आयोग के फैसले के बाद लोजपा संसदीय दल के नेता पर अंतिम निर्णय करेंगे लोकसभा अध्यक्ष: पीडीटी आचारी

By भाषा | Updated: June 20, 2021 16:24 IST2021-06-20T16:24:38+5:302021-06-20T16:24:38+5:30

Lok Sabha Speaker will take final decision on the leader of LJP Parliamentary Party after the commission's decision: PDT Achari | आयोग के फैसले के बाद लोजपा संसदीय दल के नेता पर अंतिम निर्णय करेंगे लोकसभा अध्यक्ष: पीडीटी आचारी

आयोग के फैसले के बाद लोजपा संसदीय दल के नेता पर अंतिम निर्णय करेंगे लोकसभा अध्यक्ष: पीडीटी आचारी

(नाम में महत्वपूर्ण सुधार के साथ रिपीट)

नयी दिल्ली, 20 जून लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) पिछले दिनों दो गुटों में बंट गई। इसके बाद पशुपति कुमार पारस को संसदीय दल के नेता के रूप में मान्यता दी गई जिसका चिराग पासवान ने विरोध किया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से इसपर पुनर्विचार का आग्रह किया। पार्टी का यह विवाद अब निर्वाचन आयोग के पास भी पहुंच गया है। इसी से जुड़े संवैधानिक पहलुओं पर पेश हैं लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचारी से ‘पीटीआई-भाषा’ के पांच सवाल और उनके जवाब:

सवाल: लोजपा में विवाद के बीच पशुपति पारस को पार्टी संसदीय दल के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने के फैसले पर आपकी क्या राय है?

जवाब: कोई भी पार्टी अपने नेता को चुनती है और फिर लोकसभा अध्यक्ष को सूचित करती है कि उसने फलां व्यक्ति को नेता चुना है। इसमें लोकसभा अध्यक्ष की भूमिका नहीं होती है। उनके पास सिर्फ सूचना आती है और फिर लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय की ओर से इसे रिकॉर्ड में डाल दिया जाता है। लोजपा के छह में से पांच सांसदों ने नया नेता चुना और लोकसभा अध्यक्ष को सूचित किया। इसके बाद रिकॉर्ड में लोजपा नेता का नाम बदल दिया गया। यह सामान्य प्रक्रिया के तहत हुआ।

सवाल: चिराग पासवान का कहना है कि पशुपति पारस को नेता के तौर पर मान्यता देना उनकी पार्टी के संविधान के खिलाफ है। ऐसे में क्या इस फैसले से पहले दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए था?

जवाब: मैंने पहले भी कहा है कि इसमें लोकसभा अध्यक्ष की कोई भूमिका नहीं होती है। इसमें निर्वाचन आयोग की भूमिका होती है। पार्टी के संविधान की बात निर्वाचन आयोग देखेगा। लोकसभा सचिवालय तो पार्टियों की ओर से भेजी गई सूचना पर अमल करता है। लोकसभा अध्यक्ष इसमें यह नहीं देखते हैं कि कितने लोग किसके साथ हैं, यह सब चुनाव इकाई देखेगी।

सवाल: चिराग पासवान के आग्रह के बाद अब लोकसभा अध्यक्ष संसदीय प्रक्रिया के तहत क्या कदम उठा सकते हैं?

जवाब: पार्टी के छह में से पांच सांसदों ने प्रस्ताव पारित कर अपने संसदीय दल के नेता को बदल दिया। लोकसभा अध्यक्ष का दायरा सिर्फ संसदीय दल तक ही होता है। अब उन्होंने (पासवान) आग्रह किया है तो लोकसभा अध्यक्ष इसका सत्यापन करेंगे। वह सांसदों के हस्ताक्षर देखेंगे। वह कोई अंतिम निर्णय निर्वाचन आयोग के फैसले के बाद ही करेंगे।

सवाल: क्या यह भी हो सकता है कि निर्वाचन आयोग का फैसला आने तक लोजपा संसदीय दल का सदन में कोई अधिकृत नेता न हो और क्या अतीत में ऐसा कोई उदाहरण मिलता है?

जवाब: अतीत में ऐसा कोई उदाहरण नहीं मिलता है कि किसी पार्टी के संसदीय दल के नेता के तौर पर कुछ समय के लिए किसी को मान्यता नहीं दी गई हो। लोकसभा अध्यक्ष फौरी तौर पर कोई निर्णय करने के लिए पहले के पत्र (पारस गुट) के साथ जाते हैं या फिर दूसरे पत्र (चिराग गुट) के साथ जाते हैं, यह सब उनके विवेक पर निर्भर है। इतना जरूर है कि असली लोजपा कौन सा गुट है, इसका फैसला होने के बाद ही संसदीय दल के नेता पर अंतिम निर्णय होगा। उदाहरण के तौर पर, अगर निर्वाचन आयोग कहता है कि पासवान का गुट ही असली लोजपा है तो फिर पासवान लोकसभा अध्यक्ष को लिखकर सूचित करेंगे कि निर्वाचन आयोग ने उनके पक्ष में फैसला दिया है और सदन में वह अपनी पार्टी के नेता हैं। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष इसे स्वीकार करेंगे और यही अंतिम निर्णय होगा।

सवाल: इस विषय पर निर्वाचन आयोग फैसला करते समय किन प्रमुख बिंदुओं पर विचार करेगा और फैसले में कितना समय लग सकता है?

जवाब: निर्वाचन आयोग विधायकों और सांसदों का संख्या बल देखेगा। इसके आलावा यह भी देखेगा कि पार्टी के पदाधिकारियों का संख्या बल किसके साथ है। वह दोनों पक्षों को सुनेगा। इसके बाद फैसला करेगा कि कौन सा गुट असली लोजपा है। अगर निर्वाचन आयोग को लगता है कि दोनों पक्षों के दावे में सत्यता नहीं है तो फिर वह पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न फ्रीज भी कर सकता है।

फैसले में कितना समय लग सकता है, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता क्योंकि आयोग को सभी पक्षों को सुनना होगा और यह एक लंबी प्रक्रिया भी हो सकती है।

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Web Title: Lok Sabha Speaker will take final decision on the leader of LJP Parliamentary Party after the commission's decision: PDT Achari

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