नेपाल ने भारत से एकतरफा निर्माण गतिविधियां बंद करने को कहा, लिपुलेख के अभिन्न अंग होने की बात दोहरायी

By विशाल कुमार | Published: January 17, 2022 09:16 AM2022-01-17T09:16:51+5:302022-01-17T09:21:08+5:30

बीते 30 दिसंबर को उत्तराखंड के हल्द्वानी में भाजपा द्वारा आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार उत्तराखंड के लिपुलेख में बनी सड़क को और चौड़ा कर रही है।

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नेपाल ने भारत से एकतरफा निर्माण गतिविधियां बंद करने को कहा, लिपुलेख के अभिन्न अंग होने की बात दोहरायी

Highlightsलिपुलेख दर्रा नेपाल और भारत के बीच का सीमा क्षेत्र है।मोदी ने घोषणा की थी कि सरकार उत्तराखंड के लिपुलेख में बनी सड़क को और चौड़ा कर रही है।नेपाल ने दोहराया कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी देश के ‘‘अभिन्न अंग’’ हैं।

काठमांडू:नेपाल सरकार ने रविवार को एक बार फिर दोहराया कि लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी देश के ‘‘अभिन्न अंग’’ हैं और भारत से अपील की कि क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियां बंद कर दे। साथ ही कहा कि वह कूटनीतिक माध्यम के जरिये सीमा मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रतिबद्ध है।

काठमांडू में भारतीय दूतावास द्वारा एक बयान जारी करने के एक दिन बाद यह टिप्पणी आई है। भारतीय दूतावास ने कहा था कि नेपाल के साथ सीमा को लेकर भारत का रुख ‘‘सर्वविदित, सुसंगत है और स्पष्ट है। इस बारे में नेपाल की सरकार को बता दिया गया है।’’

बयान में कहा गया, ‘‘हमारा मत है कि स्थापित अंतर सरकारी तंत्र और माध्यम वार्ता के लिए सबसे उपयुक्त हैं। हमारे करीबी एवं मैत्रीपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों की भावना के अनुरूप लंबित सीमा मुद्दों का समाधान किया जा सकता है।’’

वहीं, बीते 30 दिसंबर को उत्तराखंड के हल्द्वानी में भाजपा द्वारा आयोजित एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार उत्तराखंड के लिपुलेख में बनी सड़क को और चौड़ा कर रही है।

संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ज्ञानेंद्र बहादुर कर्की ने रविवार को कहा कि नेपाल सरकार ‘‘इस तथ्य को लेकर दृढ़ और स्पष्ट है कि महाकाली नदी के पूर्व में स्थित लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी क्षेत्र नेपाल का अभिन्न अंग हैं।’’ 

नेपाल सरकार के प्रवक्ता कर्की ने कहा, ‘‘नेपाल की सरकार भारत सरकार से अपील करती है कि वह नेपाली क्षेत्र से होकर गुजरने वाली सड़कों का निर्माण एवं विस्तार जैसे सभी एकतरफा कदम रोक दे।’’ 

मंत्री ने कहा कि नेपाल की सरकार ‘‘दोनों देशों के बीच सीमा विवाद का समाधान ऐतिहासिक संधि, समझौते, दस्तावेजों और मानचित्र और नेपाल तथा भारत के बीच निकट एवं दोस्ताना संबंधों के मुताबिक करने के लिए प्रतिबद्ध है।’’ 

लिपुलेख में भारत द्वारा सड़क निर्माण के खिलाफ नेपाल में प्रदर्शन के बीच उनकी यह टिप्पणी आई है। सत्तारूढ़ नेपाली कांग्रेस ने शुक्रवार को एक बयान जारी किया था, जिसमें उसने लिपुलेख होकर सड़क के निर्माण का विरोध किया था।

पिछले साल नवंबर में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में कहा था कि धारचूला होकर लिपुलेख दर्रे से मानसरोवर तक की सड़क के बारे में नेपाल में गलतफहमी पैदा करने का प्रयास किया गया था। 

रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी यह दावा किया कि तीर्थयात्री जल्द ही वाहन से कैलाश-मानसरोवर की यात्रा कर सकेंगे क्योंकि केंद्र द्वारा घाटियाबागर से लिपुलेख तक की सीमा सड़क को पक्की सड़क में बदलने के लिए 60 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं। 

लिपुलेख दर्रा, कालापानी के पास एक सुदूर पश्चिमी स्थान है, जो नेपाल और भारत के बीच का सीमा क्षेत्र है। भारत और नेपाल दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न हिस्सा होने का दावा करते हैं। भारत उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के हिस्से के रूप में और नेपाल धारचूला जिले के हिस्से के रूप में इसे अपना क्षेत्र मानता है।

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