राजस्थान में लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर चुनावी बिगुल फुंक चुका है और सूबे की दोनों दिग्गज पार्टियां भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) व कांग्रेस चुनावी मोड में दिखाई देने लगी हैं। ऐसे में आज हम एक ऐसी सीट की बात करने जा रहे हैं जिस पर भारतीय जनता पार्टी का दबदबा है और कांग्रेस अपनी खोई जमीन तलाशने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। इस बार उसके आगे बड़ी चुनौती है क्योंकि उसने हाल ही में विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत दर्ज की है, जिससे साफ है कि मतदाताओं का रुझान कांग्रेस के पक्ष में है।
चूरू लोकसभा सीट
दरअसल, हम बात चूरू लोकसभा सीट की कर रहे हैं, जोकि सामान्य सीट है। इस संसदीय सीट का गठन होने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव साल 1977 में हुआ था। यहां शुरू से ही जाटों का दबदबा रहा है। बीजेपी ने यह सीट अबतक पांच बार जीती है, जिसमें से उसने 1996 से लगातार चार चुनाव जीते हैं और कांग्रेस को बुरी तरह से परास्त किया है। कांग्रेस इस सीट पर केवल चार बार जीत सकी है और उसे पहली जीत 1984 में मिली थी।
चूरू लोकसभा सीट का इतिहास
चूरू लोकसभा सीट का गठन होने के बाद 1977 के चुनाव में जनता पार्टी ने जीत दर्ज खाता खोला था। 1980 में जनता पार्टी (सेकुलर) ने विजय पाई। इसके बाद कांग्रेस ने 1984, 1985 का चुनाव जीता। हालांकि 1989 में जनता दल ने सीट पर कब्जा जमा लिया। फिर बीजेपी ने 1991 में पहली बार जीत हासिल की। लेकिन, कांग्रेस ने वापसी करते हुए 1996 और 1998 के चुनाव जीते। उसके बाद से लगातार चार बार 1999, 2004, 2009, 2014 के चुनाव में बीजेपी ने जीत दर्ज की।
चूरू लोकसभा सीट पर बीजेपी की पकड़ मजूबत
चूरू लोकसभा सीट पर बीजेपी की पकड़ इस बात से भी मजूबत मानी जाती है कि यहां से लगातार तीन बार पार्टी के नेता रामसिंह कास्वां सांसद रहे हैं और उसके बाद बीजेपी ने मोदी लहर के दौरान 2014 में रामसिंह कास्वां के बेटे राहुल कास्वां को मैदान में उतारा था और उन्हें भी सफलता मिली। इस तरह है बीजेपी पिछले चार लोकसभा चुनावों से लगातार जीतती आ रही है। वहीं, कांग्रेस की स्थिति पिछले चुनाव में इतनी खराब हो गई थी कि वह तीसरे नंबर की पार्टी बन गई थी और बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
चुनाव आयोग के आंकड़े
चुनाव आयोग के मुताबिक, पिछले लोकसभा चुनाव के आंकड़े बताते हैं कि चुरू सीट पर कुल मतदाताओं की संख्य 17 लाख, 48 हजार, 721 थी। इनमें से 11 लाख, 27 हजार, 572 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था और 64.48 फीसदी वोटिंग हुई थी। बीजेपी के उम्मीदवार राहुल कास्वां को 5 लाख, 95 हजार, 756 वोट मिले थे, जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार प्रताप सिंह को 1 लाख, 76 हजार, 912 वोट मिले थे। वहीं बीएसपी के उम्मीदवार अभिनेष महर्षि को 3 लाख, 1 हजार, 17 वोट मिले थे। उन्हें बीजेपी ने 2 लाख, 94 हजार, 739 वोटों के अंतर से हराया था।
चूरू के बारे में
अगर चूरू की बात करें तो यह सूबे के मरुस्थलीय भाग का एक शहर है। इस शहर को थार मरुस्थल का द्वार भी कहते हैं। बताया जाता है कि इसकी स्थापना 1620 ई. में राठौड़ वंश ने की थी। यहां सबसे ऐतिहासिक रत्नागढ़ का किला और सालासार बालाजी धाम है। इसके अलावा चूरू क्षेत्र पर्यटकों को खूब भाता है क्योंकि यहां सुराना हवेली, दूधवा खारा, कोठारी हवेली, छतरी और ताल छापर अभयारण्य है। इसकी वजह से चूरू की खूबसूरती और बढ़ जाती है।