एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में विधि आयोग, लेकिन पहले सार्वजनिक परिचर्चा का सुझाव
By भाषा | Updated: August 31, 2018 02:01 IST2018-08-31T02:01:25+5:302018-08-31T02:01:25+5:30
विधि समिति एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में है लेकिन वर्तमान संवैधानिक रूपरेखा में यह काम नहीं हो सकता।

एक साथ चुनाव कराने के पक्ष में विधि आयोग, लेकिन पहले सार्वजनिक परिचर्चा का सुझाव
नई दिल्ली, 31 अगस्तः अपना कार्यकाल समाप्त होने से एक दिन पहले विधि आयोग ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के मोदी सरकार के प्रस्ताव का अनुमोदन किया और कहा कि इससे देश लगातार चुनावी मोड से बाहर निकलेगा। साथ ही अंतिम निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आयोग ने इस मुद्दे पर और सार्वजनिक परिचर्चा कराने का सुझाव दिया। आयोग ने अपनी मसौदा रिपोर्ट में कहा कि वर्तमान संवैधानिक रूपरेखा में यह काम नहीं हो सकता और सुझाव दिया कि दोनों तरह के चुनाव एक साथ कराने के लिए बदलाव की जरूरत है।
उसने कहा, ‘‘एक साथ चुनाव कराने से सरकारी धन की बचत होगी, प्रशासनिक ढांचे और सुरक्षा बलों पर बोझ कम करने और सरकारी नीतियों को बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी...अगर एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो प्रशासनिक मशीनरी विकास गतिविधियों में लगी रहेगी।’’
मसौदा रिपोर्ट को एक अपील के साथ सार्वजनिक किया गया जिसमें लोकसभा और जम्मू-कश्मीर को छोड़कर सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सभी संबंधित पक्षों की राय मांगी गई है। रिपोर्ट की एक प्रति सरकार को सौंपी गई है।
आयोग ने कहा कि संविधान के वर्तमान ढांचे में एक साथ चुनाव कराना संभव नहीं है। समिति ने सदनों के नियम-कायदे और इससे जुड़े अनुच्छेद में बदलाव की अनुशंसा की। आयोग का तीन वर्षों का कार्यकाल कल समाप्त हो रहा है।