भोपाल, चार जुलाई मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति ने फैसला किया है कि कोरोना वायरस से मरे लोगों की भस्म का खाद के रूप में उपयोग कर उनकी याद में भदभदा विश्राम घाट में ही एक पार्क विकसित किया जाएगा। यह जानकारी समिति के पदाधिकारियों ने रविवार को दी।
समिति के सचिव मम्तेश शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को कहा, ‘‘भदभदा विश्राम घाट में 15 मार्च से 15 जून तक 90 दिनों की अवधि के दौरान कोविड-19 के दिशा-निर्देशों के अनुसार 6,000 से अधिक शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इनमें से अधिकांश के परिजन कोरोना महामारी के कारण लगे पाबंदियों की वजह से पवित्र नदियों में प्रवाहित करने के लिए अपने परिचितों की थोड़ा-थोड़ा भस्म एवं हड्डी के बचे हुए टुकड़े ले गये और अधिकांश भस्म को वहीं पर छोड़ गये थे।’’
शर्मा ने बताया कि ऐसी स्थिति में करीब 21 ट्रक भरकर भस्म हमारे विश्राम घाट में जमा हो गई। उन्होंने कहा कि इतनी बड़ी मात्रा में जमा भस्म को नर्मदा नदी में प्रवाहित करना पर्यावरण के नजरिए से ठीक नहीं है।
शर्मा ने बताया, ‘‘इसलिए हमने फैसला किया है कि कोरोना वायरस महामारी से मरे इन लोगों की याद में उनकी इस भस्म का खाद के रूप में उपयोग हम भदभदा विश्राम घाट में ही 12,000 वर्ग फुट की जमीन पर पार्क को विकसित करेंगे। इसके लिए हमने इस जमीन की मिट्टी के साथ इस भस्म, गाय के गोबर एवं लकड़ी के बुरादे को मिलाया है।’’
उन्होंने कहा कि भस्म फॉसफोरस खाद का बहुत बढ़िया काम करती है। शर्मा ने बताया कि यह पार्क जापान की ‘मियावाकी तकनीक’ पर विकसित किया जा रहा है और इस पार्क में करीब 3,500 से 4,000 पौधे लगाये जायेंगे। उन्होंने कहा कि इस तकनीक के तहत इन पौधों को पेड़ बनने में 15 से 18 महीने लगेंगे।
समिति के अध्यक्ष अरूण चौधरी ने कहा,‘‘हमने कोरोना वायरस से मरने वाले लोगों के परिजनों से आग्रह किया है कि वे इस पार्क में वृक्षारोपण करने के कार्य में सहभागी बनें। जब तक ये पौधे पेड़ नहीं बन जाते, तब तक भदभदा विश्राम घाट प्रबंधन समिति इनकी देखभाल करेगी।’’
समिति के कोषाध्यक्ष अजय दुबे ने कहा, ‘‘वृक्षारोपण का काम पांच जुलाई से सात जुलाई के बीच होगा और इस दौरान लोग पौधों को रोपने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।’’
कोविड-19 से मरे हिन्दुओं का भोपाल में दो विश्राम घाटों में अंतिम संस्कार किया गया, जिनमें से एक भदभदा विश्राम घाट शामिल है।
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