मध्यप्रदेश में सत्ता परिवर्तन के साथ ही मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस बात के संकेत दिए थे कि सरकार जल्द ही कलेक्टर, पदनाम बदलेगी. इसके लिए आईएएस अधिकारियों से सुझाव भी मांगे गए थे. अब सरकार जल्द ही नाम परिवर्तन करने वाली है. यह जानकारी बुधवार को राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने मीडिया से चर्चा करते हुए दी.
शर्मा ने बताया कि मुख्यमंत्री कमलनाथ की मंशा के अनुसार यह पदनाम बदला जाएगा. शर्मा ने कहा कि कलेक्टर अंग्रेजों के जमाने का नाम है, इसलिए कमलनाथ सरकार इस नाम को बदलना चाहती है, नाम बदलने के लिए सरकार विचार कर रही है, जल्द ही इस पर फैसला किया जाएगा. उन्होंने कहा अंग्रेजों के समय जो राजस्व कलेक्टर करते थे उन्हें कलेक्टर कहा जाता था.
अब सरकार एक में परिवर्तन करने जा रही है. नया नाम अच्छा होगा इसके लिए सुझाव लिए गए हैं. सरकार इस संबंध में जल्द ही फैसला करेगी और कलेक्टरों का नया पदनाम रखा जाएगा. कलेक्टर का पदनाम बदलने के पीछे सरकार का तर्क है कि यह नाम अंग्रेजों के जमाने का है. इसमें अब बदलाव की जरूरत है, नया नाम आधुनिक होना चाहिए इस पर विचार किया जा रहा है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक दिन पहले ही मंगलवार को एक कार्यक्रम में यह कहा कि मध्यप्रदेश को विकसित करना है तो सोच बदलनी पड़ेगी. मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि पिछले 50 साल से एक ही ढर्रा चल रहा है सरकारों के कामकाज में भी कोई बदलाव नहीं है और इसी के बाद अब सरकार सक्रिय हुई है.
दीपावली पर गरीब के घर पहुंचेगी सरकार
जनसंपर्क मंत्री पी.सी.शर्मा ने कहा कि इस बार सरकार ने फैसला किया है कि दीपावली पर गरीब के घर पहुंचेगी और गरीबों में कपड़े और मिठाई का वितरण किया जाएगा. शर्मा ने कहा कि दीपावली पर्व पर सरकार गरीबों और असहाय लोगों के घर जाएगी, उन्हें कपड़े और मिठाई दी जाएगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने सबके साथ मिलकर दीपावली पर्व मनाने का फैसला लिया, ताकि दीप पर्व पर किसी करीब के घर सन्नाटा न फैला रहे.
उन्होंने कहा कि सरकार यह कार्य आनंद विभाग के द्वारा करने जा रही है. उन्होंने बताया कि आनंद विभाग प्रदेश में दिवाली पर जाय आफ गिविंग अभियान चलाएगा. शर्मा ने लोगों से अपील भी की कि लोग मिट्टी के दीपक अपने घर खरीद कर लाएं. शर्मा ने कहा कि राज्य में चित्रकूट में दीपावली पर्व पर मेला लगता है, सरकार इस मेले को जल्द ही राज्य स्तरीय मेला घोषित करेगी. इस संबंध में वहां के विधायक निलांशु चतुर्वेदी से उनकी चर्चा हुई है. चतुर्वेदी इस मांग को लंबे समय से उठा रहे थे. सरकार ने उनकी मांग को मानते हुए यह फैसला लिया है.