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MP चुनावः सूबे में बीते 5 चुनावों में रहा BJP-कांग्रेस के बीच मुकाबला, तीसरा दल नहीं कर पाया कोई बड़ा चमत्कार

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: October 10, 2018 05:42 IST

अविभाजित मध्यप्रदेश में 1993 और 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के कुल 11 प्रत्याशी जीते थे। 1998 में भी बसपा के इतने ही प्रत्याशी चुनाव जीते, लेकिन जैसे ही 2000 में मध्यप्रदेश का पुनर्गठन होने के बाद 2003 के चुनाव हुए।

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पिछले 5 चुनावों में मध्यप्रदेश में चुनावी मुकाबला मुख्यत: भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है। वैसे यह मध्यप्रदेश की सियासी तासीर भी है। मध्यप्रदेश के निर्माण से लेकर अब तक तीसरे दल प्रदेश में कोई बड़ा चमत्कार नहीं कर पाए। वैसे इस बार के चुनाव में बसपा, सपा, गोंगपा के अलावा सपाक्स समाज पार्टी के मैदान में आने से कई स्थानों पर दोनों बड़े दलों कांग्रेस और भाजपा के समीकरण बिगड़ सकते हैं, लेकिन छोटे दल राज्य के अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों में त्रिकोणीय मुकाबला प्रस्तुत करने की स्थिति में फिलहाल नहीं हैं।

पिछले 5 चुनावों में BJP-कांग्रेस ने बनाई सरका

मध्यप्रदेश में पिछले 5 विधानसभा चुनावों 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में 1993 और 1998 में कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी को पराजित कर सरकार बनाई तो 2003 में उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा ने सत्ता का जो सफरनामा प्रारंभ किया वह अनवरत जारी है। इन पांचों विधानसभा चुनाव को देखा जाए तो प्रदेश में सीधा मुकाबला कांग्रेस और भाजपा के बीच ही रहा है। वहीं तीसरे दल के तौर पर उपस्थित बसपा, सपा और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी कोई विशेष चमत्कार नहीं कर पाई। 

1993-1998 में बसपा के 11 प्रत्याशी जीते

अविभाजित मध्यप्रदेश में 1993 और 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में बसपा के कुल 11 प्रत्याशी जीते थे। 1998 में भी बसपा के इतने ही प्रत्याशी चुनाव जीते, लेकिन जैसे ही 2000 में मध्यप्रदेश का पुनर्गठन होने के बाद 2003 के चुनाव हुए। 2003 में भाजपा की आंधी में बसपा के कुल जमा 2 प्रत्याशी ही जीत पाए। 2008 में बसपा ने कुछ ठीक ठाक प्रदर्शन किया। 2008 के विधानसभा चुनाव में उसके 7 प्रत्याशी चुनाव जीते वहीं 2013 में उसके प्रत्याशियों की जीत का आकड़ा 4 तक सिमट गया। 

इतने फीसदी मिले वोट

जहां तक वोट प्रतिशत का सवाल है बसपा का वोट प्रतिशत 8.9 से लेकर 6.15 के बीच में रहा। 1993 के चुनाव में बसपा ने 320 सीटों पर 286 प्रत्याशी खड़े किए थे और उसे कुल 7.05 फीसदी वोट मिले। इसी तरह 1998 में अविभाजित मप्र में उसने 170 प्रत्याशी खड़े किए और उसे इस चुनाव 6.15 वोट मिले। 2003 में बसपा ने 230 सीटों में से 157 स्थानों पर चुनाव लड़ा इस चुनाव में उसे7.26 फीसदी वोट मिले। 

2008 में बढ़ा बसपा का मत प्रतिशत 

2008 के चुनाव में बसपा का मत प्रतिशत बढ़कर 8.97 हो गया। इस उप चुनाव में बसपा ने 230 स्थानों में से 228 स्थानों पर चुनाव लड़ा था। 2013 में बसपा ने 230 स्थानों में से  227 विधानसभा क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी खड़े किए और से 6.29 फीसदी वोट मिले। इसी तरहसमाजवादी पार्टी के चुनावी प्रदर्शन को देखा जाए तो बीते 5 चुनावों में सपा का प्रदर्शन 2003 को छोड़कर कोई बहुत प्रभावी नहीं रहा। 2003 में उसके 7 प्रत्याशियों ने अपनी जीत दर्ज कराई थी। 1993 में सपा ने 320 विधान सभा सीटों में से 109 सीटों पर चुनाव लड़ा था तब उसका कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत पाया था और उसे कुल जमा .54 फीसदी वोट मिले थे। इसी तरह 1998 में सपा ने 320 स्थानों में से 94 स्थानों पर चुनाव लड़ा था और 4 स्थानों पर जीते थे। तब उसे 1.58 प्रतिशत वोट मिले। 

2003 में सपा के लिए रहा अच्छा चुनाव

2003 सपा के लिए सबसे अच्छा चुनाव रहा तब उसने 230 विधानसभा में से लगभग आधे यानी 161 विधानसभा में अपने प्रत्याशी उतारे थे इसमें उसे 7 प्रत्याशी चुनाव जीते थे तब उसे 3.71 फीसदी वोट मिले थे। 2008 के चुनाव में उसने 187 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था जिसमें एक ही प्रत्याशी चुनाव जीत पाया था। इस चुनाव में उसे 1।99 फीसदी वोट मिले थे। 2013 का उप चुनाव सपा के लिए कोई ठीक ठाक नहीं रहा इस चुनाव में उसका एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका जबकि उसने 164 प्रत्याशी उतारे थे। 2013 के चुनाव में उसे कुल 1.20 फीसदी मत मिले। इसी तरह गोंडवाना गणतंत्र पार्टी का प्रदर्शन पिछले पांच चुनाव में सिर्फ 2003 में ही ठीक ठाक रहा तब उसके तीन प्रत्याशी जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 

इस पार्टी 1993 में नहीं जीता कोई प्रत्याशी

1993 में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने 320 स्थानों में से 15 स्थानों पर चुनाव लड़ा था इस चुनाव में उसका कोई प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। इस चुनाव में उसे 0.18 फीसदी मत मिले। इसी तरह 1998 में उसने 320 स्थानों में से 81 स्थानों पर अपने प्रत्याशी खड़े किए जिसमें उसका एक प्रत्याशी जीता और उसका मत प्रतिशत बढ़कर 0।82 हो गया। 2003 के चुनाव में गोंगपा ने 230 स्थानों में से 61 पर अपने प्रत्याशी उतारे जिसमें उसके तीन प्रत्याशी जीतकर विधानसभा पहुंचे। इस चुनाव में उसे 2.03 फीसदी मत मिले।

एमपी में तीसरे दलों का नहीं है दबदबा

2008 के विधानसभा के चुनाव में गोंगपा ने 88 प्रत्याशियों को मैदान में उतारा लेकिन एक भी प्रत्याशी चुनाव नहीं जीत सका। इस चुनाव में 1.69 फीसदी मत हासिल किए। 2013 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा ने 230 में से 63 स्थानों पर चुनाव लड़ा लेकिन उसका कोई प्रत्याशी विधानसभा तक नहीं पहुंच सका। इस चुनाव में गोंगपा ने कुल 1 फीसदी मत हासिल किया। बीते पांच विधानसभा चुनाव यही गवाही दे रहे हैं मध्यप्रदेश का राजनीतिक मिजाज तीसरे दलों को कोई बहुत ज्यादा स्थान नहीं देता है। इस बार के चुनावी समर में कांग्रेस की बसपा, सपा और गोंगपा से समझौता करने की शुरुआती कोशिशों के बाद अब यह लगभग साफ है कि तीसरे तल 2018 के चुनाव में अकेले ही मैदान में जाएंगे। 

नहीं बन रहा आपसी तालमेल

तीसरे दलों के बीच भी समन्वय बनाने के प्रयास अब तक परवान नहीं चढ़ पाए हैं। बसपा अब तक 22 प्रत्याशियों को घोषित कर चुकी है तो सपा ने भी अपनी तरफ से आधा दर्जन प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। इसी बीच खबर यह है कि गोंगपा की सपा के साथ ही कांग्रेस के साथ कुछ खिचड़ी पक रही है लेकिन गोंगपा ने भी सपा के साथ साथ कांग्रेस को ठेंगा दिखाते हुए बीते सोमवार को अपने 22 प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। 

कांग्रेस-बीजेपी आमने सामने

इस तरह अब स्थिति साफ है कि तीसरे दल अपनी अलग खिचड़ी पका रहा हैं तो भाजपा और कांग्रेस सीधे मुकाबले के लिए तैयार हो रही है। वैसे इस सबके बीच सपाक्स समाज पार्टी कुछ नए समीकरण बना रही है। सपाक्स समाज पार्टी ने अब तक कोई प्रत्याशी घोषित नहीं किया है लेकिन अपन पर्यवेक्षकों को प्रदेश भर के दौरे पर भेजकर अपने अनुकूल प्रत्याशियों की तलाश प्रारंभ कर दी है।(मध्य प्रदेश से शिवअनुराग पटैरया की रिपोर्ट)

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