(मध्य प्रदेश से राजेश मूणत की रिपोर्ट)
रतलाम जिले की पाँच विधानसभा सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों के नामो की घोषणा के साथ ही बगावत के सुर भी शुरू हो गए है। पार्टी रतलाम ग्रामीण और सैलाना दोनों ही जनजाति बहुल सीटों से प्रत्याशी बदलकर नाराजगी को साधने में कामयाब हो गई।
लेकिन जावरा में प्रत्याशी राजेन्द्र पांडेय के खिलाफ पिपलोदा के युवा नेता श्यामबिहारी पटेल ने निर्दलीय रूप से मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है। 90 ग्रामों और 52 पंचायतों वाले पिपलोदा क्षेत्र को भाजपा का गढ़ माना जाता है।
जावरा विधानसभा क्षेत्र से एक और कट्टर भाजपाई क्षेत्र बड़ावदा से लगे ग्राम पूर्व में ही आलोट विधानसभा में जुड़ गए है। ऐसे में पिपलोदा क्षेत्र ही भाजपा की बड़ी ताकत बची रह गई है । अब इस क्षेत्र में यदि घोषणानुसार पटेल यदि चुनाव लड़ते है तो भाजपा को नुकसान हो सकता है ।
कौन है पटेल
श्यामबिहारी पटेल नगर पंचायत पिपलोदा के अध्यक्ष के रूप में लगातार सक्रिय है । पारिवारिक पृष्ठभूमि भी राजनैतिक है। और क्षेत्र की वर्षो से बंद पड़ी पिपलोदा कृषि उपज मंडी को फिर से शुरू करवाने के उनके दावें से क्षेत्र में चर्चाओं में है ।
क्यों उतर रहे है मैदान में
भाजपा उम्मीदवार राजेन्द्र पांडेय और पटेल के परिवार की एक थाली में भोजन की परंपरा रहती आई थी। अब मनमुटाव के क्या कारण बन गए है? इस पर कोई कुछ कहना नहीं चाहता है । लेकिन सूत्र बताते है कि पटेल के कंधे पर बन्दूक रखकर शिकार करने वाला शिकारी जिले का ही एक कद्दावर भाजपा नेता है ।
पांडेय क्यों है निशाने पर
विधानसभा चुनाव 2018 के लिए पार्टी टिकट मिलने से लगाकर विजय तक की प्रक्रिया को अपने पक्ष में सुनिश्चित मानने वाले भाजपा के कद्दावर नेता नही चाहते है कि जिले में उनके कद का कोई अन्य नेता बचा रहे। दूसरी बात पांडेय जीतते है तो यह उनकी तीसरी जीत होगी। ऐसे में भावी मन्त्रिमण्डल में सीनियरिटी के मान से पांडेय को जगह मिलना तय हो जाएगा। यदि पांडेय हारते है तो वे दूसरे सीनियर रहेंगे। कुल मिलाकर सच्चाई कुछ भी हो सकती है। लेकिन इस बगावत से भाजपा को तो हर तरह से नुकसान होना तय है ।