‘ला नीना’ का 2020 पर रहा प्रभाव, भारत में सामान्य से रिकॉर्ड ज्यादा बारिश, कड़ाके की ठंड

By भाषा | Updated: December 28, 2020 21:32 IST2020-12-28T21:32:01+5:302020-12-28T21:32:01+5:30

'La Niña' has impact on 2020, record excess rain in India, severe cold | ‘ला नीना’ का 2020 पर रहा प्रभाव, भारत में सामान्य से रिकॉर्ड ज्यादा बारिश, कड़ाके की ठंड

‘ला नीना’ का 2020 पर रहा प्रभाव, भारत में सामान्य से रिकॉर्ड ज्यादा बारिश, कड़ाके की ठंड

(प्रशांत रांगनेकर)

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर देश के मौसम पर 2020 में ला-नीना का असर स्पष्ट नजर आया जब लगातार दूसरे वर्ष देश में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, सर्दियों में सामान्य से कम तापमान रहा और गर्मियों में भी लू के थपेड़े कम महसूस हुए।

इस साल पूर्वी और पश्चिमी तरफ समुद्री इलाकों में पांच चक्रवात भी आए। इन पांच में से चार ‘गंभीर चक्रवाती तूफान’ या उससे भी ज्यादा श्रेणी के थे।

ला-नीना स्थितियां उत्तर भारत के इलाकों में अच्छे मानसून और भीषण सर्द स्थितियों के लिये महत्वपूर्ण कारक होती हैं।

ला-नीना प्रशांत महासागर के जल के ठंडा होने से संबंधित है जबकि अल-नीनो इसके विपरीत स्थिति है। आम तौर पर यह देखा गया है कि ला-नीना वर्ष में अच्छी बारिश होती है और सर्दियों में तापमान सामान्य से कम होता है।

देश में दिसंबर से फरवरी तक प्रमुख रूप से सर्दी का मौसम रहता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा कि दिसंबर 2019 में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में शुरू हुई भीषण सर्दी की स्थिति इस साल जनवरी में भी बरकरार रही।

उन्होंने कहा कि सर्द से भीषण सर्द दिनों वाली स्थितियां बाद में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में भी बरकरार रहीं। उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अक्टूबर से दिसंबर तक सामान्य से कम तापमान दर्ज किया गया।

मोहपात्रा ने कहा कि दूसरी तरफ गर्मियों में भी इस बार लू के कम मामले सामने आए जो देश के बड़े हिस्सों को आम तौर पर अप्रैल से जून के बीच प्रभावित करती है।

उन्होंने इस बार लू की आवृत्ति कम होने की वजह अक्सर आने वाले पश्चिमी विक्षोभों को दिया।

इस साल पश्चिमी विक्षोभों के मामले असामान्य रूप से ज्यादा थे और गर्मियों के दौरान भी यह जारी रहे।

2020 बीते 30 सालों के दौरान तीसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला साल भी रहा।

केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून को पहुंचा था जो इसकी सामान्य तारीख है। मानसून का आधिकारिक मौसम एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक रहता है।

देश में दीर्घावधि बारिश औसत (एलपीए) की 109 प्रतिशत बारिश हुई।

आम तौर पर देश में जुलाई और अगस्त में अधिकतम बारिश होती है।

मानसून की मुख्य विशेषताओं में इस बार अगस्त में हुई बारिश थी। इस महीने कम दबाव के पांच क्षेत्र बने जिनकी वजह से मध्य भारत में काफी बारिश हुई।

इसकी वजह से ओडिशा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, दक्षिण गुजरात और दक्षिण राजस्थान में बाढ़ जैसे हालात भी बने।

आईएमडी ने कहा कि इस बार अगस्त 2020 में रिकॉर्ड बारिश हुई, जब पूरे भारत में बारिश एलपीए की 127 प्रतिशत थी। यह अगस्त 1976 (128.4 प्रतिशत) के बाद बीते 44 वर्षों में सबसे ज्यादा एलपीए था। यह बीते 120 वर्षों में भी चौथा सबसे ज्यादा था।

इस साल 19 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य बारिश हुई जबकि नौ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई। बिहार, गुजरात, मेघालय, गोवा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक और लक्षद्वीप में रिकॉर्ड ज्यादा बारिश हुई। सिक्किम में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज की गई।

हालांकि, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर में सामान्य से कम बारिश हुई। लद्दाख में काफी कम बारिश दर्ज की गई। दिल्ली के हिस्से में भी सामान्य से कम बारिश आई।

आईएमडी के मुताबिक 2019 और 2020 में लगातार दो मानसून वर्ष में भारत में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई।

मोहपात्रा ने कहा, “यह वर्ष 2020 अच्छी बारिश वाला रहा है। सर्दियों के मौसम में भी देश में अच्छी बारिश हुई है। दक्षिणपश्चिम मानसून और उत्तरपूर्वी मानसून अच्छे रहे।”

बंगाल की खाड़ी में तीन तूफान (अंफान, निवार और बुरेवी) बने तो वहीं दो अन्य (निसर्ग और गति) अरब सागर में। अंफान, निवार और निसर्ग चक्रवाती तूफान के तौर पर भारतीय तटों से टकराए।

क्या 2021 में भी मौसम का चक्र ऐसा ही रहेगा, यह पूछे जाने पर मोहपात्रा ने कहा कि ला-नीना की स्थितियां अगले छह महीनों तक बरकरार रहने की उम्मीद है।

आईएमडी ने सर्दियों के लिये पूर्वानुमान में दिसंबर 2020 और जनवरी-फरवरी 2021 में उत्तर भारत में सामान्य से कम तापमान का पूर्वानुमान व्यक्त किया है।

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Web Title: 'La Niña' has impact on 2020, record excess rain in India, severe cold

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