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कोविड-19 : उच्च न्यायालय का बड़े अस्पतालों को पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगाने के निर्देश

By भाषा | Updated: May 20, 2021 15:27 IST

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नयी दिल्ली, 20 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने 100 या उससे अधिक बिस्तर वाले शहर के सभी बड़े अस्पतालों को पीएसए ऑक्सीजन संयंत्र लगाने का बृहस्पतिवार को निर्देश दिया और कहा कि कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सीय ऑक्सीजन की भारी कमी के कारण हर किसी को जो कटु अनुभव हुआ उससे सीख लेने की जरूरत है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि अब समय आ गया है कि कम से कम 100 बिस्तरों या उससे अधिक की सुविधा वाले बड़े अस्पतालों के पास अपने खुद के पीएसए (प्रेशर स्विंग एब्जॉर्प्शन) संयंत्र हो जिनमें उनकी सामान्य आवश्यकता से कम से दो गुना अधिक क्षमता होनी चाहिए। इससे बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम होगी।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव को अस्पतालों में पीएसए संयंत्र लगाने के पहलू पर गौर करने और इस संबंध में 27 मई तक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।

पीठ ने कहा, ‘‘यह मानते हुए कि महामारी सौ साल में एक बार आती है, उम्मीद करते हैं कि हम जल्द ही इसे खत्म होते देखेंगे। हमारा मानना है कि 100 या उससे अधिक बिस्तर वाले बड़े अस्पतालों के पास अपने पीएसए संयंत्र होने चाहिए जिसमें उनकी सामान्य आवश्यकता से कम से कम दो गुना अधिक क्षमता होनी चाहिए।’’

पीठ ने कहा कि 50 से 100 बिस्तरों वाले छोटे अस्पतालों और नर्सिंग होम्स में उनकी सामान्य आवश्यता की क्षमता वाले पीएसए संयंत्र होने चाहिए। अगर भविष्य में ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न होती है तो इससे मदद मिलेगी।

अदालत ने कहा, ‘‘दिल्ली में मेडिकल ऑक्सीजन की भारी किल्लत के कारण हर किसी को, जो कटु अनुभव करना पड़ा, उससे खासतौर से अस्पतालों को सीख लेने की जरूरत है।’’

अदालत ने मैक्स अस्पताल के एक डॉक्टर की दलील पर गौर करते हुए कहा कि वे अपने खुले पार्किंग क्षेत्र में पीएसए संयंत्र लगाना चाहते हैं हालांकि अस्पताल को अपने खर्च पर बहु स्तरीय पार्किंग बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।

पीठ ने कहा कि चूंकि संयंत्र लगाने के लिये थोड़ी जगह चाहिए होगी तो उचित होगा कि नगर निगम और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) इस संबंध में कुछ छूट दें ताकि पीएसए संयंत्र अस्पतालों के खुले पार्किंग क्षेत्र में लगाए जा सकें।

उसने एमसीडी तथा डीडीए से इन मुद्दों का निपटारा करने के लिए कहा जिसके लिए न्याय मित्र दोनों प्राधिकरणों के साथ ही अस्पतालों और नर्सिंग होम्स के प्रतिनिधियों के साथ एक हफ्ते के भीतर बैठक करेंगे।

अदालत ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के सभी अस्पताल इन निर्देशों का पालन करेंगे तथा नए अस्पताल भी इनका पालन करेंगे।

इसके अलावा अदालत ने दिल्ली सरकार तथा केंद्र द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट पर भी गौर किया कि कुछ पीएसए संयंत्र उनके अस्पतालों में लगाए गए हैं और कुछ लगाए जा रहे हैं।

केंद्र के वकील ने अदालत को बताया कि कुछ संयंत्र अभी मिले नहीं हैं क्योंकि वे कई देशों से मदद के तौर पर मिलने हैं।

अदालत ने कहा कि आज जो स्थिति नजर आती है उसके हिसाब से ज्यादातर संयंत्र अभी लगाए जाने हैं और अगर कोई अन्य लहर आती है तो भविष्य में जरूरत पड़ने पर भारत में बनाए जा रहे संयंत्रों को लगाना प्राथमिकता होनी चाहिए।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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