मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल लोकसभा सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे। प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि कांग्रेस चुनाव समिति ने दिग्विजय सिंह का नाम भोपाल के लिए तय किया है। बता दें कि बीते दिनों कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह से अपील की थी कि वह बीजेपी के किसी मजबूत गढ़ में कांग्रेस का पताका लहराए। कमलनाथ ने उन्हें कहा है कि वे ऐसी सीट से चुनाव लड़ें जिस पर लंबे समय से कांग्रेस पिछड़ी हुई है।
इस समय भाजपा के आलोक संजर भोपाल के सांसद हैं। पिछले 8 चुनावों में यहां पर सिर्फ भाजपा ने ही अपना परचम लहराया है। लेकिन विधान सभा चुनाव 2018 में भाजपा की हार के बाद यहां पर लोकसभा सीट जीतना एक चुनौती की तरह सामने आ रहा है।
भोपाल में 1957 में चुनाव हुआ था पहला चुनावभोपाल लोकसभा सीट पर पहली बार साल 1957 में चुनाव हुआ था। इस समय कांग्रेस की मैमुना सुल्तान ने जीत हासिल की थी। इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी मैनुना ही जीती थीं। लेकिन साल 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी के बाद से कांग्रेस इस सीट पर एक भी लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाई। इसके बाद हुए 8 लोकसभा चुनाव में लगातार भाजपा के प्रत्याशी ने ही जीत दर्ज की।
आखिरी बार 1984 में जीती थी क्रांग्रेसभोपाल गैस त्रासदी के एक महीने पहले नवंबर 1984 में आखिरी बार इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी। इस समय कांग्रेस के केएन प्रधान विजयी हुए थे। लेकिन वर्तमान समय में इस सीट पर भाजपा का कब्जा है।
पूर्व राष्ट्रपति रह चुके हैं सांसद
यह सीट इस लिए भी अहम मानी जाती है क्योंकि इस पर पूर्व राष्ट्रपति और राज्य के पूर्व सीएम शंकर दयाल शर्मा भी सांसद रह चुके हैं। उन्होंने 1971 और 1980 के लोकसभा चुनाव में जीत का परचम लहराया था। लेकिन 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में वे भारतीय लोकदल के आरिफ बेग के हाथों हार गए थे।