मध्यप्रदेश : शिवराज सिंह ने किया मंत्रिमंडल का विस्तार, सिंधिया के दो समर्थकों को किया शामिल
By भाषा | Updated: January 3, 2021 17:34 IST2021-01-03T17:34:33+5:302021-01-03T17:34:33+5:30

मध्यप्रदेश : शिवराज सिंह ने किया मंत्रिमंडल का विस्तार, सिंधिया के दो समर्थकों को किया शामिल
भोपाल, तीन जनवरी मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा नीत सरकार के मंत्रिमंडल का बहुप्रतिक्षित विस्तार रविवार को किया गया, जिसमें भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक दो विधायकों को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई गई।
मंत्रिमंडल के इस तीसरे विस्तार में तुलसीराम सिलावट एवं गोविन्द सिंह राजपूत को फिर से मंत्री बनाया गया। ये दोनों चौहान के मंत्रिमंडल में पहले भी कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मंत्रिमंडल विस्तार के लिए यहां राजभवन के सांदीपनि सभागार में आयोजित संक्षिप्त समारोह में इन दोनों को मंत्री पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई।
इन दोनों को पिछले साल 21 अप्रैल को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया था, लेकिन तब वे विधायक नहीं थे। कोरोना वायरस महामारी के कारण तीन नवंबर से पहले विधानसभा सीटों के उपचुनाव नहीं हो पाए थे, इसके चलते उन्हें पिछले साल तीन नवंबर में हुए 28 विधानसभा सीटों के उपचुनाव से ठीक पहले संवैधानिक बाध्यता के कारण मंत्री के तौर पर छह माह पूरे होने से एक दिन पहले अक्टूबर में इस्तीफा देना पड़ा था।
पिछले साल तीन नवंबर को हुए उपचुनाव में अपनी-अपनी सीट जीतकर अब ये दोनों विधायक बन गये हैं और इसलिए इन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है।
इसी के साथ पिछले साल मार्च में कमलनाथ की पूर्व सरकार गिराने वाले 22 बागियों में 11 बागियों को मंत्रिमंडल में जगह मिल गई है। इनमें से अधिकांश सिंधिया का समर्थन करने वाले नेता हैं।
शपथ ग्रहण समारोह में कोविड-19 को लेकर दिशा-निर्देशों का पालन किया गया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री चौहान, प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा एवं कई अन्य मंत्री मौजूद थे।
मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर तीन नवंबर को हुए उपचुनाव के 11 नवंबर को परिणाम आने के बाद से ही इस मंत्रिमंडल के विस्तार की चर्चा राजनीतिक गलियारों में चल रही थी। कुल 230 सदस्यीय मध्यप्रदेश विधानसभा में मंत्रिपरिषद में कुल 35 सदस्य हो सकते हैं। इन दो मंत्रियों का मंत्रिमंडल में शामिल करने के बाद मध्यप्रदेश मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री चौहान सहित कुल 31 सदस्य हो गये हैं।
पिछले साल तीन नवंबर को हुए उपचुनाव में भाजपा ने 28 में से 19 सीटें जीती थी, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस को मात्र नौ सीटें मिली। इससे 230 सदस्यों के सदन में भाजपा की सीटें बढ़कर 126 हो गई, जबकि कांग्रेस विधायकों की संख्या 96 पहुंच गई। इनके अलावा, मध्यप्रदेश विधानसभा में बसपा के दो विधायक, सपा का एक और चार निर्दलीय विधायक हैं, जबकि एक सीट खाली है।
जिन 28 सीटों पर उपचुनाव हुए थे, इनमें से अधिकांश सीटें कांग्रेस विधायकों द्वारा इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने से खाली हुई थी। इस उपचुनाव में तीन मंत्री एदल सिंह कंषाना, इमरती देवी एवं गिर्राज दंडोतिया चुनाव हार गये, जिसकी वजह से उन्हें अपने मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। ये तीनों भी कांग्रेस विधायकी छोड़कर भाजपा में आये थे।
भाजपा के कुछ वरिष्ठ विधायकों एवं सिंधिया खेमे के कुछ अन्य विधायकों को उम्मीद थी, इनके स्थान पर उन्हें भी इस विस्तार में मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। लेकिन, पार्टी में सिंधिया समर्थित विधायकों एवं भाजपा के अन्य विधायकों के बीच चल रहे खींचतान के चलते चौहान ने केवल उन दो को ही मंत्रिमंडल में आज जगह दी, जो पहले भी उनके मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके थे। इससे मंत्री पद की आस में लगे कई वरिष्ठ विधायकों के मंसूबे पर फिलहाल पानी फिर गया।
मालूम हो कि चौहान ने 23 मार्च को अकेले मुख्यमंत्री की शपथ ली थी और कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन के बीच मुख्यमंत्री चौहान ने 29 दिन तक अकेले ही सरकार चलाते रहे। बाद में 21 अप्रैल को और दो जुलाई को चौहान ने अपने मंत्रिपरिषद का विस्तार किया था।
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