जम्मू-कश्मीर में राजनीति ने भाई-भाई को बांटा, वोटों की खातिर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार

By सुरेश डुग्गर | Updated: April 5, 2019 12:15 IST2019-04-05T12:15:13+5:302019-04-05T12:15:13+5:30

पूर्व सदरे रियासत डॉ कर्ण सिंह के पुत्र व कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ उनके छोटे भाई व पूर्व मंत्री अजातशत्रु सिंह प्रचार मैदान में हैं। डॉ कर्ण सिंह यहां विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं तो वहीं अजातशत्रु सिंह भाजपा के उम्मीदवार डॉ जितेन्द्र सिंह के समर्थन में प्रचार करते हुए कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं।

lok sabha election: vikramaditya singh and ajatshatru singh election campaign | जम्मू-कश्मीर में राजनीति ने भाई-भाई को बांटा, वोटों की खातिर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार

जम्मू-कश्मीर में राजनीति ने भाई-भाई को बांटा, वोटों की खातिर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार

जम्मू कश्मीर में चुनावों का एक रोचक पहलू यह भी है कि राजनीति ने भाई-भाई को बांट रखा है। और ये भाई एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार में इसलिए जुटे हैं क्योंकि वे अलग-अलग राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं। उधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र में जीत हासिल करने की राजनीति में सीट के मुख्य दावेदारों भाजपा के डॉ जितेन्द्र सिंह व कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह के परिवार भी राजनीतिक आधार पर बंटे हुए हैं। अलग अलग राजनीतिक पार्टियों से जुड़े होने के कारण इन परिवारों के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ के खिलाफ प्रचार के मैदान में हैं।

पूर्व सदरे रियासत डॉ कर्ण सिंह के पुत्र व कांग्रेस के उम्मीदवार विक्रमादित्य सिंह के खिलाफ उनके छोटे भाई व पूर्व मंत्री अजातशत्रु सिंह प्रचार मैदान में हैं। डॉ कर्ण सिंह यहां विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं तो वहीं अजातशत्रु सिंह भाजपा के उम्मीदवार डॉ जितेन्द्र सिंह के समर्थन में प्रचार करते हुए कांग्रेस को निशाना बना रहे हैं। ये दोनों भाई दल बदल भी कर चुके हैं। अजातशत्रु सिंह यहां पहले नेशनल कांफ्रेंस के विधायक व मंत्री रहे हैं तो विक्रमादित्य हाल चंद महीनों पहले ही पीडीपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

खास बात यह है कि डॉ. कर्ण सिंह कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर पर वरिष्ठ नेता हैं। वहीं उनके छोटे बेटे अजातशत्रु सिंह पहले नेशनल कांफ्रेंस के एमएलसी थे। विक्रमादित्य पहले पीडीपी से जुड़े थे और बाद में वे तब कांग्रेस से जुड़ गए जब चुनावों का मौका आया।

मजेदार बात यह थी राजपरिवार के प्रति की जब विक्रमादित्य पीडीपी में शामिल हुए थे तो राजपरिवार तीन राजनीतिक दलों में बंट गया था। पहले विधानसभा चुनावों में यह पक्का था कि पीडीपी विक्रमादित्य को उनके छोटे भाई के मुकाबले नगरोटा विधानसभा क्षेत्र से मैदान में उतारेगी। पर ऐसा हुआ नहीं तो जम्मू के साथ भेदभाव के आरोप मढ़ते हुए उन्होंने पीडीपी का दामन छोड़ दिया।

दूसरी ओर उधमपुर-डोडा संसदीय सीट से डॉ. जितेन्द्र सिंह भाजपा के उम्मीदवार हैं तो उनके छोटे भाई देवेन्द्र सिंह राणा नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता होने के नाते उनके खिलाफ प्रचार अभियान चला रहे हैं। जम्मू संभाग में पीडीपी व नेशनल कांफ्रेंस, प्रदेश कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं। ऐसे में राज्य नामी उद्योगपति देवेन्द्र सिंह राणा, कांग्रेस के उम्मीदवाद विक्रमादित्य सिंह के समर्थन में अपने भाई के खिलाफ चुनाव प्रचार कर भाजपा को निशाना बना रहे हैं। डा जितेन्द्र सिंह मूलतरू डोडा जिले के रहने वाले हैं व उनके पिता राजेन्द्र सिंह राणा सेवानिवृत चीफ इंजीनियर थे।

Web Title: lok sabha election: vikramaditya singh and ajatshatru singh election campaign