कानून तोड़ने वालों को सांसद/विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए : एससीबीए अध्यक्ष

By भाषा | Updated: November 26, 2021 18:23 IST2021-11-26T18:23:55+5:302021-11-26T18:23:55+5:30

Law breakers should not be allowed to become MPs/MLAs: SCBA President | कानून तोड़ने वालों को सांसद/विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए : एससीबीए अध्यक्ष

कानून तोड़ने वालों को सांसद/विधायक बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए : एससीबीए अध्यक्ष

नयी दिल्ली, 26 नवंबर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपित सांसदों और विधायकों की बढ़ती संख्या पर चिंता जताते हुए शुक्रवार को कहा कि कानून तोड़ने वालों को सांसद/विधायक नहीं होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 2004 में 23 प्रतिशत सांसदों पर गम्भीर आपराधिक मामलों की तुलना में अब यह आंकड़ा बढ़कर 43 प्रतिशत हो गया है।

शीर्ष अदालत परिसर में एससीबीए द्वारा आयोजित संविधान दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए सिंह ने कहा कि सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि इस देशवासियों के लिए तैयार संविधान की प्रासंगिकता बनी रहे।

उन्होंने कानूननिर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों के मौजूदा आंकड़ों को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा, ‘‘जिस महत्वपूर्ण बदलाव की जरूरत है, वह यह है कि कानून तोड़ने वालों को सांसद/विधायक नहीं होना चाहिए।’’

एससीबीए अध्यक्ष ने कहा, "यह चिंता का एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है, जिस पर हम सभी को इस संविधान दिवस पर विचार-विमर्श करना चाहिए कि क्या हम यही चाहते थे कि 2004 में गंभीर अपराधों के आरोपी सांसदों की संख्या 23 प्रतिशत आज बढ़कर 43 प्रतिशत तक पहुंच जाए।’’

उन्होंने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की मौजूदगी में कहा कि न्यायपालिका लोगों और संविधान के बीच एक इंटरफेस के रूप में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लोगों को संविधान में निहित उनके अधिकार प्राप्त हों।

इस अवसर पर न्यायमूर्ति रमण ने वकीलों से न्यायाधीशों की सहायता करने और न्यायिक संस्थान को "प्रेरित और लक्षित हमलों" से बचाने के अलावा जरूरतमंद लोगों की मदद करने की सलाह भी दी, ताकि न्यायपालिका पर उनका भरोसा बना रहे।

इस आयोजन में हिस्सा लेने वाले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब तक जीवन में सामान्य परिस्थितियां बनी रहती हैं, तब तक लोगों को लिखित और मजबूत संविधान होने के महत्व का एहसास नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि जब सामान्य आदमी न्याय के लिए इस अदालत से उस अदालत भटकता रहता है और अदालत उसका संज्ञान लेता है, तब उसे संविधान के महत्व का अहसास होता है। जब उसे महसूस होता है कि कुछ कानून मानव व्यवहार को नियंत्रित करते हैं और संसद कानून बनाती है, तब उसे लिखित संविधान का महत्व समझ आता है।

सॉलिसिटर जनरल ने कहा, ‘‘जब हालिया त्रासदी की तरह बड़ी त्रासदी देश को अपने आगोश में ले लेती है और राज्य सरकारें पार्टी लाइन से हटकर केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती हैं तब आम आदमी को लिखित संविधान होने का महत्व समझ में आता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय अपने संविधान पर अधिक गर्व महसूस करते हैं, खासकर जब "हम पड़ोसी देशों की ओर देखते हैं, जहां संविधान हो या नहीं, लेकिन वहां हम पाते हैं कि संविधान केवल एक मुद्रित दस्तावेज है, न कि एक जीवंत चीज।"

उन्होंने किसी देश का नाम लिये बिना कहा, "हम देखते हैं कि (उन देशों की) सरकारें संविधान होने के बावजूद सेना के सामने रेंगती हैं। हमें गर्व है कि हमारे संविधान के तीनों अंग एक-दूसरे पर निर्भर हैं, साथ ही एक-दूसरे से पूरी तरह स्वतंत्र हैं और अपनी-अपनी जिम्मेदारियों का स्वतंत्रता पूर्वक निर्वहन करते हैं।"

एससीबीए का कार्यक्रम उन समारोहों में से एक है, जो संविधान दिवस मनाने के लिए शुक्रवार और शनिवार को आयोजित किया जाएगा। इसे राष्ट्रीय कानून दिवस के रूप में भी जाना जाता है। 1949 में इसी दिन, भारत की संविधान सभा ने संविधान को अपनाया था, जो 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था।

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Web Title: Law breakers should not be allowed to become MPs/MLAs: SCBA President

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