3520 वोट से पीछे लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव, संजय कुमार को मिले 10301 वोट अभी तक...
By संदीप दाहिमा | Updated: November 14, 2025 11:12 IST2025-11-14T10:50:15+5:302025-11-14T11:12:38+5:30
3520 से पीछे लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव, संजय कुमार को मिले 10301 वोट अभी तक...

3520 वोट से पीछे लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव, संजय कुमार को मिले 10301 वोट अभी तक...
3520 से पीछे लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव, संजय कुमार को मिले 10301 वोट अभी तक, बिहार विधानसभा चुनाव में मतगणना के शुक्रवार को प्रारंभिक रुझानों के अनुसार सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने बहुमत के आंकड़े 122 को पार कर 172 से अधिक सीट पर बढ़त बना ली है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, शुरुआती रुझान में राजग 172 से अधिक विधानसभा सीट पर और ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस) गठबंधन करीब 51 सीट पर आगे है। शुरुआती रुझान के अनुसार, ‘इंडिया’ गठबंधन के मुख्यमंत्री पद उम्मीदवार एवं राजद नेता तेजस्वी यादव राघोपुर सीट पर 893 मतों से आगे है जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सतीश कुमार पीछे हैं।
महुआ से तेज प्रताप यादव पीछे चल रहे है। pic.twitter.com/2kNpmqUIb9
— 𝐂𝐨𝐥𝐝𝐫𝐢𝐟 🍶 (@coldrif1) November 14, 2025
मोहम्मद शहाबुद्दीन के बेटे एवं राष्ट्रीय जनता दल (राजद) उम्मीदवार ओसामा शहाब रघुनाथपुर सीट पर 725 मतों से आगे हैं और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के विकास कुमार सिंह पीछे हैं। भाजपा उम्मीदवार उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर सीट पर 2,690 मतों से आगे हैं जबकि राजद के अरुण कुमार पीछे हैं। उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा लखीसराय में आगे हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे और जेजेडी संस्थापक तेज प्रताप यादव महुआ सीट पर चौथे स्थान पर हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के संजय कुमार सिंह इस सीट पर सबसे आगे हैं। जमुई सीट पर भाजपा उम्मीदवार श्रेयसी सिंह अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के मोहम्मद शमसाद आलम से 2,539 मतों से आगे हैं। अन्य प्रमुख प्रत्याशियों में चर्चित लोकगायिका मैथिली ठाकुर आगे हैं। अधिकारियों के अनुसार, राज्य की 243 विधानसभा सीटों की मतगणना सुबह आठ बजे शुरू हुई, जिसमें आयोग के मानकों के अनुरूप सबसे पहले डाक मतपत्रों की गिनती की गई। ईवीएम की गिनती सुबह 8.30 बजे से शुरू हुई। दो चरणों में 6 और 11 नवंबर को सम्पन्न हुए बिहार चुनावों को राज्य के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार की महत्वपूर्ण राजनीतिक परीक्षा माना जा रहा है।