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मध्यप्रदेशः सीएम कमलनाथ के लिए ये दिग्गज विधायक छोड़ने जा रहे हैं अपनी सीट, चार बार जीत चुके हैं चुनाव

By राजेंद्र पाराशर | Updated: January 3, 2019 06:27 IST

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते दिनों छिंदवाड़ा में सौंसर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता होने का उल्लेख करते हुए इस बात के संकेत दिए थे कि वे सौंसर से उपचुनाव लड़ सकते हैं.

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ठळक मुद्देछिंदवाड़ा से चार बार विधायक बने दीपक सक्सेना को राज्यपाल ने 15 वीं विधानसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई।सक्सेना पहली बार 1993 में पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे. तब दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था.

दीपक सक्सेना के प्रोटेम स्पीकर बनने के बाद अब इस बात की चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि वे मुख्यमंत्री कमलनाथ के लिए छिंदवाड़ा विधायक पद से इस्तीफा दे सकते हैं. माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री की सबसे करीबी होने के चलते वे ऐसा कर सकते हैं.

हालांकि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बीते दिनों छिंदवाड़ा में सौंसर विधानसभा क्षेत्र के मतदाता होने का उल्लेख करते हुए इस बात के संकेत दिए थे कि वे सौंसर से उपचुनाव लड़ सकते हैं.

मगर यह माना जा रहा है कि सक्सेना का नाम अचानक प्रोटेम स्पीकर के लिए आना नाथ की कोई रणनीति का ही हिस्सा है. वैसे सक्सेना छिंदवाड़ा में आभार रैली के दौरान नाथ के लिए अपनी सीट छोड़ने की बात कह चुके थे.

दीपक सक्सेना बने प्रोटेम स्पीकर, राज्यपाल ने दिलाई शपथ

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक दीपक सक्सेना को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने प्रोटेम स्पीकर पद की शपथ दिलाई. इस अवसर पर मुख्यमंत्री कमलनाथ, मंत्री आरिफ अकील, राजवर्धन सिंह, उमंग सिंगार सहित अन्य मंत्री उपस्थित थे. विधानसभा के प्रमुख सचिव अवधेश प्रताप सिंह ने समारोह का संचालन किया.

राजभवन में छिंदवाड़ा से चार बार विधायक बने दीपक सक्सेना को राज्यपाल ने 15 वीं विधानसभा के लिए प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाई. शपथ ग्रहण समारोह के पूर्व विधानसभा पहुंचकर दीपक सक्सेना ने विधायक पद की सभी औपचारिकताएं पूर्ण की. इस अवसर पर प्रमुख सचिव विधानसभा अवधेश प्रताप सिंह ने उनका स्वागत भी किया. सक्सेना अब राज्य विधानसभा के 7 जनवरी से शुरु होने वाले सत्र में सभी विधायकों का विधायक पद की शपथ दिलाएंगे. प्रोटेम स्पीकर ही नए विधायकों को शपथ दिलाते हैं.

सक्सेना पहली बार 1993 में पहली बार विधायक बनकर विधानसभा पहुंचे थे. तब दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में उन्हें राज्यमंत्री बनाया गया था. इसके बाद 1998 में उन्हें फिर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग का मंत्री बनाया गया था. इसके बाद वे 2003 के विधानसभा चुनाव में हार गए थे, लेकिन 2008 के विधानसभा चुनाव में वे फिर विधायक बने.

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