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मध्य प्रदेश: दिग्विजय के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले उमंग सिंघार के ठंडे पड़े तेवर

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 4, 2019 20:17 IST

पिछले 2 दिन से उमंग सिंघार लगातार दिग्विजय सिंह पर प्रहार कर रहे थे.उन्होंने इस दौरान यहां तक कह दिया था कि दिग्विजय सिंह पावर सेंटर के तौर पर विभाग चला रहे हैं. कलेक्टर, कमिश्नर जैसे अधिकारियों के तबादले वे करा रहे हैं.

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले वन मंत्री उमंग सिंघार के तेवर अब ठंडे पड़ गए हैं. मुख्यमंत्री कमलनाथ द्वारा दी गई नसीहत के बाद वे घंटों तो मौन रहे, फिर आज मीडिया से आकर कहा कि मुझे जो कहना था वह मैंने पार्टी फोरम पर कह दिया है, अब मुझे कुछ नहीं कहना है. उन्होंने कहा कि अब आगे जो भी बात होगी, वह पार्टी फोरम पर होगी और कमरे के भीतर होगी.

राज्य के वन मंत्री उमंग सिंघार ने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ जो मोर्चा खोला था, उसके बाद मामला भोपाल से दिल्ली तक जा पहुंचा. मामले में जब कांग्रेस और सरकार की छवि खराब होती नजर आई तो मंगलवार की रात को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने वन मंत्री उमंग सिंघार को अपने निवास पर बुलाया और खेल मंत्री जीतू पटवारी, पंचायत मंत्री कमलेश्वर पटेल की उपस्थिति में उन्हें नसीहत दी. करीब आधा घंटे तक हुई मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद उमंग सिंघार मौन साध गए. उनके तीखे हुए तेवर ठंडे पड़े. इसके बाद आज फिर वे मीडिया के सामने आए. इस दौरान उन्होंने कहा कि वे अपनी बात पार्टी फोरम पर कह चुके हैं. अब उन्हें कुछ नहीं कहना है. आगे भी कुछ कहना होगा तो पार्टी फोरम पर ही वे अपनी बात रखेंगे और बंद कमरे में बातचीत होगी.

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ और पार्टी के प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया के समक्ष उन्होंने अपनी बात रखी है. उनके साथ क्या चर्चा हुई, वो निजी चर्चा थी और वे इसे सार्वजनिक नहीं करना चाहते. सिंघार ने इस बात का भी दावा कि पार्टी में सब कुछ ठीक है और प्रदेश में संवैधानिक संकट नहीं है. सिंघार ने कहा कि कल रात को एक आडियो वायरल होने के बाद उसे मुख्यमंत्री ने गंभीरता से लिया और उनके गृहक्षेत्र धार के सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे पर जो कार्रवाई करनी थी, वह कार्रवाई मुख्यमंत्री ने कर दी.

उल्लेखनीय है कि पिछले 2 दिन से उमंग सिंघार लगातार दिग्विजय सिंह पर प्रहार कर रहे थे.उन्होंने इस दौरान यहां तक कह दिया था कि दिग्विजय सिंह पावर सेंटर के तौर पर विभाग चला रहे हैं. कलेक्टर, कमिश्नर जैसे अधिकारियों के तबादले वे करा रहे हैं. इतना ही नहीं उन्होंने दिग्विजय सिंह को ब्लैकमेलर और खनन एवं शराब कारोबार में लिप्त तक बता दिया था. सिंघार के इन बयानों के बाद प्रदेश के सियासी गलियारों में उठापटक मच गया था. भाजपा ने जहां कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था, वहीं मामला कांग्रेस हाईकमान सोनिया गांधी तक जा पहुंचा. सोनिया गांधी ने उमंग सिंघार द्वारा मांगे एक समय पर अभी मिलने का समय तो नहीं दिया है, मगर दिग्विजय सिंह को उन्होंने बुलाया है.

हिदायत देकर तय कर दी गाइडलाइन

उमंग सिंघार द्वारा दिग्विजय सिंह पर किए गए हमले के बाद पार्टी संगठन सक्रिय हुआ है. प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी दीपक बावरिया ने सभी को हिदायत दे डाली है. उन्होंने साफ कर दिया कि सभी लोग संभल कर बोले यानी एक तरह से गाइडलाइन तैयार की गई है. गाइडलाइन मंत्रियों के लिए नहीं बल्कि दिग्गज नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं के लिए भी है जिसके मुताबिक कोई भी कितना ही बड़ा नेता क्यों ना हो कोई भी संवाद सोशल मीडिया या मीडिया के जरिए नहीं होगा पार्टी फोरम पर अपनी बात रखेंगे. साथ ही मंत्री मीडिया से केवल अपने विभाग की ही बात करेंगे.किसी नेता और कार्यकर्ता को सरकार से कोई बात कहनी है तो पत्र नहीं लिखेगा बल्कि पार्टी फोरम पर बात करेगा.

दिग्विजय समर्थकों ने मंत्री का फूंका पुतला

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह पर आरोप लगाने वाले वन मंत्री उमंग सिंघार के खिलाफ आज दिग्विजय सिंह समर्थक सड़क पर उतर आए. दिग्विजय के समर्थकों ने वन मंत्री के निवास पर पहुंचकर जमकर प्रदर्शन किया और उनका पुतला फूंका. इस दौरान समर्थक उमंग सिंघार के खिलाफ नारेबाजी करते रहे और समर्थकों ने वन मंत्री को पार्टी से निकालने की मांग कर दी.

पत्र लिखना कोई अपराध नहीं

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और दिग्विजय समर्थक रामेश्वर नीखरा ने कहा कि किसी भी राज्य सभा सदस्य द्वारा मंत्री, सांसद, विधायक को पत्र लिखना कोई अपराध नहीं है. यह तो एक जनप्रतिनिधि का दायित्व है. दिग्विजय सिंह पार्टी के बड़े नेता हैं. प्रदेश भर के लोग उनके पास अपने दुखड़े लेकर जाते हैं. वे उन पर प्रदेश के मंत्रियों को पत्र लिखते हैं. मंत्रियों को पत्र की पावती देना चाहिए. उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी देना चाहिए. प्रदेश का कोई भी नागरिक उन्हें पत्र लिख सकता है. इसमें अनोखा क्या है? सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायमूर्तियों के द्वारा पीड़ितों के पत्रों को ही याचिका मान लेने और उस पर कार्रवाई करने के उदाहरण भी हमारे यहां मौजूद हैं. नीखरा ने कहा कि जब दिग्विजय सिंह दस सालों तक प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उन दिनों कमलनाथ मुख्यमंत्री को अपने सुझाव देने के लिए कितने आदरपूर्ण लहजे में चिट्ठियां लिखा करते थे और दिग्विजय सिंह उन पर कितनी त्वरित विनम्रता के साथ निर्णय लेते रहे हैं, यह बात कांग्रेस की हमारी नयी पौध को शायद पता न होगी.

दबाया जा रहा है आदिवासी मंत्री की आवाज को

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आदिवासी मंत्री उमंग सिंघार की आवाज को दबाए जाने का प्रयास किया जा रहा है. चौहान ने ट्वीट कर कहा कि आदिवासियों की अभिव्यक्ति के अधिकारों को कुचलने का यह कुत्सित प्रयास है. यह केवल आदिवासी मंत्री का नहीं, आदिवासी समाज का अपमान है. आदिवासी मंत्री उमंग सिंघार के घर दिग्विजय सिंह के समर्थकों ने उनका पुतला फूंककर अपशब्दों की बौछार की. एक आदिवासी मंत्री के बोलने पर उसके साथ यह व्यवहार किया गया, जब एक आदिवासी मंत्री सुरक्षित नहीं हैं तो यह सरकार आदिवासी भाई-बहनों व अन्य नागरिकों के हितों की रक्षा कैसे करेगी?

सरकार में किसी का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए

पूर्व सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी वन मंत्री उमंग सिंघार के बचाव में मैदान में आ गए हैं. सिंधिया ने सिंघार का बचाव करते हुए आज ग्वालियर में कहा कि सरकार अपने दम पर चलनी चाहिए, इसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए. सिंधिया ने कहा कि उमंग ने जो मुद्दे उठाए हैं, उसको सुनना चाहिए. मुख्यमंत्री कमलनाथ को इस विषय पर दोनों पक्षों को बैठाकर समाधान निकलाना चाहिए. 15 साल की कड़ी मेहनत के बाद कांग्रेस का शासन आया है. अभी 6 महीने भी नहीं हुए हैं, ऐसे में कांग्रेस के लोगों की विकास को लेकर कई अभिलाषाएं हैं. सिंधिया ने कहा कि मतभेद हो रहे है, मुख्यमंत्री का दायित्व है कि दोनों पक्षों को बैठाकर और उनकी सुलह कराएं. 

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