं तो यह बहुत गंभीर चीज है।’’ कांग्रेस के अलावा बहुजन समाज पार्टी, समाजवादी पार्टी, तेदेपा समेत कई अन्य विपक्षी दलों ने भी मामले पर गंभीर चिंता जताई और चुनाव आयोग से इसका संज्ञान लेने को कहा। बसपा और तेदेपा ने मांग की कि आगामी लोकसभा चुनाव ईवीएम की जगह मतपत्रों के जरिये कराए जाएं।बसपा प्रमुख मायावती ने एक बयान में कहा, ‘‘लंदन में एक साइबर विशेषज्ञ द्वारा यह दावा करना कि 2014 में लोकसभा चुनाव के अलावा उत्तर प्रदेश, गुजरात आदि राज्यों के पिछले विधानसभा चुनावों में ईवीएम के जरिये जबरदस्त धांधली की गई थी, ईवीएम धांधली पर जारी विवाद को और भी ज्यादा गंभीर बनाता है।’’ उन्होंने लोकतंत्र के व्यापक हित में ईवीएम विवाद पर तत्काल समुचित ध्यान देने की जरूरत बताई। मायावती ने सुझाव दिया कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने के लिये मतपत्रों के द्वारा मतों के सत्यापन की बेहतर व्यवस्था संभव है, जबकि ई.वी.एम. के सत्यापन की ऐसी कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इसके मद्देनजर उन्होंने चुनाव आयोग से ईवीएम के ताजा विवाद पर संज्ञान लेते हुये देश में अगला लोकसभा चुनाव मतपत्रों से ही कराये जाने की मांग की। ईवीएम पर सवाल खड़े करते हुए समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को कहा कि 'अगर सब कुछ ठीक है तो जापान जैसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के मामले में विकसित देश मशीन का इस्तेमाल क्यों नहीं करते। जरूरी है कि देश के लोकतंत्र पर जनता का भरोसा हो।' तेलगू देशम पार्टी के अध्यक्ष नायडू ने कहा कि ईवीएम लोकतंत्र के लिए ‘‘बड़ा खतरा’’ बन रही हैं और उन्होंने अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से ‘‘हैकरों’’ के दावों को ध्यान में रखते हुए सतर्क रहने की सलाह दी।केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा कि संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने वाली ‘‘इंडियन जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन’’ के प्रमुख आशीष रे हैं। प्रसाद ने दावा किया कि आशीष एक ‘‘समर्पित कांग्रेसी’’ हैं।एक बयान में रे ने कहा, ‘‘आईजेए और फॉरेन प्रेस एसोसिएशन ने नेकनीयती से संवाददाता सम्मेलन का आयोजन किया, जैसा हम नियमित रूप से करते हैं। विवाद के बाद एफपीए ने खुद को कार्यक्रम से अलग कर लिया। अहमद ने बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं, जिनकी वह पुष्टि नहीं कर सके---चूंकि आईजीए के पास कुछ भी छिपाने के लिये नहीं है और इस मामले में हम खुला और पारदर्शी रहने के इच्छुक थे, इसलिये हमने चुनाव आयोग और चुनाव आयोग से राष्ट्रीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त सभी भारतीय राजनीतिक दलों को संवाददाता सम्मेलन में आमंत्रित किया।’’ रे ने कहा, ‘‘मैं निर्बाध स्वतंत्रता के साथ समाचार ढूंढने को अपना अधिकार मानता हूं। कार्यक्रम के होने के बाद हम कह सकते हैं कि शुजा ने निराश किया। लेकिन इसका मतलब है कि यह नहीं है कि हमें उन्हें नहीं सुनना चाहिये था।’’ चुनाव आयोग के लिये ईवीएम बनाने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी इलेक्ट्रॉनिक कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) ने ईवीएम को हैक करने का दावा करने वाले स्वयंभू साइबर विशेषज्ञ सैयद शुजा के 2009 से 2014 के बीच कंपनी के साथ किसी भी भूमिका में काम करने से इंकार किया है। ईसीआईएल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल संजय चौबे (से.नि.) ने मंगलवार को उप चुनाव आयुक्त सुदीप जैन को लिखे पत्र में बताया ‘‘कंपनी के पुराने रिकॉर्ड की जांच में पाया गया है कि ना तो 2009 से 2014 के दौरान शुजा कंपनी का नियमित कर्मचारी था ना ही ईवीएम के डिजायन एवं विकास के मामले में किसी भी भूमिका में जुड़ा था।’’

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