लखनऊ, 25 जून इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने अयोध्या में बन रहे हवाई अड्डे के लिए लोगों की जमीन जबरन लेने व कम कीमत पर रजिस्ट्री करने के लिए मजबूर करने के आरोपों पर जिला प्रशासन से 29 जून तक जवाब तलब किया है।
अदालत ने प्रशासन को आदेश दिया है कि यदि याचियों की जमीनों का अधिग्रहण नहीं किया गया है, तो बिना सहमति उनको जमीनें बेचने लिए मजबूर नहीं किया जायेगा। अदालत ने जिलाधिकारी के साथ संबधित उप जिलाधिकारी व तहसीलदार को वीडियो कांफ्रेस के जरिये 29 जून को उसके समक्ष पेश हो आरोपों पर अपनी तथ्यात्मक स्थिति बताने को कहा है।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने पंचराम प्रजापति समेत 107 किसानों की ओर से दाखिल रिट याचिका पर वीडियो कांन्फ्रेंस से 23 जून को सुनवायी करते हुए पारित किया। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ताओं की अयोध्या के धर्मदासपुर सहादत गांव में जमीनें व मकान हैं। उनके सम्पत्ति के अधिकार का घोर उल्लंघन करते हुए, उनकी जमीनों और मकान पर हवाई अड्डा बनाने के लिए कब्जा किया जा रहा है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि जमीनें लेने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 का भी पालन नहीं किया जा रहा है। याचियों की ओर से दलील दी गई कि जमीनों का अधिग्रहण अथवा खरीद किस प्रक्रिया के तहत की जाएगी, इसका कोई मानदंड ही तय नहीं है। जमीनों के खरीद की दर का भी कोई पता नहीं है।
अदालत ने मामले की गम्भीरता को देखते हुए, उपरोक्त तीनों अधिकारियों को अगली सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से उपस्थित होने को कहा है।
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