कोविड-19 विश्वयुद्ध है, दिशनिर्देशों पर अमल नहीं होने के कारण यह जंगल की आग की तरह फैला है: न्यायालय

By भाषा | Updated: December 18, 2020 20:42 IST2020-12-18T20:42:03+5:302020-12-18T20:42:03+5:30

Kovid-19 is World War, it is spread like wildfire due to non-implementation of guidelines: Court | कोविड-19 विश्वयुद्ध है, दिशनिर्देशों पर अमल नहीं होने के कारण यह जंगल की आग की तरह फैला है: न्यायालय

कोविड-19 विश्वयुद्ध है, दिशनिर्देशों पर अमल नहीं होने के कारण यह जंगल की आग की तरह फैला है: न्यायालय

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर कोविड-19 महामारी की तुलना विश्वयुद्ध से करते हुये उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि इस पर काबू पाने के लिये दिशा निर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया पर अमल करने में प्राधिकारियों की कोताही के कारण यह जंगल की आग की तरह फैल गया है। न्यायालय ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि कोरोना वायरस का इलाज का खर्च आम जनता की सीमा से बाहर है।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन द्वारा ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने या निजी अस्पतालों द्वारा लिये जा रहे शुल्क की सीमा निर्धारित करने का सुझाव दिया है।

न्यायालय ने कहा कि राज्यों को बहुत ही सतर्कता के साथ काम करना होगा और उन्हें केन्द्र के साथ परस्पर सद्भाव के साथ काम करना चाहिए और दूसरी बातों की बजाये उनकी पहली प्राथमिकता नागरिकों की सुरक्षा तथा स्वास्थ्य होना चाहिए।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि दिशा निर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ ‘कठोर और सख्त कार्रवाई’ की जानी चाहिए क्योंकि उन्हें दूसरों के जीवन से खिलवाड़ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

पीठ ने स्वास्थ्य के अधिकार को मौलिक अधिकार इंगित करते हुये कहा कि इसमें वहन करने योग्य उपचार भी शामिल है। पीठ ने कहा कि इलाज बहुत मंहगा हो गया है और यह आम आदमी के वहन करने की सीमा में नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘अगर कोई कोविड-19 के संक्रमण को हरा देता है तो भी वह इसके मंहगे इलाज की वजह से आर्थिक रूप से टूट जाता है। इसलिए राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन को ज्यादा से ज्यादा प्रावधान करने होंगे या फिर निजी अस्पतालों द्वारा लिये जाने वाले शुल्क की अधिकतम सीमा निर्धारित की जाये। आपदा प्रबंधन कानून के अंतर्गत प्राप्त अधिकारों से ऐसा किया जा सकता है।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘इस अप्रत्याशित स्तर की महामारी से दुनिया में हर व्यक्ति किसी न किसी तरह से ग्रस्त है। यह कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध है। इसलिए कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध टालने के लिये सरकार और जनता की साझेदारी करनी होगी। ’’

पीठ ने पिछले आठ महीने से कोविड-19 महामारी का मुकाबला कर रहे चिकित्सकों और नर्सों सहित पहली कतार के स्वास्यकर्मियों की स्थिति का भी जिक्र किया और कहा कि वे लगातार काम करते रहने के कारण शारीरिक और मानसिक रूप से थक चुके हैं और उन्हें भी बीच बीच में आराम देने के लिये कोई तरीका निकालने की आवश्यकता है।

पीठ ने राज्यों को केन्द्र के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने पर जोर देते हुये कहा, ‘‘यह समय ऊपर उठकर काम करने का है।’’

पीठ ने यह भी कहा कि कर्फ्यू और लाकडाउन लागू करने जैसे किसी भी निर्णय की घोषणा काफी पहले की जानी चाहिए ताकि लोगों को इसकी जानकारी मिल सके और वे अपने जीविकोपार्जन के लिये खाने पीने के सामानों की व्यवस्था कर सकें। सरकार को सप्ताहांत में या रात में कर्फ्यू लगाने पर भी विचार करना चाहिए।

न्यायालय ने कोविड मरीजों के इलाज और अस्पतालों में शवों के साथ गरिमापूर्ण आचरण के मामले में स्वत: की जा रही कार्यवाही में यह दिशानिर्देश जारी किये हैं।

पीठ ने कहा कि लोगों को अपने कर्तव्य समझना चाहिए और नियमों का पालन करना चाहिए। पीठ ने कहा कि लोग दिशा निर्देशों का पालन नही कर रहे है और जुर्माने के रूप में अकेले गुजरात में ही 80-90 करोड़ रूपए वसूल किये गये हैं।

पीठ ने कहा कि राज्यों में अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) या सचिव (गृह) संबंधित पुलिस अधीक्षक या जिला पुलिस अधीक्षक और संबंधिति थाना प्रभारियों की मदद से इन दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेंगे।

न्यायालय ने कहा कि हम पहले ही कोविड-19 पर अंकुश पाने के लिये अनेक कदम उठाने के बारे में निर्देश दे चुके हैं। हम एक बार फिर दोहरा रहे हैं कि राज्य इन उपायों का पालन करने के लिये निर्देश जारी करें।

न्यायालय ने कहा कि फूड कोर्ट, खान पान के स्थानों, सब्जी मंडियों, मंडियों, बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों जैसे भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ज्यादा पुलिस तैनात की जाये।

पीठ ने कहा, ‘‘जहां तक संभव हो, स्थानीय प्रशासन या कलेक्टर/पुलिस उपाधीक्षक को दिन के दौरान आयोजनों और लोगों के जमावड़े की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और अगर अनुमति दी जाती है तो स्थानीय प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिशानिर्देशों और निर्धारित प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो।’’

न्यायालय ने महामारी के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा आयोजित की जाने वाली चुनाव सभाओं से जुड़े मुद्दे पर भी टिप्पणी की और कहा कि अगस्त में कोविड-19 के दौरान चुनावों और उपचुनावों के लिये निर्वाचन आयोग ने भी दिशा निर्देश जारी किये हैं।

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