मध्य प्रदेश चुनाव: कमलनाथ का शिवराज सरकार से 9वां सवाल-आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा?
By बृजेश परमार | Updated: October 28, 2018 20:25 IST2018-10-28T20:23:21+5:302018-10-28T20:25:04+5:30
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज से आज प्रश्न पूछा है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 2006 में 10 करोड़ आदिवासी भाइयों को वनों में रहने और वनोपज से आजीविका का अधिकार सुनिश्चित किया।

मध्य प्रदेश चुनाव: कमलनाथ का शिवराज सरकार से 9वां सवाल-आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा?
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ आज नौवां प्रश्न पूछते हुए आदिवासियों के मुद्दे को लेकर शिवराज सरकार को घेरा है। उन्होंने ट्वीट किया है कि मोदी सरकार ने दी अंदर की दर्दनाक खबर, मामा ने किया लाखों आदिवासी भाइयों को 'घर-बदर'। मामा, आदिवासियों के सपनों को क्यों रौंदा? क्यों छीन लिया उनका घरौंदा?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने शिवराज से आज प्रश्न पूछा है कि केंद्र की कांग्रेस सरकार ने 2006 में 10 करोड़ आदिवासी भाइयों को वनों में रहने और वनोपज से आजीविका का अधिकार सुनिश्चित किया। देश में सबसे ज्यादा आदिवासी भाई मध्यप्रदेश में निवास करते है और मध्यप्रदश्ो और छत्तीसगढ़ ,दो ऐसे भाजपा शासित राज्य हैं, जिन्होंने आदिवासियों के वनों में रहने के अधिकार को रौंदा।
उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में 6 लाख 63 हजार 424 आदिवासी परिवारों ने वन में निवास और सामुदायिक उपयोग के लिए मामा सरकार को आवेदन किया। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षक्ष ने कहा कि मामा ने निर्दयतापूर्वक 3 लाख 63 हजार 424 परिवारों के आवेदन को अवैधानिक तरीके से निरस्त कर दिया। लगभग 18 लाख आदिवासी भाइयों के सपनो को रौंद दिया। इसमें 1.54 लाख अनुसूचित जाति, पिछडा वर्ग के परिवारों ने भी दावे किये थे। उनमें से 1.50 लाख ,अर्थात 97.9 प्रतिशत दावे खारिज कर दिए गए। राज्य के 42 जिलों में इस श्रेणी के 100 प्रतिशत दावे खारिज किए गए।
कमलनाथ ने कहा कि संसद द्वारा बनाये गए कानून के मुताबिक यह तय किया गया कि ग्राम वन समिति द्वारा दावों का सत्यापन करके, उन्हें स्वीकृत किया जाएगा। फिर विकासखंड स्तरीय समिति उन्हें मान्यता देगी। यहां ग्राम वन समिति, ग्राम सभा और विकासखण्ड स्तरीय समिति ने सभी दावों को मान्य किया, किन्तु इन सबके बावजूद शिवराज ने आदिवासी भाइयों के अधिकारो को निर्ममता पूर्वक रौंद दिया।
प्रदेश कांगे्रस अध्यक्ष ने कहा कि गंभीर कुपोषण से प्रभावित कोल और मवासी आदिवासी बहुल जिले सतना में 8466 दावों मे से 6398 दावे,अर्थात 75.6 प्रतिशत दावे निरस्त किए गए, सीधी मे 78 प्रतिशत , उमरिया मे 63 प्रतिशत , सिवनी में 67.4 प्रतिशत ,पन्ना में झाबुआ में 65.5 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि व्यापक तौर पर वनाधिकार कानून के तहत अधिकतम 4 हेक्टेयर पर अधिकार देने का प्रावधान है, मगर मध्यप्रदेश में औसतन मात्र 1.4 हेक्टेयर पर यह अधिकार दिए गए। आदिवासी बहुल झाबुआ में 1 हेक्टेयर , अलीराजपुर में 1.2 हेक्टेयर ,मंडला में 1.4 हेक्टेयर ,बालाघाट में 1.2हेक्टेयर है।
इसी प्रकार सीधी में औसतन 0.5 हेक्टेयर ,अनूपपुर में 0.7हेक्टेयर, शहडोल में 0.3 हेक्टेयर, इत्यादि ।आश्चर्यजनक रूप से भोपाल आदिवासी जिला न होते हुए भी यहाँ औसतन 7.2 हेक्टेयर जमीन का अधिकार दिया गया। भोपाल में 7391 हेक्टेयर भूमि पर 1026 दावे स्वीकृत किये गए। इनमें से आदिवासी भाइयों के सिर्फ 210 दावे थे।
भाजपा नहीं देगी जवाब
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा 40 दिन 40 सवाल की श्रृंखला शुरु कर भाजपा और सरकार से सवाल किए जा रहे हैं, मगर भाजपा ने इनके जवाब न देने की रणनीति तय की है।
भाजपा पदाधिकारियों का कहना है कि जिन सवालों को लेकर कांग्रेस सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वे बेकार के है, क्योंकि पिछले दिनों ही पार्टी विज्ञापनों के माध्यम से जनता को आंकड़ों के साथ सारे सवालों के जवाब दे चुकी है, ऐसे में अब फिर से इन सवालों के जवाब देना जरुरी नहीं। हम जनता से सीधे संवाद कर रहे हैं और अब कमलनाथ खुद सवाल बन गए हैं। जनता को सब पता है और चुनाव में इसका नतीजा भी देखने को मिल जाएगा।