Lok Sabha Elections 2024: यूपी में 'पीएम मोदी का करिश्मा' क्यों नहीं आया भाजपा के काम, क्या अति आत्मविश्वास बना पार्टी के हार का कारण, समझिये पूरी पहेली

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: June 6, 2024 10:13 AM2024-06-06T10:13:08+5:302024-06-06T10:21:16+5:30

लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इसे लेकर कुछ सियासी जानकारों का कहना है कि यूपी में 'मोदी का करिश्मा' इस बार पूरी तरह से मुंह के बल औंधे गिर गया है।

Lok Sabha Elections 2024: Why did 'PM Modi's charisma' not work for BJP in UP, did overconfidence become the reason for the party's failure, understand the whole puzzle | Lok Sabha Elections 2024: यूपी में 'पीएम मोदी का करिश्मा' क्यों नहीं आया भाजपा के काम, क्या अति आत्मविश्वास बना पार्टी के हार का कारण, समझिये पूरी पहेली

फाइल फोटो

Highlightsलोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहासियासी जानकारों ने कहा कि 'मोदी का करिश्मा' इस बार पूरी तरह से मुंह के बल औंधे गिरा हैउत्तर प्रदेश में भाजपा का अति आत्मविश्वास उसकी हार का प्रमुख कारण बना है

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तर प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। इसे लेकर कुछ सियासी जानकारों का कहना है कि यूपी में 'मोदी का करिश्मा' इस बार पूरी तरह से मुंह के बल औंधे गिर गया है। वहीं कुछ यह भी बता रहे हैं कि भाजपा का अति आत्मविश्वास उसकी हार का प्रमुख कारण बना है।

समाचार वेबसाइट टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार समाजवादी पार्टी को मिली 37 सीट, बीजेपी का मिली 33 सीट, कांग्रेस का मिली 6 सीट और बसपा का बिना खाता खोले रह जाना इस बात का प्रमाण है कि न केवल स्पष्ट रूप से संकेत दे रहा है कि मतदाताओं ने इस बार जो जनादेश सूबे में दिया है, वो काफी जटिलताओं से भरा है।

हालांकि भाजपा के दृष्टिकोण से दिलचस्प बात यह है कि वह मतदाताओं, स्थानीय भाजपा इकाइयों और निष्क्रिय आरएसएस कार्यकर्ताओं के गुस्से को समझने में पूरी तरह से फेल रही।

पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि स्थिति को सही ढंग से समझने में असमर्थता से अधिक, यह पार्टी का "अति आत्मविश्वास" था। जिसके कारण जमीनी स्थिति के आकलन में पार्टी से भारी चूक हुई है।

भाजपा के एक नेता ने कहा, "जब भी नेतृत्व को प्रदेश में अलग-अलग दृष्टिकोण के साथ सामना करना पड़ा, तो उसने कहा "आप कुछ भी नहीं जानते हैं। हम जो कर रहे हैं, वही सही  है।"

यूपी में ठाकुर मतदाता की नाराजगी के संबंध में दी गई कई चेतावनियों के बावजूद भाजपा आलाकमान ने स्थिति को नियंत्रित करने में जिस तरह से गंभीरता दिखाई, वो पार्टी के लिए काफी महंगा साबित हुआ। स्थिति को संभालने के लिए बहुत अधिक ठोस प्रयास नहीं किए गए जैसा कि 2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान किया गया था, जब मतदान से कुछ दिन पहले जाट समुदाय को खुश करने के लिए सुलह के कदम उठाए गए थे।

दरअसल, पहले चरण के मतदान के दौरान जब राजपूतों का 'गुस्सा' खुलकर सामने आया तब भी नेतृत्व इनकार की मुद्रा में रहा। हालांकि केवल कुछ प्रतिशत राजपूतों और अन्य जातियों ने भाजपा को वोट नहीं दिया होगा, लेकिन नुकसान की भरपाई करने या जमीनी हकीकत को स्वीकार करने के लिए भी कोई प्रयास नहीं किया गया।

पार्टी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा, "यहां तक ​​​​कि जब सर्वेक्षण रिपोर्टों ने कई उम्मीदवारों के लिए नकारात्मक प्रतिक्रिया दी गई है तब भी पार्टी नेतृत्व ने उनमें से कई को इस आधार पर दोहराने का फैसला किया कि यह चुनाव उम्मीदवारों के लिए नहीं, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए है।"

पार्टी सूत्र ने कहा, "मोदी के करिश्मे के नाम पर भाजपा ने कई अन्य महत्वपूर्ण कारकों को नजरअंदाज कर दिया, जिससे अन्य मुद्दों पर अधिक अनौपचारिक दृष्टिकोण बना रहा।"

उम्मीदवारों के नामों की घोषणा के बाद भी कई जिला इकाइयों ने नाराजगी व्यक्त की थी, लेकिन उन्हें शांत करने या उनके मुद्दों को हल करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया।

कई मामलों में आरएसएस के स्वयंसेवक जो चुनावों के दौरान सक्रिय रहते थे और लोगों को मतदान के लिए मनाने में मजबूती से काम करते थे, वो चुनावी परिदृश्य से गायब रहे। एक पर्यवेक्षक ने बताया, "भाजपा के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं में उत्साह की कमी के कारण कई क्षेत्रों में कम मतदान हुआ।"

भाजपा नेताओं का एक आम बयान है, "उम्मीदवारों के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर इस चुनाव में कोई मुद्दा नहीं था और अन्य सभी मुद्दे बौने हो जाएंगे क्योंकि लोग सांसद नहीं बल्कि मोदी को चुनने जा रहे हैं।" 

वहीं पार्टी के एक अन्य नेता ने कहा, ''जब चुनाव प्रचार की बात आई तो दोनों एकमत नहीं थे। यह आश्चर्य की बात है कि ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई।"

भाजपा के एक पदाधिकारी ने कहा, "अब जब नतीजे भाजपा के खिलाफ गए हैं, तो नेतृत्व को सामूहिक जिम्मेदारी लेनी होगी और गलतियों को सुधारने की दिशा में काम करना चाहिए।"

Web Title: Lok Sabha Elections 2024: Why did 'PM Modi's charisma' not work for BJP in UP, did overconfidence become the reason for the party's failure, understand the whole puzzle

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