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कोविड-19: अदालत ने अधिवक्ता के गलत बयान पर अप्रसन्नता जतायी, आदेश वापस लिया

By भाषा | Updated: May 4, 2021 18:07 IST

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नयी दिल्ली, चार मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक अधिवक्ता द्वारा बिना किसी प्राधिकार के दिये गए उस गलत बयान को मंगलवार को गंभीरता से लिया जिसके आधार पर वकीलों को कोविड-19 चिकित्सा सुविधा प्रदान करने के लिए दायर एक अर्जी के संबंध में एक न्यायिक आदेश पारित किया गया था।

उच्च न्यायालय ने अधिवक्ता को भविष्य में इस तरह के आचरण के प्रति आगाह किया। अदालत ने कहा कि वह अधिवक्ता के इस आचरण से बेहद नाराज है कि उसने इस मामले में बिना किसी प्राधिकार के पेश होकर बयान दिया।

अदालत ने सोमवार को पारित अपना वह आदेश वापस ले लिया जिसमें उसने एक गैर-परिचालित निजी अस्पताल को अपनी चाबियां यहां बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (बीसीडी) को सौंपने के लिए कहा गया है ताकि वह वकीलों और उनके परिवारों के लिए कोविड देखभाल सुविधा प्रदान करने को लेकर उसका निरीक्षण करके उसे कार्यात्मक बनाने के लिए आवश्यक व्यवस्था कर सके।

कल की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता यशवर्धन एस सोयम ने दावा किया था कि वह द्वारका स्थित रॉकलैंड अस्पताल का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उन्होंने गैर-परिचालित अस्पताल की चाबियां बार काउंसिल ऑफ दिल्ली को सौंपने का प्रस्ताव दिया ताकि उसका निरीक्षण करके उसे वकीलों एवं उनके परिवारों के लिए कोविड देखभाल सुविधा प्रदान करने के वास्ते चालू करने के लिए आवश्यक व्यवस्था की जा सके।

हालांकि, मंगलवार को अस्पताल की ओर से एक अर्जी दायर की गई जिसे अब 2016 में किसी अन्य संस्था द्वारा अधिग्रहित किए जाने के बाद मेडिओर अस्पताल के रूप में जाना जाता है। इसमें यह भी कहा गया कि अधिवक्ता सोयम को अस्पताल की ओर से पेश होने का कोई अधिकार नहीं था।

मेडिओर अस्पताल का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील अभिषेक सिंह और प्रतीक सिंह ने कहा कि वे तीन मई के आदेश को संशोधित करने का अनुरोध करते हैं क्योंकि अन्य वकील ने अस्पताल का गलत तरीके से प्रतिनिधित्व किया था और उनकी ओर से गलत बयान दिया था।

यह अर्जी स्वीकार करते हुए अदालत ने 3 मई का अपना आदेश वापस ले लिया जिसमें उसने अस्पताल को बीसीडी के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता को चाबी सौंपने के लिए कहा था।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने कहा, ‘‘हम अप्रसन्न हैं कि बिना किसी अधिकार के वकील पेश हुए और ऐसा बयान दिया। हमने उन्हें भविष्य में इस तरह के आचरण में लिप्त नहीं होने के लिये आगाह किया है।’’

सुनवाई के दौरान, दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने कहा कि सोमवार शाम को उन्हें पता चला कि इस युवा वकील को बयान देने का कोई अधिकार नहीं था।

अदालत, वकील मनोज कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसका प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश गुप्ता ने किया था। याचिका में बीसीडी में पंजीकृत वकीलों एवं उनके परिवार के सदस्यों के उपयोग के लिए कोविड ​​स्वास्थ्य सुविधा स्थापित करने के लिए उचित दिशा निर्देश का अनुरोध किया गया था।

अदालत ने मामले को 6 मई को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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