लाइव न्यूज़ :

लखीमपुर खीरी हिंसा: न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का दिया निर्देश

By भाषा | Updated: October 26, 2021 17:07 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 26 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले के गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का मंगलवार को निर्देश दिया। इस हिंसा में चार किसानों सहित आठ लोगों की मौत हो गई थी।

प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले के अन्य गवाहों के बयान दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 164 के तहत दर्ज करने का भी निर्देश दिया।

इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और गरिमा प्रसाद ने पीठ के समक्ष राज्य सरकार का पक्ष रखा।

पीठ ने कहा, ‘‘ हम संबंधित जिला न्यायाधीश को सीआरपीसी की धारा 164 के तहत साक्ष्य दर्ज करने का कार्य निकटतम न्यायिक मजिस्ट्रेट को सौंपने का निर्देश देते हैं।’’

सीआरपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता) की धारा 164 के तहत बयान न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष दर्ज किए जाते हैं और वे बयान मान्य होते हैं।

पीठ ने साल्वे से कहा कि वह ‘इलेक्ट्रॉनिक’ साक्ष्य की रिपोर्ट तैयार करने के संबंध में उसकी चिंताओं से ‘फॉरेंसिक’ प्रयोगशालाओं को अवगत कराएं। साथ ही, राज्य सरकार को पत्रकार की पीट-पीटकर हत्या करने के मामले से जुड़ी दो शिकायतों के संबंध में रिपोर्ट दाखिल करने को निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘ राज्य को इन मामलों में अलग-अलग जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया जाता है।’’

न्यायालय ने इस मामले में अब आठ नवंबर को आगे सुनवाई करेगा।

पीठ ने सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष द्वारा मामले में पेश किए गवाहों की संख्या पर भी सवाल उठाए और कहा, ‘‘ मामला यह है कि हजारों किसान रैली निकाल रहे थे और केवल 23 ही चश्मदीद हैं?’’

साल्वे ने कहा कि 68 गवाहों में से 30 के बयान सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए जा चुके हैं और अन्य कुछ के बयान भी दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘ 30 गवाहों में से 23 ने ही चश्मदीद होने का दावा किया है। अधिकतर गवाह बरामदगी से जुड़े औपचारिक गवाह हैं।’’

उन्होंने कहा कि कई डिजिटल साक्ष्य भी बरामद किए गए हैं और विशेषज्ञ उनकी जांच कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने 20 अक्टूबर को कहा था कि लखीमपुर खीरी हिंसा की जांच एक ‘‘अंतहीन कहानी’’ नहीं होनी चाहिए। साथ ही, उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि न्यायालय को ऐसा लग रहा है कि राज्य पुलिस धीमी गति से काम कर रही है। गवाहों को संरक्षण प्रदान करने का निर्देश भी दिया था।

शीर्ष अदालत तीन अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा के मामले में सुनवाई कर रही है, जिसमें चार किसानों सहित आठ लोग मारे गए थे। मामले में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठPanchang 11 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 11 December 2025: आज इन 5 राशियों का फूटेगा भाग्य, कम मेहनत के बावजूद मिलेगी सफलता

भारतउत्तर और दक्षिण भारत के मध्य एकता के सेतु सुब्रमण्यम भारती

क्राइम अलर्टGoa Nightclub Fire: भगोड़े अपराधियों को वापस लाना आसान नहीं

कारोबार31 दिसंबर से पहले इन कामों को जरूर कर लें पूरा, वरना दोबारा नहीं मिलेगा मौका

भारत अधिक खबरें

भारतक्या होता है मास्क्ड आधार कार्ड? जानें क्या है इसका फायदा और डाउनलोड करने का तरीका

भारतFIH Men's Junior World Cup: जर्मनी ने गोल्ड पर किया कब्जा, स्पेन के पास रजत और भारत ने जीता कांस्य

भारतगोवा अग्निकांड: गौरव और सौरभ लूथरा का पासपोर्ट रद्द करने पर विचार कर रहा विदेश मंत्रालय, गोवा सरकार ने पत्र दिया?

भारतपीएम मोदी से मिले राहुल गांधी?, मुख्य सूचना आयुक्त और 8 सूचना आयुक्तों के चयन पर बैठक, कांग्रेस सांसद ने असहमति पत्र दिया

भारतइजराइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने पीएम मोदी को किया फोन?, गाजा शांति योजना पर बातचीत