3 मई के बाद भी बढ़ेगा लॉकडाउन! जानिए क्या होगा दिल्ली-महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर असर?
By आदित्य द्विवेदी | Updated: April 28, 2020 07:45 IST2020-04-28T07:45:38+5:302020-04-28T07:45:38+5:30
देश में इस खतरनाक वायरस के अब तक कुल लगभग 27,892 मामले आ चुके हैं। इस बीमारी से 6,185 लोग ठीक हो गए हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यह जानलेवा बीमारी देश में अब तक 872 लोगों की मौत हो चुकी है।

3 मई के बाद भी बढ़ेगा लॉकडाउन! जानिए क्या होगा दिल्ली-महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था पर असर?
3 मई के बाद क्या होगा? क्या लॉकडाउन खत्म हो जाएगा या कुछ ढील मिलेगी अथवा इसे पहले से भी ज्यादा सख्ती से लागू किया जाएगा? अगर लॉकडाउन बढ़ाया गया तो इसके किस तरह के आर्थिक दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे? दुनिया के अन्य देश कोरोना से निपटने के लिए किस तरह की रणनीति अपना रहे हैं? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो फिलहाल कमोबेश हर शख्स के मन में उठ रहे हैं। इस वीडियो में हम आपको आंकड़ों और एक्सपर्ट्स से बातचीत के जरिए इन्हीं सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे...
क्या 3 मई के बाद भी लॉकडाउन बढ़ेगा?
आज 27 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी मुख्यमंत्री के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की। इस बैठक का केंद्रीय मुद्दा लॉकडाउन ही था। कई मुख्यमंत्रियों ने पीएम मोदी को 3 मई के बाद भी लॉकडाउन जारी रखने का सुझाव दिया है। ये क्यों इतना जरूरी है इस बारे में लोकमत के वरिष्ठ संवाद्दाता संतोष ठाकुर ने बताया...
अधिकतर मुख्यमंत्रियों का यह कहना है कि रेड जोन और हॉटस्पॉट्स में किसी तरह की राहत नहीं देनी चाहिए। अगर किसी तरह की छूट भी दी जाती है तो सार्वजनिक परिवहन की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। यहां तक की इंटर स्टेट बसों को भी ना खोला जाए।
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे का कहना है कि हमारे लिए सबसे बड़ी मुश्किल है कि क्लस्टर को कैसे रोकें? होम क्वारनटीन का फायदा कई बस्तियों में नहीं दिखा, क्योंकि कई जगह छोटे घर हैं. इसलिए बस्तियों से हटाकर लोगों को सरकारी जगह पर ले जाया जा रहा है। इस बारे में लोकमत के पॉलिटिकल एक्सपर्ट अतुल कुलकर्णी का कहना है...
अगर मुंबई और पुणे की बात करें तो मरीज़ों की संख्या में कमी नहीं हो रही है। अगर यही हालात रहे तो 3 मई के बाद भी लॉकडाउन जारी रहने की संभावना है। लेकिन महाराष्ट्र के 11 जिले ऐसे हैं जहां मरीज़ों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रही है।
कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए भारत लॉकडाउन की रणनीति अपना रहा है। वहां अमेरिका टेस्टिंग पर ज़ोर दे रहा है। दुनिया के अलग-अलग देशों ने कोरोना से निपटने के लिए क्या रणनीति अपनाई है और भारत को 3 मई के बाद क्या करना चाहिए। इसपर हमने फॉरेन एक्सपर्ट शैलेंद्र देवलांकर से बात की...
3 मई के बाद सरकार ग्रीन और ऑरेंज ज़ोन में कुछ एक्टिविटी शुरू कर सकती है लेकिन जो रेड जोन हैं उसमें सख्ती बहुत जरूरी है। लॉकडाउन ने अभी तक अपने वांछित परिणाम दिए हैं लेकिन अभी खतरा टला नहीं है। हमें इकोनॉमिक एक्टिविटी और लॉकडाउन को बैलेंस्ड करना पड़ेगा। हमें ट्रेस, टेस्ट और ट्रीट के साउथ कोरिया मॉडल को अपनाना होगा। अगर कंप्लीट लॉकडाउन की बात करें दो भारत को मिलाकर 21 देश हैं और किसी ने लॉकडाउन को खत्म करने का निर्णय नहीं किया। जिन देशों ने लॉकडाउन हटा दिया था वहां कोरोना की सेकेंड वेव दिखने लगी है। यह काफी खतरनाक है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि वियतनाम, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश सेकेंड वेव से बहुत ज्यादा खतरे में हैं।
दिल्ली की कोविड-19 कमेटी ने सुझाव दिया है कि कोविड-19 के संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन 16 मई तक बढ़ाया जाना चाहिए। कमेटी के चेयरमैन एसके सरीन ने कहा कि दिल्ली में कैंटोनमेंट ज़ोन की संख्या बहुत बढ़ गई है। इसलिए बुद्धिमत्ता इसी में है कि लॉकडाउन बढ़ा दिया जाए। कई अन्य राज्यों ने भी इसी तरह की आवाज़ उठाई है। अब गेंद केंद्र सरकार के पाले में हैं। वो अपने इम्पॉवर्ड ग्रुप्स के साथ चर्चा करके तय करेगा कि 3 मई के बाद क्या किया जाना है?
प्रवासी मजदूरों का क्या होगा?
महाराष्ट्र और दिल्ली में देश के कोने-कोने से बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर रहते हैं। इन्हें फिलहाल शेल्टर होम में रखा गया है। ये सभी किसी भी हाल में अपने घर जाना चाहते हैं। लेकिन इनकी संख्या कम नहीं है। एक अनुमान के मुताबिक केवल मुंबई से करीब 18 लाख प्रवासी यूपी जा सकते हैं, जबकि पूरे महाराष्ट्र से यूपी जाने वालों की संख्या 35 लाख के आसपास हो सकती है। ऐसा ही बिहार, बंगाल और कुछ अन्य राज्यों का भी है। इस बारे में संतोष ठाकुर बताते हैं....
प्रवासी मजदूरों को लेकर सभी राज्य सरकारें कह रही हैं कि हम उनको गृह राज्य भेजेंगे. बिहार के अलावा कमोबेश सभी राज्य सरकारें इस पर सहमत हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने कहा कि हम बसों का इंतजाम कर रहे हैं जिससे उन्हें उनके गृह राज्य भेजा जाए। राजस्थान के उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का कहना है कि प्रवासी मजदूरों के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाई जानी चाहिए।
इस लॉकडाउन के आर्थिक दुष्प्रभाव क्या होंगे?
कोरोना संक्रमण की वजह से किए गए लॉकडाउन का दुष्प्रभाव आर्थिक संकट के रूप में देखने को मिल रहा है। भारत में सबसे ज्यादा खतरा स्वरोजगार, ठेके पर काम करने वाले लोगों और दिहाड़ी मजदूरों को है। एक अनुमान के मुताबिक देश में कार्यरत 41 लाख अस्थायी कर्मचारियों पर अगली दो तिमाही सबसे ज्यादा भारी पड़ने वाली है। एसोचैम और ग्लोबल हंट इंडिया का मानना है कि कोरोना का सबसे अधिक नकारात्मक असर सर्विस सेक्टर और खास तौर पर दिहाड़ी मजदूरों पर पड़ रहा है। अगर हालात जल्दी नहीं सुधरे तो संगठित क्षेत्र की हायरिंग में भी 15 से 20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है। इस बारे में अतुल कुलकुर्णी बताते हैं...
आर्थिक मोर्चे पर देश को बड़े दुष्प्रभाव देखने को मिलेंगे। सरकार ने इसके लिए छोटे-छोटे इंडस्ट्री और कृषि से जुड़े व्यवसाय को खोलना शुरू कर दिया है। लेकिन इसका लॉन्ग टर्म में बहुत असर पड़ेगा। लोगों को छंटनी और सैलरी कट देखने को मिल सकता है।
आपको बता दें कि देश में इस खतरनाक वायरस के अब तक कुल लगभग 27,892 मामले आ चुके हैं। इस बीमारी से 6,185 लोग ठीक हो गए हैं या उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यह जानलेवा बीमारी देश में अब तक 872 लोगों की मौत हो चुकी है।