लोक सभा चुनावः दिल्ली में लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी को सहारा नहीं देगी कांग्रेस?

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: March 6, 2019 14:35 IST2019-03-06T14:34:56+5:302019-03-06T14:35:34+5:30

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सियासी तौर पर बहुत ताकतवर थे, तब तो कांग्रेस के सहयोग पर भी बेरूखी दिखाते रहे, अब जबकि आप की सियासी पारी लड़खड़ा रही है तो कांग्रेस क्यों उसे सहारा देगी?

Lok Sabha elections: Congress will not support the faltering Aam Aadmi Party in Delhi? | लोक सभा चुनावः दिल्ली में लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी को सहारा नहीं देगी कांग्रेस?

लोक सभा चुनावः दिल्ली में लड़खड़ाती आम आदमी पार्टी को सहारा नहीं देगी कांग्रेस?

केन्द्र से बीजेपी सरकार को हटाने के लिए विपक्ष के तमाम सियासी दबावों के बावजूद, लोकसभा चुनाव में आखिर कांग्रेस ने आप से चुनावी गठबंधन नहीं किया है. इसके कई कारण हैं, जिन्हें ठीक-से कांग्रेस नेतृत्व को पेश करने में आप-कांग्रेस गठबंधन विरोधी शायद कामयाब रहे हैं.

एकः इससे आप को ज्यादा फायदा था, उसकी लड़खड़ाती सियासी पारी को संभलने का मौका मिल जाता और फिर-से ताकत मिलने के बाद सीएम केजरीवाल के सियासी तेवर बदल सकते थे, क्योंकि सीएम केजरीवाल का राजनीतिक व्यवहार विश्वसनीय नहीं रहा है. 

दोः आप के वोट बैंक में दो तरह के लोग प्रमुखता से शामिल हैं, कांग्रेस विरोधी पंजाबी और मुस्लिम, आप से गठबंधन के बाद भी कांग्रेस विरोधी पंजाबी वोट तो कांग्रेस को मिलना मुश्किल था, वहीं मुस्लिम वोट वैसे भी कांग्रेस के करीब आ रहे हैं. गठबंधन के बाद भी कांग्रेस विरोधी पंजाबी वोट का फायदा बीजेपी को ही मिलता, अब कांग्रेस विरोधी पंजाबी वोट आप और बीजेपी में बंट जाएंगे.

तीनः कांग्रेस को सीटों के लिहाज से कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं होने जा रहा था, जहां कांग्रेस मान कर चल रही है कि इस बार लोस चुनाव में दिल्ली में आधी से ज्यादा सीटें जीतेगी, वहीं गठबंधन के बाद भी कांग्रेस को सीटों का कोई खास फायदा नहीं होना था.

चारः लोकसभा चुनाव के बाद यह साफ हो जाएगा कि इसके बाद होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में किसे कामयाबी मिलेगी? यदि कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन कर पाई तो विस चुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ेगी और यदि बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर रहा तो आप को दिल्ली की सत्ता बचाने के लिए फिर कांग्रेस के पास जाना पड़ेगा.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि जब सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली में सियासी तौर पर बहुत ताकतवर थे, तब तो कांग्रेस के सहयोग पर भी बेरूखी दिखाते रहे, अब जबकि आप की सियासी पारी लड़खड़ा रही है तो कांग्रेस क्यों उसे सहारा देगी?

याद रहे, दिल्ली में दो तरह के वोट हैं, एक- जो बीजेपी के पक्ष में हैं, और दो- जो बीजेपी के खिलाफ हंै. बीजेपी के खिलाफ जो वोट हंै, वे कांग्रेस और आप में बंटते रहे हैं. जब इस वोट बैंक का बड़ा हिस्सा आप के पास था, तब सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली में बेहद ताकतवर थे, लेकिन अब कांग्रेस का पक्ष लगातार मजबूत हो रहा है. देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस की बढ़ती सियासी ताकत का असर लोक सभा चुनाव में नजर आएगा या फिर आप-कांग्रेस में बंटे वोटों के कारण बीजेपी बाजी मार ले जाएगी?

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