पश्चिमी मध्यप्रदेश के अंतिम छोर पर बसे रतलाम जिले में 5 विधानसभा क्षेत्र है। इनमे से रतलाम ग्रामीण और सैलाना अनुसूचित जनजाति के लिए तथा आलोट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। जावरा एवं रतलाम शहर सामान्य वर्ग की सीट है। वर्ष 2013 के निर्वाचन में भाजपा ने एकतरफा जीत हांसिल कर पांचों सीटों पर कब्जा जमाया था। रतलाम जिले की इन 5 सीटों में से 3 रतलाम शहर, रतलाम ग्रामीण और सैलाना विधानसभा सीट रतलाम-झाबुआ संसदीय क्षेत्र में आती है। आलोट विधानसभा सीट उज्जैन संसदीय क्षेत्र में और जावरा विधानसभा सीट मन्दसौर संसदीय क्षेत्र में आती है। इस तरह जिले को 3 सांसदो का प्रतिनिधित्व मिलता है।
रतलाम एक व्यावसायिक शहर
मुम्बई- दिल्ली रेल मार्ग के मध्य में बसा रतलाम एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक शहर है। स्वादिष्ट मिठाई और नमकीन तथा स्वर्ण आभूषणों के साथ वैवाहिक साड़ियों के व्यवसाय के लिए इस शहर की जोरदार ख्याति है। राजनैतिक रूप से रतलाम शहर और आलोट सीट भाजपा का गढ़ कहलाती है। सैलाना को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। रतलाम ग्रामीण और जावरा मिश्रित परिणामों वाले क्षेत्र कहलाते है। भाजपा को लगातार सफलता दिलाने वाले दिग्गज नेता डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडेय और कांग्रेस के दिग्गज वनवासी नेता प्रभुदयाल गेहलोत का विगत दिनों निधन होना दोनों दलों के लिए बड़ी क्षति है। रतलाम शहर को भाजपा का गढ़ बनाने वाले हिम्मत कोठारी को विगत विधानसभा निर्वाचन में पार्टी ने उम्मीदवार नही बनाया था। वे इस बार फिर से उम्मीदवारी के लिए कोशिश में जुटे है।
भाजपा के इस उम्मीदवार मिल सकती टिकट
सैलाना से स्व. प्रभुदयाल गेहलोत के छोटे बेटे हर्षविजय गहलोत की उम्मीदवारी लगभग तय मानी जा रही है। पिछले चुनाव में वे बहुत कम अंतर से पराजित हुए थे। भाजपा के पास वर्तमान विधायक संगीता चारेल का नाम प्रमुख है। एक अन्य नाम भी चर्चाओं में है वह कांग्रेस नेता प्रभुदयाल गहलोत के बड़े बेटे शेखर विजय गहलोत का। चर्चाओ के अनुसार वे भाजपा में शामिल हो रहे हैं।
रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र
रतलाम ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र 2008 से आरक्षित क्षेत्र है। इसके पूर्व इस क्षेत्र को दिग्गज कांग्रेस नेता पण्डित मोतीलाल दवे ने कांग्रेस के गढ़ के रूप में स्थापित कर दिया था। उनकी अनुपस्थिती के बाद क्षेत्र में किसी भी दल के पास सशक्त नेतृत्व नही बचा है। वर्तमान में इस क्षेत्र से मथुरालाल डामर भाजपा से विधायक है। कांग्रेस से उम्मीदवारी के लिए लम्बी सूची है। लेकिन पहला दो नामो में सांसद पुत्र डॉ विक्रान्त भूरिया और श्रीमती कोमल ध्रुवे प्रमुख है।
जावरा विधानसभा क्षेत्र
जावरा विधानसभा क्षेत्र में डॉ लक्ष्मीनारायण पांडेय के छोटे बेटे डॉ राजेन्द्र पांडेय 2 बार के विधायक है। इस सीट पर कांग्रेस का प्रभुत्व जमाने वाले दिग्गज नेता महेंद्रसिंह कालूखेड़ा के दिवंगत होने के बाद कांग्रेस के लिए यह सीट मुश्किलों में है। यहां से कांग्रेस के टिकट की दौड़ में स्व कालूखेड़ा के अनुज केकेसिंह कालूखेड़ा का नाम है। उनकी उम्मीदवारी भी लगभग तय मानी जा रही है।
आलोट क्षेत्र भाजपा का गढ़
आलोट क्षेत्र भाजपा का गढ़ है। वर्तमान में केंद्र में मन्त्री थावरचंद गेहलोत के पुत्र जितेंद्र गेहलोत विधायक है। लेकिन इस बार भाजपा से उम्मीदवार बदलना तय माना जा रहा है। यहां से भाजपा मनोहर ऊंटवाल को फिर से मैदान में उतार सकती है। उनका मुकाबला कांग्रेस के प्रेमचन्द गुड्डू से या उनके पुत्र से होगा।
कांग्रेस से टिकट की दौड़ में दो नाम
रतलाम शहर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा ने पिछली बार उद्योगपति चैतन्य काश्यप को मैदान में उतारकर बड़े अंतर से सीट कब्जे में की थी। लेकिन इस बार हिम्मत कोठारी की दावेदारी से उम्मीदवार को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। कांग्रेस से टिकट की दौड़ में दो नाम है। इनमे पूर्व में निर्दलीय विधायक रहे पारस सकलेचा और श्रीमती प्रेमलता दवे में से किसी एक की उम्मीदवारी तय है।