लाइव न्यूज़ :

लोकमत संपादकीयः टाइगर स्टेट की राह में हैं ढेर सारी बाधाएं

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: January 5, 2019 05:18 IST

इस समूचे चिंताजनक परिदृश्य के बीच यह खबर खुशगवार कही जा सकती है कि पूवरेत्तर में अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे इलाकों में बाघ देखा गया है.

Open in App

देश में बाघों की कुल संख्या के नये आंकड़े के बेसब्री से इंतजार के बीच टाइगर स्टेट बनने का दावा करने वाले महाराष्ट्र में बाघों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है. पिछले चार दिनों में तीन बाघ मौत के मुंह में जा चुके हैं. उमरेड-करहांडला बाघ परियोजना में एक बाघिन और एक बाघ (चाजर्र) की मौत की वजह सुअर का जहरीला मांस खाने को बताया जा रहा है. चाजर्र काफी पहले गायब हुए बहुचर्चित बाघ जय का ही बेटा है, जबकि बाघिन उसकी ही मां है. पिछले साल का अंत इन दो मौतों से हुआ तो नये साल का तीसरा दिन पेंच बाघ परियोजना में एक बाघ शावक का शव मिलने के साथ शुरू हुआ. इससे पहले पिछले साल अवनी बाघिन के मारे जाने के कारण विवाद हुआ था.

महाराष्ट्र की बात की जाए तो विदर्भ का इलाका बाघों का गढ़ रहा है. ताड़ोबा, मेलघाट, पेंच, उमरेड-करहांडला, बोर, नागङिारा, नवेगांव मिलाकर पूरा इलाका बाघों के लिए फलने-फूलने और एक कॉरिडोर के तौर पर बहुत माकूल है. जाहिर है कि इस इलाके में अगर बाघ सुरक्षित नहीं हैं तो फिर उनके भविष्य को लेकर चिंता गहराना स्वाभाविक ही है. कुछ अरसा पहले तक बाघों को सबसे बड़ा खतरा शिकारियों से हुआ करता था.

इस मामले में स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन ग्रामीण इलाकों से सटी बाघ परियोजनाओं में मनुष्य-बाघ में टकराहट, मामले को चिंताजनक मोड़ दे देती है. खेतों में बिछाए गए तारों के करंट, तेज गति वाहन की टक्कर, ट्रेन की टक्कर जैसे नये खतरे बाघों पर मंडराने लगे हैं. विकास की जरूरतों में अहम परिवहन नेटवर्क के विकास का भी असर बाघ के कई कुदरती गलियारों पर साफ देखा जा सकता है. पिछले साल हाईवे पर बोर परियोजना के मुख्य बाघ बाजीराव का दम तोड़ना इस बात का जीवंत उदाहरण था कि इलाके के बाघों की संख्या बढ़ना जहां सकारात्मक संकेत है, वहीं बाघों का इस तरह मरना इस बात का प्रतीक है कि उनके कुदरती इलाकों, गलियारों से छेड़छाड़ की जा रही है.

इस समूचे चिंताजनक परिदृश्य के बीच यह खबर खुशगवार कही जा सकती है कि पूवरेत्तर में अरुणाचल प्रदेश के ऊंचे इलाकों में बाघ देखा गया है. 3630 मीटर की ऊंचाई पर बाघ का कैमरे में कैद होना एक नई उम्मीद जगाता है. साथ ही यह सच भी उजागर करता है कि बाघ तो हर मौसमी परिस्थिति में जिंदा रहने का जज्बा रखता है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इंसान उसे उसका यह मौलिक हक देगा?

टॅग्स :महाराष्ट्र
Open in App

संबंधित खबरें

भारतमहाराष्ट्र महागठबंधन सरकारः चुनाव से चुनाव तक ही बीता पहला साल

भारतMaharashtra Civic Poll 2025 UPDATE: पूरे राज्य में मतगणना स्थगित, 21 दिसंबर को नए नतीजे की तारीख तय, सीएम फडणवीस ‘त्रुटिपूर्ण’ प्रक्रिया पर जताई नाराजगी

भारतMaharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला

भारतMaharashtra Local Body Polls 2025: राज्य के 242 नगर परिषदों और 46 नगर पंचायतों में 2 दिसंबर को मतदान, 3 को होगी मतगणना

भारतमहाराष्ट्र सीएम देवेंद्र फडणवीस ने आखिरी समय में नगर निगम चुनाव टालने के लिए चुनाव आयोग की आलोचना की | VIDEO

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत