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लखीमपुर खीरी मामलाः प्रियंका गांधी अड़ीं, पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात के बगैर वापस नहीं जाने का ऐलान, कांग्रेस ने यूपी में हल्ला बोला

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 4, 2021 20:37 IST

Lakhimpur Kheri case: लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया है।

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ठळक मुद्देसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को लखनऊ से लखीमपुर जाने से रोक दिया गया।विरोध के दौरान हुए संघर्ष में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत कुछ वरिष्ठ नेता लखीमपुर खीरी जा रहे थे।

लखनऊः लखीमपुर खीरी के तिकोनिया क्षेत्र में हुई हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत के मामले में सोमवार तड़के मौके पर जाते वक्त सीतापुर में हिरासत में ली गई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात के बगैर वापस नहीं जाने का ऐलान किया है।

कांग्रेस की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बताया कि प्रियंका तथा कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र हुड्डा समेत कुछ वरिष्ठ नेता लखीमपुर खीरी जा रहे थे। रास्ते में सीतापुर में तड़के करीब पांच बजे उन्हें हिरासत में ले लिया गया और पीएसी परिसर भेज दिया गया।

उन्होंने पुलिसकर्मियों पर प्रियंका से धक्का-मुक्की का भी आरोप लगाया और कहा कि कांग्रेस महासचिव किसानों का दर्द बांटने जा रही थीं और उन्हें इस तरह से रोका जाना अलोकतांत्रिक है। इस बीच, कांग्रेस के प्रदेश मीडिया संयोजक ललन कुमार ने बताया कि प्रियंका ने खुद को रोके जाने के विरोध में पीएसी कैंप कार्यालय कक्ष में धरना शुरू कर दिया है।

उन्होंने ऐलान किया है कि वह पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात किए बगैर किसी भी सूरत में वापस नहीं जाएंगी। कुमार ने बताया कि पुलिस ने प्रिंयका और उनके 15 अन्य साथियों को हिरासत में लेकर पिछले करीब 13 घंटे से खीरी थाने में बंद कर रखा है।

इस बीच, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की अगुवाई में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता सीतापुर स्थित द्वितीय वाहिनी पीएसी परिसर पर एकत्र हो गए और प्रियंका से मुलाकात की मांग की।

उन्होंने बताया कि प्रियंका से नहीं मिलने दिए जाने पर पार्टी कार्यकर्ता परिसर के गेट के सामने अनशन पर बैठ गए हैं। सिद्दीकी ने बताया, ‘‘जब तक किसानों के परिवारों से प्रियंका को मिलने नहीं दिया जाता, दोषी केंद्रीय मंत्री उनके बेटे को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाता और मृतकों के परिजन को दो-दो करोड़ रुपए और घायलों को एक-एक करोड़ रुपये मुआवजा नहीं दिया जाता, तब तक हम शांति से बैठने वाले नहीं हैं।’’ 

सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेताओं को रोक दिया गया था या हिरासत में लिया गया था। हालांकि शाम होते-होते तक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव, प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव आदि नेताओं को पुलिस ने हिरासत से छोड़ दिया।

वहीं, सोमवार तड़के लखीमपुर खीरी जाते वक्त सीतापुर में हिरासत में ली गई कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पीड़ित किसान परिवारों से मुलाकात के बगैर वापस नहीं जाने का ऐलान किया है। कांग्रेस के एक प्रवक्ता ने दावा किया, ''अभी तक प्रियंका गांधी हिरासत में हैं और इससे देश भर में भारी रोष है। सीतापुर में कार्यकर्ताओं का बड़ा जमावड़ा हो रहा है।'' कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सीतापुर में पीएसी छावनी के सामने कैंडल मार्च भी निकाला।

लखनऊ के पुलिस आयुक्त (कमिश्नर) डीके ठाकुर ने बातचीत में अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव को हिरासत से छोड़े जाने की पुष्टि की है। इससे पहले राज्य सरकार ने कहा था, “विपक्षी दलों का 2022 के विधानसभा चुनाव का सफर लाशों पर नहीं हो सकता। किसी को भी माहौल बिगाड़ने की इजाजत नहीं दी जाएगी।’’

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