भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा’ श्रद्धालुओं के बिना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न

By भाषा | Updated: July 20, 2021 23:28 IST2021-07-20T23:28:23+5:302021-07-20T23:28:23+5:30

Lord Jagannath's 'Bahuda Yatra' concluded peacefully without devotees | भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा’ श्रद्धालुओं के बिना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न

भगवान जगन्नाथ की ‘बहुदा यात्रा’ श्रद्धालुओं के बिना शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न

पुरी, 20 जुलाई पुरी में कर्फ्यू और कड़ी सुरक्षा के बीच भगवान जगन्नाथ की वापसी रथ यात्रा ‘बहुदा यात्रा’ मंगलवार को श्रद्धालुओं की अनुपस्थिति में शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हो गई। कोविड-19 के चलते इस यात्रा में भीड़ होने से रोकने के लिए शहर को एक तरह से ठप कर दिया गया था।

‘‘बहुदा यात्रा’ या भगवान जगन्नाथ की वापसी यात्रा भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र द्वारा जन्म स्थान की नौ दिवसीय वार्षिक यात्रा के बाद वापसी के रूप में मनाई जाती है। इस दौरान भगवान लकड़ी के बने रथ से वापसी करते हैं।

भीड़ को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा यहां 48 घंटे का कर्फ्यू सोमवार को रात आठ बजे लगाया गया था।

भगवान बलभद्र तलध्वज पर देवी सुभद्रा दरपदलन और भगवान जगन्नाथ नंदीघोष पर सवार होकर मुख्य मंदिर के सिंह द्वार पर पूर्व निर्धारित समय से पहले ही पहुंच गए।

केवल सेवादारों ने ही रथ को खींचा और इस दौरान सुरक्षा बलों ने सुनिश्चित किया कि कोई भी अनधिकृत व्यक्ति महामार्ग पर रथ खींचने के लिए नहीं पहुंचे। यह लगातार दूसरा साल है जब कोरोना वायरस वायरस की महामारी की वजह से बिना श्रद्धालुओं के भीड़ के रथ यात्रा संपन्न हुई। यहां तक कि स्थानीय लोगों को भी इसमें शामिल होने की अनुमति नहीं दी गई और महामार्ग पर 48 घंटे तक कर्फ्यू लगाया गया।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने पुरी की जनता सहित सभी हितधारकों को वार्षिक उत्सव के सुचारु रूप से बिना किसी बाधा के संपन्न कराने में सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।

पटनायक ने कहा, ‘‘यह भगवान की कृपा है कि उत्सव सुचारु रूप से बिना किसी बाधा के संपन्न हो गया। मैं मंदिर के सेवादारों को धन्यवाद करना चाहूंगा जिन्होंने अनुष्ठानों को पूरी प्रतिबद्धता एवं आस्था से संपन्न किया।’’

मुख्यमंत्री ने लाखों श्रद्धालुओं का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने सरकार की अपील को माना और रथ यात्रा और बहुदा यात्रा टेलीविजन पर देखा।

पुलिस महानिदेशक अभय ने भी लोगों को उनके अनुशासन और सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया जिसकी वजह से सुरक्षाबल उत्सव को ठीक से संपन्न करा सके।

पुरी में रथ यात्रा सदियों से हो रही है लेकिन पहली बार देखा गया कि सैकड़ों की संख्या में सेवादार श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) के मुख्य प्रशासक कृष्ण कुमार के नेतृत्व में भगवान जगन्नाथ के रथ नंदिघोष के समक्ष कवि जयदेव के लिखे गीत गोविंद के ‘दशावतार’ गा रहे थे।

उस समय माहौल पूरी तरह से आध्यात्मिक हो गया जब सेवादारों के साथ मंदिर के अधिकारी और यहां तक पुलिस कर्मियों ने भी भगवान के रथ के सामने गीत गोविंद की पंक्तिया गाईं।

जगन्नाथ संस्कृति के शोधकर्ता भास्कर मिश्र ने कहा, ‘‘यह 12वीं सदी के मंदिर में नयी परंपरा है जब नंदिघोष को खींचने के बाद लोगों ने गीत गोविंद गाया।’’

इससे पहले मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम के साथ पूर्व निर्धारित समय से काफी पहले दोपहर में गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर (जगन्नाथ मंदिर) के लिए रथ पर सवार हुए। इस दौरान सेवादारों ने शंखनाथ किया और घंटे की ध्वनि से माहौल भक्तिमय हो गया।

भगवान को रथ पर विराजमान करने से पहले पुरी के राजा गजपति महाराज दिब्यसिंह देब ने पंरपरा के अनुसार भगवान के रास्ते को साफ किया जिसे ‘छेरा पहंरा’ कहते हैं। 68 वर्षीय देब को भगवान भलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ की ‘छेरा पहंरा’ की जिम्मेदारी विरासत में मिली है और वह गत 50 साल से इसका निर्वहन कर रहे हैं।

देब हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले अनुष्ठान को वर्ष 1971 से कर रहे हैं और केवल 1976 में शिकागो पढ़ाई कर रहे थे तब इस परंपरा का निर्वहन नहीं कर सके थे। भारत की संसद ने वर्ष 1969 में राजवाड़ों की उपाधियों को खत्म कर दिया है लेकिन इसके बावजूद यहां के लोग प्यार से उन्हें राजा या गजपति महाराजा या साधारण तौर पर ठाकुर राजा कहकर पुकारते हैं।

रथ यात्रा का तीन किलोमीटर रास्ता खाली रहा क्योंकि प्रशासन ने स्थानीय लोगों को भी बहुदा यात्रा के लिए सड़क पर आने की अनुमति नहीं दी। इसी तरह की पाबंदी 12 जुलाई को शुरू हुई रथ यात्रा के दौरान भी लगाई गई थी। हालांकि राज्य सरकार ने पूरे आयोजन का टीवी चैनल पर सजीव प्रसारण की व्यवस्था की थी।

श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस आयोजन से पहले करीब आठ हजार लोगों की , जिनमें पुलिस, सेवादार और अधिकारी शामिल हैं , आरटी-पीसीआर जांच कराई गई । सिर्फ वे लोग ही आयोजन में शामिल हुए जिनकी रिपोर्ट नेगेटिव आयी ।

भीड़ को जमा होने से रोकने के लिए पुलिस कर्मियों की 60 टुकड़ियां तैनात की गई थी। पुरी आने वाले सभी रास्तों को सील कर दिया गया था और सभी होटलों, अतिथि गृहों और लॉज को बंद कर दिया गया था ताकि लोग छत पर जमा नहीं हों।

कुमार ने बताया कि अनुष्ठान समय से पहले शुरू हुए और भगवान का रथ भी समय ये पहले ही मंदिर पहुंच गया।

बहुदा यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ का रथ रास्ते में दो बार रुका पहली बार मौसी मां मंदिर जहां पर उन्हें मौसी ने पोडा पीठा (चावल से बना व्यंजन) भेंट किया और दूसरी बार शाही महल के पास जहां गजपति महाराज दिव्यसिंह देब ने भगवान जगन्नाथ की देवी महा लक्ष्मी से मुलाकात की व्यवस्था की थी। मान्यता है कि देवी महा लक्ष्मी रथ यात्रा में उन्हें साथ नहीं ले जाने पर नाराज होती हैं।

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Web Title: Lord Jagannath's 'Bahuda Yatra' concluded peacefully without devotees

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