कोविड-19: पश्चिम मप्र में बंदिशों के साथ मनेगा आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार

By भाषा | Updated: March 21, 2021 16:30 IST2021-03-21T16:30:16+5:302021-03-21T16:30:16+5:30

Kovid-19: The biggest festival of tribals in West Madhya Pradesh with restrictions | कोविड-19: पश्चिम मप्र में बंदिशों के साथ मनेगा आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार

कोविड-19: पश्चिम मप्र में बंदिशों के साथ मनेगा आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार

इंदौर, 21 मार्च पश्चिमी मध्य प्रदेश में होली से पहले आदिवासियों के सबसे बड़े त्योहार भगोरिया की तस्वीर इस बार कोविड-19 के प्रकोप के कारण काफी हद तक बदली नजर आएगी और इस मशहूर पर्व से जुड़े साप्ताहिक हाटों पर कई बंदिशें लगाई गई हैं।

फागुनी मस्ती में डूबे हजारों आदिवासियों की मौजूदगी वाले इन हाटों में भीड़ नियंत्रण के जरिये महामारी की रोकथाम करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

अधिकारियों ने बताया कि खरगोन, झाबुआ,अलीराजपुर, धार और बड़वानी जैसे आदिवासी बहुल जिलों के 100 से ज्यादा ग्रामीण स्थानों पर 22 से 28 मार्च के बीच अलग-अलग दिनों में भगोरिया हाट लगने वाले हैं।

खरगोन की जिलाधिकारी अनुग्रहा पी. ने रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "हमारे जिले में इस बार भगोरिया हाटों में झूले, सर्कस और मनोरंजन के वे सभी आयोजन प्रतिबंधित रहेंगे जहां एक साथ बड़ी तादाद में लोग जुटते हैं।"

उन्होंने बताया कि खरगोन जिले के करीब 10,000 आदिवासी रोजगार के लिए पड़ोसी महाराष्ट्र में रहते हैं और इनमें से कई लोग भगोरिया मनाने के लिए पहले ही अपने घर लौट चुके हैं।

जिलाधिकारी ने बताया, "चूंकि महाराष्ट्र कोरोना वायरस संक्रमण से बुरी तरह जूझ रहा है। इसलिए हमने महाराष्ट्र से लौटे लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों के आस-पास ही भगोरिया त्योहार मनाएं और हाटों में शामिल न हों।"

अधिकारियों ने बताया कि झाबुआ, अलीराजपुर, धार और बड़वानी जिलों में भी भगोरिया हाटों के दौरान कोविड-19 से बचाव की हिदायतों के पालन की कोशिश की जाएगी।

उन्होंने बताया कि प्रशासन सीसीटीवी कैमरों और ड्रोन कैमरों की मदद से भी भगोरिया हाटों पर नजर रखेगा ताकि किसी स्थान पर ज्यादा भीड़ जमा न होने पाए।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए 19 मार्च को राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि वह भगोरिया हाटों में कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने के लिए हर आवश्यक कदम उठाए।

जानकारों के मुताबिक होली के त्योहार से ठीक पहले लगने वाले भगोरिया हाटों में स्थानीय आदिवासियों के साथ ही जनजातीय समुदाय के वे हजारों लोग भी उमड़ते हैं जो आजीविका के लिए महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान जैसे पड़ोसी सूबों व अन्य राज्यों में रहते हैं। इससे पश्चिमी मध्यप्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों में उत्सव का माहौल बन जाता है।

आदिवासी टोलियां ढोल और मांदल (पारंपरिक बाजा) की थाप तथा बांसुरी की स्वर लहरियों पर थिरकते हुए भगोरिया हाटों में पहुंचती हैं और होली के त्योहार की जरूरी खरीदारी करने के साथ फागुनी उल्लास में डूब जाती हैं।

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Web Title: Kovid-19: The biggest festival of tribals in West Madhya Pradesh with restrictions

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