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एलडीएफ सरकार ने केरल पुलिस कानून में विवादित संशोधन पर रोक लगाई

By भाषा | Updated: November 23, 2020 20:54 IST

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तिरुवनंतपुरम, 23 नवंबर केरल की माकपा नीत वाम लोकतांत्रिक मोर्चा सरकार ने देशभर में आलोचना के बाद राज्य पुलिस अधिनियम में विवादित संशोधन पर सोमवार को रोक लगाने का फैसला किया। इस संशोधन से देश में सियासी तूफान मच गया और लोगों ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया पर हमला बताया।

दिल्ली में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ऐलान किया था कि पुलिस कानून में संशोधन पर पुनर्विचार किया जाएगा। इसके कुछ देर बाद ही मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा कि उनकी सरकार का इरादा अभी इस संशोधित कानून को लागू नहीं करने का है।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में विधानसभा में विस्तृत विचार-विमर्श होगा और विभिन्न तबकों की राय सुनने के बाद आगे का कदम उठाया जाएगा।

इससे पहले कांग्रेस ने इस संशोधन के खिलाफ प्रदर्शन किया था और भाजपा ने इसे कानूनी तौर पर चुनौती देने की धमकी दी थी।

सरकार का कहना है कि साइबर दबंगई पर रोक लगाने के लिए वह इस संशोधन को लेकर आई जबकि विपक्षी पार्टियों यहां तक कि वाम दलों के प्रति हमदर्दी रखने वालों ने भी इसकी आलोचना की और कहा कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के खिलाफ है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीतला ने विजयन के उस बयान को "झांसा" बताया जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी सरकार की मंशा इसे लागू करने की नहीं है। चेन्नीतला ने जल्द से जल्द इस संशोधन को रद्द करने की मांग की है।

उन्होंने कहा कि अध्यादेश तब कानून बन जाता है जब राज्यपाल उसपर हस्ताक्षर कर देते हैं और मुख्यमंत्री समेत कोई भी यह नहीं कह सकता है कि वह कानून के प्रभावी होने के बाद उसे लागू नहीं करेंगे।

कांग्रेस नेता ने कहा कि पुलिस अब भी इस संशोधित कानून के तहत मामला दर्ज कर सकती है।

मुख्यमंत्री कार्यालय के सूत्रों ने पीटीआई-भाषा से कहा कि राज्य मंत्रिमंडल अध्यादेश को वापस लेने के लिए राज्यापल को सिफारिश करेगा या फिर गृह मंत्रालय पुलिस को निर्देश जारी करेगा कि इसके तहत कोई कार्रवाई नहीं की जाए।

उच्चतम न्यायालय के वकील और संविधान विशेषज्ञ कलीश्वरम राज ने कहा कि किसी अध्यादेश को अप्रभावी करने का एक मात्र तरीका दूसरे अध्यादेश के जरिए उसे वापस लेना है।

अंतरराष्ट्रीय प्रेस संस्थान (आईपीआई) ने सोमवार को केरल सरकार के इस अध्यादेश की सोमवार को निंदा की है।

आईपीआई ने कहा, ‘‘राज्य में मीडिया का गला घोंटने का यह खतरनाक और द्वेषपूर्ण प्रयास है।’’

राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को केरल पुलिस अधिनियम संशोधन अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे।

केरल मंत्रिमंडल ने पिछले महीने पुलिस अधिनियम को और प्रभावी बनाने के लिए इसमें धारा 118-ए जोड़ने का फैसला किया था। इसके तहत अगर कोई शख्स सोशल मीडिया के जरिए किसी व्यक्ति की मानहानि या अपमान करने वाली किसी सामग्री का उत्पादन करता है, प्रकाशित करता है या प्रसारित करता है तो उसपर 10 हजार रुपये का जुर्माना या पांच साल की कैद या दोनों हो सकते हैं।

अध्यादेश लाने का बचाव करते हुए विजयन ने कहा कि सरकार ने सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों के माध्यम से व्यापक दुर्भावनापूर्ण अभियानों को रोकने के प्रयास में पुलिस अधिनियम में संशोधन करने का फैसला किया। यह दुर्भावनापूर्ण अभियान नागरिकों को संवैधानिक रूप से सुनिश्चित की गई व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के लिए खतरा पैदा करते हैं।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान से पहले राज्य के विधि मंत्री ए के बालन ने स्पष्ट किया था कि सरकार साइबर दबंगई’ रोकने के लिए “नेक इरादे” से लाए गए कानून का दुरुपयोग न हो इसके लिए वह सभी प्रकार के कदम उठाएगी।

राज्य के पुलिस प्रमुख लोकनाथ बेहरा ने कहा कि संशोधित कानून के तहत किसी प्रकार की कार्रवाई करने से पहले विशेष मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की जाएगी।

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने संवाददाताओं से कहा, “यह संवैधानिक अधिकारों का हनन है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है। भाजपा इसके विरुद्ध कानूनी और राजनैतिक लड़ाई लड़ेगी। मैं इस संशोधन के विरुद्ध केरल उच्च न्यायालय जाऊंगा।”

इससे पहले, कांग्रेस ने राज्य सचिवालय तक कानून के विरोध में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। इसमें चेन्नीतला, प्रदेश कांग्रेस प्रमुख एम रामचंद्रन, यूडीएफ के संयोजक एम एम हसन समेत अन्य ने हिस्सा लिया।

दिल्ली में येचुरी ने पीटीआई-भाषा से कहा, " अध्यादेश पर पुनर्विचार किया जाएगा।"

सूत्रों ने बताया कि माकपा का केंद्रीय नेतृत्व केरल सरकार के फैसले से सहमत नहीं है और अध्यादेश की मियाद खत्म होने देने के लिए राज्य नेतृत्व पर दबाव डाल रहा है।

भाकपा महासचिव डी राजा ने कहा है कि वह अध्यादेश से असहज हैं और पार्टी ने राज्य नेतृत्व को इस बारे में अपनी राय बता दी है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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