गंभीर जैसे नेताओं ने चिकित्सीय सहायता हासिल करने में लोगों की मदद की : दिल्ली पुलिस

By भाषा | Updated: May 17, 2021 22:09 IST2021-05-17T22:09:37+5:302021-05-17T22:09:37+5:30

Leaders like Gambhir help people get medical help: Delhi Police | गंभीर जैसे नेताओं ने चिकित्सीय सहायता हासिल करने में लोगों की मदद की : दिल्ली पुलिस

गंभीर जैसे नेताओं ने चिकित्सीय सहायता हासिल करने में लोगों की मदद की : दिल्ली पुलिस

नयी दिल्ली, 17 मई भाजपा सांसद गौतम गंभीर सहित नेताओं के बारे में दिल्ली पुलिस के हलफनामे पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को असंतोष जाहिर किया और कहा कि रिपोर्ट ‘‘अस्पष्ट है एवं जांच में लीपापोती की गई है।’’ हलफनामे में दिल्ली पुलिस ने कहा कि नेता लोगों को चिकित्सीय सहयोग प्राप्त करने में स्वेच्छा से मदद कर रहे थे और किसी के साथ धोखा नहीं किया गया। उन पर कोविड-19 दवाओं की जमाखोरी के आरोप लगे थे।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘चूंकि कुछ राजनीतिक हस्तियां इसमें संलिप्त हैं, इसलिए आप जांच नहीं करेंगे, हम इसकी अनुमति नहीं देंगे।’’ वे राष्ट्रीय राजधानी में नेताओं के खिलाफ दवाओं की जमाखोरी करने और इसका वितरण करने के आरोपों की याचिका पर सुनवाई कर रहे थे।

गंभीर ने पुलिस को दिए बयान में कहा कि जनप्रतिनिधि होने के नाते लोगों को जो भी जरूरत हो, वह देना उनका कर्तव्य है, खासकर महामारी के इस समय में और आम आदमी के राहत के लिए किसी भी नागरिक के प्रयास का इस कठिन समय में स्वागत किया जाना चाहिए। उनका बयान स्थिति रिपोर्ट का हिस्सा है।

उन्होंने कहा कि दवाओं का वितरण जनहित में पूरी तरह नि:शुल्क किया गया।

कोविड-19 रोगियों के इलाज में इस्तेमाल होने वाले टैबलेट फैबीफ्लू के वितरण के बारे में भाजपा नेता ने कहा कि वह गौतम गंभीर फाउंडेशन के न्यासी हैं जिसने संक्रमण से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए 22 अप्रैल से सात मई के बीच नि:शुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया था।

पुलिस ने कहा कि इन कथित घटनाओं की जांच रोजाना आधार पर की जा रही है और अधिकारियों ने लोकसभा सदस्य और भाजपा नेता गौतम गंभीर, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार, कांग्रेस के पूर्व विधायक मुकेश शर्मा, भाजपा प्रवक्ता हरीश खुराना और आप विधायक दिलीप पांडेय से पूछताछ की है।

पुलिस ने मामले की जांच के लिए छह हफ्ते का समय मांगा लेकिन अदालत ने इससे इंकार कर दिया।

पीठ ने पुलिस को बेहतर स्थिति रिपोर्ट दायर करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया और कहा कि उसे स्पष्ट रूप से बताना चाहिए कि जिन दवाओं की काफी कमी थी और जो काला बाजार में उच्च दरों पर बेची जा रही थीं, उन्हें किस तरह से कुछ लोगों ने बड़ी मात्रा में खरीदी।

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