लोकसभा चुनाव 2019: ओडिशा और पश्चिम बंगाल में बीजेपी की राजनीतिक धरातल कितनी मजबूत है?
By विकास कुमार | Published: April 13, 2019 03:04 PM2019-04-13T15:04:55+5:302019-04-13T15:04:55+5:30
पश्चिम बंगाल और ओडिशा बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में डैमेज कंट्रोल साबित हो सकता है जो उसे हिंदी हार्टलैंड में होने वाला है. लेकिन ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे क्षत्रपों से पार पाना इतना आसान भी नहीं होगा. क्षेत्रीय अस्मिता की सवारी करने वाले इन नेताओं की लोकप्रियता आज भी अपने राज्य में बरकरार है.
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पश्चिम बंगाल में 23 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है. ओडिशा में भी पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है. गृह मंत्री राजनाथ सिंह के मुताबिक, यूपी में जो 10-15 सीटों का नुकसान होगा उसकी खानापूर्ति बंगाल और ओडिशा से कर ली जाएगी.
पश्चिम बंगाल में बीजेपी लोकसभा चुनाव के एलान से महीनों पहले ही सक्रिय हो चुकी थी. बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं और ऐसे में बीजेपी इस बार यहां के चुनावी परिणाम को लेकर बहुत आशान्वित है. ओडिशा में पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को एक ही सीट पर जीत मिली थी. वहीं बंगाल में बीजेपी को 2 सीटें मिली थी. बीजेपी को राज्य में 17 फीसदी वोट मिले थे.
बंगाल में बीजेपी के ताल ठोकने के पिछले 2018 पंचायत चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन रहा है. ममता बनर्जी के चुनावी प्रदर्शन के सामने बीजेपी की राजनीतिक धरातल अभी भी कहीं नहीं ठहरती लेकिन कांग्रेस और लेफ्ट का वोटशेयर बीजेपी की तरफ शिफ्ट हो रहा है.
पंचायत चुनाव के परिणामों से मिला बल
2018 के पंचायत चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने जिला परिषद की 792 सीटें हासिल की थी तो वहीं बीजेपी को 23 सीटें मिली थी. कांग्रेस को 6 और वाम दल को केवल 1 सीट मिला था. पंचायत समिति में टीएमसी को 307 मिली तो वहीं भाजपा को 10 सीटें मिली. कांग्रेस को 1 और लेफ्ट पार्टी को एक भी सीटें नहीं मिली.
ग्राम पंचायत में ममता बनर्जी की पार्टी को 2679 सीटें मिली तो बीजेपी को 202 सीटें प्राप्त हुई. कांग्रेस को 16 और लेफ्ट 24 सीटों पर विजयी हुई. पंचायत चुनाव के नतीजों से स्पष्ट है कि बीजेपी बंगाल में विपक्ष की भूमिका में कांग्रेस और लेफ्ट को पीछे छोड़ चुकी है.
ओडिशा में युवा मोदी से प्रभावित
ओडिशा में भी 2017 में पंचायत चुनाव हुए थे. जहां बीजेपी को कुल 297 और बीजेडी को 474 सीटें प्राप्त हुई थी. ओडिशा में नवीन पटनायक की सरकार के ख़िलाफ़ 19 साल का एंटी इनकमबेंसी है. राजनीतिक विश्लेषकों में मुताबिक, 2014 में पूरे देश में जब मोदी लहर चल रही थी तो ओडिशा की जनता ने इसे खारिज कर दिया था. लेकिन इस बार राज्य का युवा बीजेडी के वृद्ध नेतृत्व से उब चुका है और इसके कारण नरेन्द्र मोदी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है.
पश्चिम बंगाल और ओडिशा बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में डैमेज कंट्रोल साबित हो सकता है जो उसे हिंदी हार्टलैंड में होने वाला है. लेकिन ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे क्षत्रपों से पार पाना इतना आसान भी नहीं होगा. क्षेत्रीय अस्मिता की सवारी करने वाले इन नेताओं की लोकप्रियता आज भी अपने राज्य में बरकरार है.